ख़्ो
---------------------------------------------------------------------------
ख़्ोज़ ($फा.स्त्री.)-हिल्लोल, पानी की लहर, तरंग, मौज; नर से मिलने के समय मादा कबूतर की मस्ती; (प्रत्य.)-उठाने वाला, जैसे-'तू$फाँख़्ोज़Ó-तू$फान उठानेवाला; बढ़ानेवाला, जैसे-'सनसनीख़्ोज़Ó-सनसनी बढ़ानेवाला।ख़्ोजऱाँ ($फा.पु.)-बेंत का वृक्ष, वेत्र, वेत।
ख़्ोजि़श ($फा.स्त्री.)-उत्थान, उठान; लिंगेन्द्रिय की उत्तेजना, इस्तादगी।
ख़्ोज़ोमेज़ ($फा.पु.)-मेलजोल, रब्त-ज़ब्त; ज़ौ$क-शौ$क, चाव।
खेत (हिं.पु.)-वह भूमि जिसमें अन्न उपजाने के लिए बुवाई-जुताई होती है; भूमि में खड़ी $फसल; समर-भूमि, लड़ाई का मैदान।
खेद (संं.पु.)-दु:ख, रंज; थकावट, चित्त की शिथिलता।
खेदा (हिं.पु.)-हाका या हल्ला मचाकर वन्य पशु को खदेड़ कर उपयुक्त स्थान पर लाने का कार्य; हाथी को पकडऩे का गड्ढ़ा; शिकार, अहेर, आखेट।
खेना (हिं.क्रि.सक.)-नाव चलाना, नाव के डांडों को चलाना; बिताना, काटना, गुज़ारना।
खेप (हिं.स्त्री.)-उतनी वस्तु जो एक बार में लादी या ढोई जा सके; गाड़ी आदि की एक बार की यात्रा; दोष, ऐब; खोटा सिक्का।
ख़्ोम: ($फा.पु.)-तम्बू, डेरा। दे.-'ख़्ौम:Ó।
ख़्ोम:गाह (अ.$फा.पु.)-वह स्थाान जहाँ बहुत से तम्बू या ख़्ोमें लगे हों। दे.-'ख़्ौम:गाहÓ।
ख़्ोम:दोज़ (अ़.$फा.पु.)-ख़्ोमा बनानेवाला। दे.-'ख़्ौम:दोज़Ó।
ख़्ोमा (अ़.पु.)-दे.-'ख़्ौम:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
ख़ेमागाह (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'ख़्ौम:गाहÓ।
ख़्ोमादोज़ (अ़.$फा.वि.)-दे.-'ख़्ौम:दोज़Ó।
खेल (हिं.पु.)-केवल चित्त की उमंग अथवा मन बहलाव या व्यायाम के लिए इधर-उधर उछल-कूद और दौड़-धूप या और कोई साधारण कृत्य; मामला, बात; बहुत तुच्छ काम, काम-क्रीड़ा, विषय-विकार; किसी प्रकार का तमाशा या अभिनय; कोई विचित्र कार्य; (स्त्री.)-चौपायों के पानी पीने का कुंड।
खेलना (हिं.क्रि.अक.)-खेल करना, मन बहलाना; विहार करना, काम-क्रीड़ा करना; देवी या भूत के प्रभाव से सिर आदि हिलाना; अभिनय आदि करना।
खेवट (हिं.पु.)-पटवारी का एक का$गज़ जिसमें हर एक पट्टीदार की ज़मीन का विवरण होता है; नाव खेनेवाला, मल्लाह, माँझी।
ख़्ोश ($फा.पु.)-स्वत:, आप; स्वयं, ख़्ाुद; दामाद, जवाँई, जामाता; अज़ीज़, स्वजन।
ख़्ोश ($फा.पु.)-एक मोटा कपड़ा, खेस।
ख़्ोशतन ($फा.पु.)-स्वयं, ख़्ाुद, अपने आप, स्वत:।
ख़्ोशदार ($फा.पु.)-वह व्यक्ति, जो स्वयं को आपत्तियों-विपत्तियों से बचाता हुआ जीवन व्यतीत करे।
ख़्ोशदारी ($फा.स्त्री.)-स्वयं को आपत्तियों-विपत्तियों से बचाते हुए जीवन-यापन करना।
ख़्ोशपर्वर ($फा.वि.)-अपने परिजनों और मित्रों का पालन-पोषण करनेवाला, उनको अनुचित रिअ़ायत देनेवाला।
ख़्ोशपर्वरी ($फा.स्त्री.)-अपने परिजनों और स्वजनों का पालन-पाषण करने और उनको अनुचित रिअ़ायत देने की प्रवृत्ति।
ख़्ोशावंद ($फा.पु.)-अपने रिश्तेदार, अज़़ीज़, अक़ारिब, स्वजन या परिजन।
ख़्ोशावंदी ($फा.स्त्री.)-सम्बन्ध, रिश्तेदारी, अपनत्व।
ख़्ोशी ($फा.स्त्री.)-स्वजनता, अपनायत, अपनापन; दामादी।
खेस ($हिं.पु.)-ओढऩे-बिछाने का मोटा सूती कपड़ा।
ख़्ोसांद: ($फा.पु.)-पानी में भीगी हुई वे दवाएँ जो बिना औटाये ही पी जाएँ।
ख़्ोसानीदन ($फा.क्रि.)-भिगोना।
ख़्ोसीदन ($फा.क्रि.)-भीगना।
ख़्ोसीदनी ($फा.वि.)-भीगने के योग्य।
खेह (हिं.स्त्री.)-धूल, गर्द, राख, ख़्ााक। 'खेह खानाÓ-धूल फाँकना, व्यर्थ समय खोना; दुर्दशाग्रस्त होना।
No comments:
Post a Comment