कु, $कु
कुंग ($फा.वि.)-हृष्ट-पुष्ट, मोटा-ताज़ा; बलवान्, ता$कतवर, शक्तिशाली; छुहारों का गुच्छा।कुंगुर: ($फा.पु.)-किसी बड़ी इमारत या भवन आदि की गुमटी, छोटा गुम्बद, कँगूरा।
कुंगुर ($फा.पु.)-दे.-'कुंगुर:Ó।
कुंज ($फा.पु.)-एकान्त, निर्जनस्थल; गोश:, किनारा, कोना।
कुंजकावी ($फा.स्त्री.)-विचार, $गौर, ध्यान; तलाश, खोज, जिज्ञासा; परिश्रम, मेहनत।
कुंजड़ा (हि.सं.पु.)-तरकारी बेचनेवाला, सब्ज़ी बेचनेवाला। 'कुंजड़े-$कसाईÓ-निम्न-श्रेणी के लोग, नीचे दर्जे के लोग। 'कुंजड़े का गल्लाÓ-ऐसा हिसाब, जिसकी आमदनी और ख़्ार्च का पता ही न चले, गड़बड़ हिसाब।
कुंजद ($फा.स्त्री.)-एक प्रसिद्घ बीज, तिल, तिल्ली।
कुंजा ($फा.क्रि.वि.)-कहाँ, किस जगह।
कुंजार: ($फा.पु.)-तेल निकालने के बाद बचनेवाला बीज का फोक, खल, खली।
कुंजिश्क ($फा.स्त्री.)-गौरैया, चटक, वह छोटी चिडिय़ा जो घरों में रहती है।
कुंजे इंजि़वा (अ़.फ़ा.पु.)-निर्जनस्थल, एकांत, अकेला स्थान, गोश:।
कुंजे उज़्लत (अ़.$फा.पु.)-दे.-'कुंजे इंजि़वाÓ।
कुंजे $क$फस (अ़.$फा.पु.)-पिंजरे का कोना, पिंजरे का एकांत स्थान; ज़ेलख़्ााना, $कैदख़्ााना, कारागार।
कुंजे ख़्ाल्वत (अ़.$फा.पु.)-दे.-'कुंजे इंजि़वाÓ।
कुंजे तन्हाई (फा.पु.)-दे.-'कुंजे इंजि़वाÓ।
कुंजेदहन (फा.पु.)-मुँह का कोना, मुँह का दहाना।
कुंजेराँ (फा.पु.)-रान की जड़, चिड्ढा।
कुंजेलह्द (अ़.$फा.पु.)-$कब्र या समाधि का एकान्त स्थान, $कब्र का कोना।
कुंद: (फा.पु.)-लकड़ी का मोटा और छोटा टुकड़ा; लकड़ी का वह मोटा टुकड़ा, जिस पर गोश्त रखकर $कस्साब कीमा बनाते हैं; दरख़्त का तना; सूराख़्ादार मोटी लकड़ी, जिसमें बड़े अपराधियों के पाँव डाल देते हैं ताकि वह भाग न सकें; बंदू$क की वह तिकोनी लकड़ी, जिसमें घोड़ा और नाल लगी होती है; बंदू$क का पिछला हिस्सा; दस्ता, $कब्ज़ा; पक्षी का बाज़ू, डेना; खोया, मावा। 'कुंदा कसनाÓ या 'कुंदा भूननाÓ-दूध का खोया बनाना। 'कुंदा चढ़ानाÓ-बंदू$क की नाल में लकड़ी का दस्ता लगाना। 'कुंदे तोलनेÓ-पक्षी का अपने पंख समेटकर उडऩे के उद्देश्य से अपनी बाज़ुओं को हिलाना; कहीं जाने का इरादा करना; (वि.)-खुदा हुआ। 'कुंदए नातराशÓ-बेतमीज़, बेसली$का, जाहिल, मूर्ख, उजड्ड, गँवार।
कुंद:कार ($फा.वि.)-दे.-'कंद:कारÓ, वही शुद्घ है।
कुंद:कारी ($फा.स्त्री.)-दे.-'कंद:कारीÓ, वही शुद्घ है।
कुंद (फा.पु.)-मंद, सुस्त, आलसी; कुंठित, गुठला; स्तब्ध, अवाक्, जैसे-'कुंद ज़ेह्नÓ-कुंठित बुद्घिवाला, ठस; मंद, मूढ़, भोथरा। (सं.पु.)-जूही के समान एक पौधा; कनेर का पेड़; कमल; एक पर्वत का नाम; कुबेर की नौ निधियों में से एक; नौ की संख्या; विष्णु; कुंदुर नामक गोंद।
कुंदए नातराश (फा.पु.)-निरा मूर्ख, पूरा बेवकू$फ, अक्खड़, असभ्य, उजड्ड, घामड़, बुद्धू, बिना तराशी लकड़ी का मोटा टुकड़ा।
कुंदएपा (फा.पु.)-एक मोटी और भारी लकड़ी, जिसमें अनेक छेद होते हैं, जिनमें अपराधी के पाँव डाल दिए जाते हैं।
कुंदज़ेह्न (अ़.$फा.वि.)-जो कुशाग्रबुद्घि न हो, जिसका ज़ेह्न तेज़ न हो, मंदप्रतिभ, मंदबुद्घि।
कुंदपीर ($फा.स्त्री.)-बहुत बूढ़ी औरत, सठियाई मूर्खा स्त्री।
कुंदा (फा.पु.)-दे.-'कुंद:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
कुंदा$क (तु.पु.)-बन्दू$क का कुंदा।
कुंदावर (फा.पु.)-कुशाग्र, मेधावी, दाना, अ़क़्लमंद; हकीम, वैद्य, वैज्ञानिक; मल्ल, पहलवान।
$कुंदुज़ (अ़.पु.)-कुत्ते की प्रजाति का एक जन्तु, जिसकी खाल से पोस्तीन (शीत-निरोधक वस्त्र) बनते हैं; उस जानवर का पोस्तीन; जल-कुक्कुर, पानी का कुत्ता।
कुंदुर (फा.पु.)-एक प्रकार का गोंद, जो दवा में काम आता है।
कुंदुलान (तु.पु.)-वह बड़ा ख़्ोमा, जो राजा-महाराजाओं के दरवाज़े पर लगाया जाता था।
कुंदुश (अ़.अव्य.)-दे.-'कुंदुरÓ; दे.-'अक़्अ$कÓ।
कुंदू (फा.पु.)-बर्तन, पात्र।
कुंदूएआब (फा.पु.)-जलपात्र, पानी की टंकी या हौज़।
कुंदूएग़ल्ल: (फा.पु.)-अनाज का कोठार या बखारी।
कुआँ (हिं.पु.)-वह खोदा हुआ गड्ढ़ा जिसमें से प्राकृतिक पानी निकालते हैं।
$कुऊद (अ़.पु.)-बैठने की क्रिया या भाव, बैठक; नमाज़ में बैठने का अ़मल या कर्म।
कु$कनस (अ़.यू.पु.)-दे.-'$कुक्ऩुसÓ, वही शुद्घ है।
$कुक्ऩुस (अ़.पु.)-एक ऐसी कल्पित चिडिय़ा, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह बहुत ही मधुर गाना गाती है और यूनानियों ने उसी से गायन-विद्या सीखी थी। उस चिडिय़ा के बारे में यह भी मशहूर है कि वह जब गाना गाती है तो आग लग जाती है।
कुख़्ा कुख ($फा.अव्य.)-खाँसने का स्वर।
$कुच (तु.पु.)-मेढ़ा, नर भेड़ जिसके सींग होते हैं और जो लड़ाई के काम आता है।
कुच (सं.पु.)-स्तन, छाती। (वि.)-सिकुड़ा हुआ; कृपण, कंजूस।
कुचलना (हिं.क्रि.सक.)-किसी चीज़ पर बार-बार ऐसी दाब डालना कि वह विकृत हो जाए; पैरों से रौंदना या दबाना।
कुछ (हिं.वि.)-थोड़ा-सा, टुक। (सर्व.)-कोई; कोई अच्छी बात; कोई सार वस्तु। (क्रि.वि.)-थोड़े परिमाण में।
$कुज़ह (अ़.पु.)-इन्द्र, इन्द्रदेव, वह देवता या $फरिश्ता जो बरसात लाने के लिए मेघों और बादलों का प्रबन्ध करता है।
कुजा ($फा.अव्य.)-किस जगह, किधर, कहाँ, किस स्थान पर। (हिं.स्त्री.)-सीता, जानकी, कत्यायिनी का नाम।
$कुज़ाअ़: (अ़.पु.)-एक समुद्री जन्तु, जिसके अण्डकोषों से 'जुंदबे वस्तरÓ निकलता है, जो दवा में काम आता है, समुद्री ऊदबिलाव।
कुज़ाज़़ (अ़.पु.)-रगों और पट्ठों के खिंचाव से उत्पन्न होनेवाली एक पीड़ा।
$कुज़ात (अ़.पु.)-'$काज़ीÓ का बहु., निकाह पढ़ानेवाले $काज़ी; न्यायकर्ता $काज़ी।
$कुज़ुर (अ़.स्त्री.)-गन्दगी, अपवित्रता, पलीदी।
कुतका (तु.पु.)-दे.-'कुत्क:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
कुतबा (अ़.पु.)-दे.-'कुत्ब:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
कुतल (तु.पु.)- विशेष सवारी का घोड़ा। 'कोतलÓ भी प्रचलित है।
$कुतास (तु.पु.)-पहाड़ी गाय (सुरा गाय) की पूँछ, जिससे मोरछल बनता है।
$कुतुन (अ़.पु.)-कपास; कपास का खेत; रुई, तूल।
कुतुब (अ़.स्त्री.)-'किताबÓ का बहु., किताबें, पुस्तकें।
कुतुबख़्ाान: (अ़.$फा.पु.)-किताबों की दूकान, पुस्तकालय।
कुतुबख़्ााना (अ़.$फा.पु.)-दे.-'कुतुबख़्ाान:Ó, वही शुद्घ है।
कुतुब$फरोश (अ़.$फा.वि.)-पुस्तकें बेचनेवाला, पुस्तक-विक्रेता।
कुतुब$फरोशी (अ़.$फा.स्त्री.)-किताबें बेचने का काम।
$कुतू$फ (अ़.पु.)-'$कत्$फÓ का बहु., मेवे, फल आदि।
कुत्क: (तु.पु.)-मोटा और छोटा डण्डा; पुरुष की इन्द्रिय, लिंग।
$कुत्ताअ़ (अ़.वि.)-'$कातेÓ का बहु., काटनेवाला।
$कुत्ताअ़ उत्तरी$क (अ़.वि.)-रास्ते में लूटनेवाले, मार्ग-लुटेरे, राहजऩ, डाकू, लुटेरे, बटमार।
$कुत्ती (तु.स्त्री.)-संदू$कची, पिटारी, गठरी।
$कुत्न (अ़.पु.)-रुई, कपास। दे.-'$कुतुनÓ, दोनों शुद्घ हैं।
$कुत्नी (अ़.पु.)-सूत या कपास का बना हुआ कपड़ा; रेशम और सूत मिला हुआ कपड़ा।
कुत्ब: (अ़.पु.)-लेख; वह लेख, जो किसी $कब्र या मस्जिद वगैरह के पत्थर पर खुदवाकर लगाते हैं; वह गद्य या पद्य, जो किसी की प्रशंसा में पत्थर पर लिखते हैं।
$कुत्ब (अ़.पु.)-पृथ्वी का धुरा, ध्रुव; एक तारा, जो अपने स्थान पर स्थिर रहता है, ध्रुवतारा; वह कील, जिस पर चक्की घूमती है; वह कीली जिस पर कोई भी चीज़ घूमे; सालार, सरदार, नायक, नेता, अग्रसर; वह वली-अल्लाह, जिस पर दुनिया के किसी हिस्से के इन्तिज़ाम और देख-रेख का दायित्व हो; एक प्रकार के मुसलमान $फ$कीर, जिनके सिपुर्द (सुपुर्द, हवाले) कोई बड़ा इला$का होता है, (वि.)-उम्दा, श्रेष्ठ, बढिय़ा।
$कुत्बनुमा (अ़.फा.पु.)-दिग्दर्शक-यंत्र, दिशा बतानेवाला यंत्र, दिशा-सूचक, कुतुबनुमा।
$कुत्बी (अ़.वि.)-$कुत्ब या ध्रुव-सम्बन्धी, (उ.स्त्री.)- या$कूत अर्थात् मानक या पन्ना का छोटा नग या नगीना।
$कुत्बे जुनूबी (अ़.पु.)-दक्षिणी ध्रुव।
$कुत्बे शिमाली (अ़.पु.)-उत्तरी ध्रुव।
$कुत्बैन (अ़.पु.)-दक्षिणी और उत्तरी दोनों ध्रुव।
$कुत्र (अ़.पु.)-वह रेखा, जो किसी परिधि से गुजऱती हुई उसे दो बराबर के भागों में बाँट दे, व्यास-रेखा।
$कुत्रुब (अ़.पु.)-एक बहुत छोटा कीड़ा, जो पानी पर दौड़ता रहता है और कभी नहीं थमता; पागलपन की एक श्रेणी या $िकस्म, इस रोग का रोगी किसी एक स्थान पर नहीं ठहरता और सब से दूर भागता रहता है।
$कुदमा (अ़.पु.)-'$कदीमÓ का बहु., पुराने लोग; प्राचीन विद्वान् लोग; प्राचीन वैज्ञानिक लोग।
$कुदरत (अ़.स्त्री.)-दे.-'$कुद्रतÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
$कुदरती (अ़.वि.)-दे.-'$कुद्रतीÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
$कुदरी करना (उर्दू में अ़ौरतों की बोली.)-कोशिश करना, दबाव डालना।
$कुदुस (अ़.वि.)-शुद्घ, पवित्र, पाक; पवित्रता, पाकीजग़ी।
$कुदूम (अ़.पु.)-आगमन, पदार्पण, आना।
$कुदूर (अ़.स्त्री.)-'$िकद्रÓ का बहु., हाँडिय़ाँ, देगचियाँ।
कुदूरत (अ़.स्त्री.)-मैल, मलिनता, गँदलापन; मनोमालिन्य, शकररंजी।
$कुद्दूस (अ़.वि.)-अत्यन्त निर्मल, बहुत-ही पवित्र, बहुत-ही पाक; ईश्वर का एक नाम।
$कुद्रत (अ़.स्त्री.)-प्रकृति, निसर्ग, नेचर, $िफत्रत; सामथ्र्य, शक्ति, मक़्दूर; दैवी माया, ख़्ाुदा की $कुदरत; वश, ज़ोर; शक्ति, ता$कत; दौलतमंदी, समृद्घि। मुहा.-'$कुद्रत के खेलÓ-ईश्वर की लीला। '$कुद्रत के कारख़्ाानेÓ-ईश्वर की लीला। '$कुद्रत का खिलौनाÓ-जो जन्म से ही सुन्दर हो।
$कुद्रतन (अ़.वि.)-प्राकृतिक रूप से, $कुदरती तौर पर।
$कुद्रती (अ़.वि.)-असली, स्वाभाविक, प्राकृतिक, नेचुरल; ईश्वरीय, दैवी, ख़्ाुदाई; प्रकृति से सम्बन्धित।
$कुद्रते ह$क (अ़.स्त्री.)-ईश्वर की माया, ख़्ाुदा की $कुदरत।
$कुद्स (अ़.पु.)-शुद्घता, पवित्रता, पाकीजग़ी; पवित्र, पाक; यरुस्लम का एक पहाड़।
$कुद्सी (अ़.पु.)-पवित्र, पाक; $फरिश्ता, देवदूत।
$कुद्सियाँ (अ़.पु.)-'$कुद्सीÓ का बहु., $फरिश्ते, देव-दूत; ऋषिगण, औलिया।
$कुद्सी (अ़.वि.)-$फरिश्ता, देवदूत।
$कुद्सी सि$फात (अ़.वि.)-देवोपम, देवात्मा, $फरिश्तों-जैसे गुणोंवाला।
कुन (फा.प्रत्य.)-कर्ता, करनेवाला, जैसे-'कारकुनÓ-काम करनेवाला, (यौगिक शब्दों के अन्त में प्रयुक्त)।
कुन (अ़.क्रि.)-हो जा। ये शब्द ईश्वर के मुख से निकले थे तभी सृष्टि की रचना हुई थी।
कुनबा (हिं.पु.)-कुटुम्ब, परिवार, ख़्ाानदान।
कुनह (फा.स्त्री.)-बात की तह, तत्त्व, तथ्य; बारीकी, सूक्ष्मता, जैसे- 'बात-बात में कुनह निकालनाÓ-हर बात की तह तक जाना।
कुनाम (फा.पु.)-तबेला, पशुओं का निवास-स्थान; चिडिय़ों का घोंसला; गोचर, चारागाह।
$कुनार (अ़.पु.)-लम्बी लकड़ी या लोहे की सलाख़, जिस पर बकरी की खाल उधेड़कर टाँगते हैं।
कुनार ($फा.पु.)-बेर, बेरी, कोल, बदरी।
कुनारे दश्ती ($फा.पु.)-जंगली बेर, झरबेरी।
कुनास: (अ़.पु.)-झाड़ू में बटोरा हुआ कूड़ा-करकट।
कुनिश्त ($फा.पु.)-पूजाघर, उपासनागृह, इबादतख़्ााना; अग्निशाला, आतशकदा; मंदिर, मूर्तिगृह, बुतख़्ााना।
$कुनु$क (अ़.पु.)-अथिति, आगन्तुक, मेहमान।
$कुनूअ़ (अ़.पु.)-$कानेÓ होना, नि:स्पृह होना, जो कुछ मिल जाए उसी पर संतुष्ट रहना, यथालाभ संतोष।
कुनूज़ (अ़.पु.)-'कंज़Ó का बहु., ख़्ाज़ाने, निधियाँ।
$कुनूत (अ़.पु.)-निराशा, नाउम्मीदी। इसका 'तÓ उर्दू के 'तोयÓ अक्षर से बना है।
$कुनूत (अ़.पु.)-आज्ञापालन करना, $फर्माबरदारी करना, आदेश मानना; नमाज़ में चुप खड़ा होना; दुअ़ा पढऩा। इसका 'तÓ उर्दू के 'तेÓ अक्षर से बना है।
$कुनूती (अ़.वि.)-निराशावादी, जिसका विचार हो कि उसे किसी कार्य में सफलता नहीं मिलेगी; निराश, नाउम्मीद।
$कुनूतीयत (अ़.स्त्री.)-निराशावाद।
कुन्द ($फा.वि.)-दे.-'कुंदÓ।
कुन्दा (फा.पु.)-दे.-'कुंद:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
कुन्दी (हि.सं.स्त्री.)-मोगरी, जिससे धोबी कपड़ों को कूट-कूटकर धोते हैं; मार-पीट। 'कुन्दी करनाÓ-ख़्ाूब पीटना, मारना।
कुन्दीगर (हि.वि.)-रेशमी और उम्दा कपड़ों की धुलाई करनेवाला।
कुन्नियत (अ़.स्त्री.)-दे.-शुद्घ उच्चारण 'कुन्यतÓ, कुल या वंश का नाम, गोत्र; नाम का वह रूप, जिसमें नामी का वंश भी सूचित होता है, जैसे-'अबुल हसनÓ यानी हसन का बेटा।
$कुन्$फज़ (अ़.स्त्री.)-दे.-'$कुन्$फुज़Ó, दोनों शुद्घ हैं।
$कुन्$फुज़ (अ़.स्त्री.)-साही, सेहाँ, एक जंगली जन्तु जिसके शरीर पर काँटे होते हैं।
$कुन्य: (अ़.पु.)-पूँजी, सरमाया।
कुन्यत (अ़.स्त्री.)-वह नाम, जिसमें अऱबी परम्परा के अनुसार अपने पिता, माता या लड़के का सम्बन्ध प्रकट किया जाए, जैसे-'अबुलहसनÓ या 'उम्मेकुल्सूमÓ, उपाधि, लक़ब।
कु$फात (अ़.पु.)-'का$फीÓ का बहु., अ़क़्लमंद लोग, विवेकी लोग, समझदार लोग, बुद्घिमान् लोग।
$कु$फुल (अ़.पु.)-तालिका, ताला, द्वारयंत्र, दे.-'$कुफ़्लÓ।
कु$फूर (अ़.पु.)-कृतघ्नता, अकृतज्ञता, नाशुक्री।
$कुफ़्$फ: (अ़.पु.)-उच्च, ऊँचा; ऊंँची भूमि; ऊँचा स्थान।
कुफ़्$फार (अ़.पु.)-'का$िफरÓ का बहु., ईश्वर को न मानने-वाले, नास्तिक लोग, का$िफर लोग, अनास्थावान्।
कुफ्ऱ (अ़.पु.)-एक ईश्वर को न मानकर बहुत-से देवी-देवताओं की उपासना करना; इस्लाम की आज्ञाओं के विरुद्घ आचरण; अस्वीकृति, $कबूल न करना; अकृतज्ञता, कृतघ्नता, नाशुक्री; हठ, जि़द। मुहा.-'कुफ्ऱ तोडऩाÓ-किसी को अपने अनुकूल करना; जि़द दूर करना; किसी को मुश्किल से मनवाना। 'कुफ्ऱ का $फत्वा देनाÓ-किसी को कुफ्ऱ या दोषी ठहराना, किसी के अधर्मी होने की व्यवस्था देना।
कुफ्ऱ आश्ना ($फा.वि.)-जो अनीश्वरवादी हो, जिसे कुफ्ऱ से प्रेम हो, जो नास्तिकों अथवा का$िफरों से प्रेम करता हो, जो स्वयं आधा का$िफर हो, पाप-परायण।
कुफ्ऱान (अ़.पु.)-कृतघ्नता, एहसान $फरामोशी।
कुफ्ऱाने नेÓमत (अ़.पु.)-ईश्वर की दी हुई कृपाओं और नेÓमतों (नियामतों) के प्रति अकृतज्ञता का भाव।
कुफ्रि़स्तान (अ़.$फा.पु.)-नास्तिकों अथवा का$िफरों के रहने का स्थान; ऐसा स्थान, जहाँ अत्याचारी लोगों के कारण न्याय और नीति का व्यवहार न हो।
कुफ्ऱोइल्हाद (अ़.पु.)-नास्तिकता, बेदीनी, अधर्म।
$कुफ़्ल (अ.पु.)-ताला, तालिका, द्वारयंत्र।
$कुफ़्लबंद (अ.वि.)-वह चीज़, जिसमें ताला लगा हो।
$कुफ़्ल शिकनी (अ़.$फा.स्त्री.)-घर या दूकान आदि का ताला टूटना, चोरी होना।
$कुफ़्ली (उ.स्त्री.)-ढक्कनदार बर्तन, जैसे-ब$र्फ की $कुफ़्ली (कुल्$फी); पेंचदार बर्तन, जो एक-दूसरे में फँस जाते हैं; पहलवानों का एक दाँव।
$कुफ़्ले वस्वास (अ़.पु.)-गोरखधंधा।
$कुबब (अ़.पु.)-'$कुब्ब:Ó का बहु., $कुब्बे, गुमटियाँ, छोटे गुंबद।
कुबरा (अ़.पु.)-'कबीरÓ का बहु., प्रतिष्ठितजन, बड़े लोग।
$कुबुल (अ़.पु.)-'$कबीलÓ का बहु., दल, गिरोह, जत्था; सामने की वस्तु, सामने का रुख़्ा; सामने का शरीर।
$कुबूब (अ़.पु.)-कोलाहल करना, शोर मचाना; शत्रुता और लड़ाई; शरीर की खाल और मांस का मुरझाना; धान का सूखना।
$कुबूर (अ़.स्त्री.)-'$कब्रÓ का बहु., $कब्रें, समाधियाँ।
$कुबूल (अ़.पु.)-सामने आना, उपस्थित होना; पसंद, मंजूर, स्वीकार, अंगीकार।
$कुब्ब: (अ़.पु.)-कलश, गुमटी, बुजऱ्ी, छोटा गुंबद; गेंद की आकृति का कलश।
$कुब्बा (अ़.पु.)-दे.-'$कुब्ब:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
$कुब्बर: (अ़.पु.)-सुख्ऱ्ााब पक्षी, चकवा पक्षी; अबाबील पक्षी, भांडली।
कुब्रा (अ़.स्त्री.)-'अक्बरÓ का स्त्रीवाचक, बहुत बड़ी, जैसे-'$िकयामते कुब्राÓ-बहुत बड़ी आपत्ति।
$कुब्ल: (अ़.पु.)-चुम्बन, बोसा।
$कुब्ल (अ़.स्त्री.)-अ़ौरत की योनि, भग, $फुजऱ्।
$कुब्ह (अ़.पु.)-त्रुटि, $गलती; दोष, ऐब, ख़्ाराबी; भोंडापन। $कुम (अ़.क्रि.)-'जी उठÓ, 'उठ-बैठÓ, 'खड़ा हो जाÓ (ये वे शब्द हैं, जिनके उच्चारण से हज्ऱत ईसा मृत व्यक्ति को जीवित कर देते थे)।
कुम [म्म] (अ़.पु.)-आस्तीन।
कुमक (तु.स्त्री.)-दे.-'कुमुकÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
$कुम$कुमा (अ़.पु.)-दे.-'$कुम्$कुम:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
$कुमरी (अ़.स्त्री.)-दे.-'$कुम्रीÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
$कुमल (अ़.स्त्री.)-जूँ, वह छोटा कीड़ा जो बालों और कपड़ों में पड़ जाता है।
कुमाच: (तु.पु.)-एक प्रकार की रोटी।
कुमाज (तु.स्त्री.)-वह रोटी, जो कहीं से पतली और कहीं से मोटी हो; मोटी और गोल चीज़।
$कुमाम: (अ़.पु.)-वह कूड़ा-कर्कट, जो घर की स$फाई करने या उसे झाडऩे पर निकले; मनुष्यों का दल, जत्था।
$कुमाश (अ़.पु.)-कपड़ा, वस्त्र, लिबास; घर का सामान; गुण, हुनर।
कुमुक (तु.स्त्री.)-पक्षपात, तर$फदारी; सहारा, सहायता, मदद; काम अथवा युद्घ में मदद।
कुमेज़ ($फा.पु.)-मूत्र, मूत, पेशाब।
कुमैत (अ़.पु.)-कालिमा लिये हुए लाल घोड़ा, जिसकी पूँछ और अयाल के बाल काले हों; अंगूर की लाल मदिरा।
$कुम्$कुम: (अ़.पु.)-एक प्रकार की छोटी कंदील; काँच का गोल लट्टू, जो छतों की सजावट के काम आता है; बिजली का बल्ब, कूज़ा; प्याला; लाख का बना हुआ एक प्रकार का पोला गोला, जिसमें अबीर और गुलाल भरकर होली में एक-दूसरे पर फेंकते हैं; एक प्रकार का तंग मुँह का छोटा लोटा।
$कुम्म: (अ़.पु.)-प्रत्येक वस्तु का सिरा; प्रत्येक वस्तु की ऊँचाई, चोटी; जत्था, गिरोह; जनसमुदाय।
$कुम्मल (अ़.पु.)-'$कुम्मल:Ó का बहु., किलनियाँ, जो पशुओं की देह में चिपककर उनका रक्त पीती हैं; टिड्डियाँ।
कुम्मस्रा (अ़.पु.)-अमरूद, एक प्रसिद्घ फल।
$कुम्मा (तु.स्त्री.)-दासी, लौंडी, कनीज़।
कुम्मैत (अ़.पु.)-दे.-'कुमैतÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
$कुम्री (अ़.स्त्री.)-एक स$फेद पक्षी, पंडुक-प्रजाति की एक चिडिय़ा; भीख माँगनेवाली जाति-विशेष की स्त्री; अ़ाशि$क।
$कुम्ल (अ़.पु.)-बालों में पडऩेवाला छोटा कीड़ा, जूँ।
कुम्लक (तु.पु.)-वस्त्र, लिबास; कुर्ता, $कमीज़।
कुयूस (अ़.पु.)-'कास:Ó का बहु., प्याले, कटोरे।
कुरंग ($फा.पु.)-लाल रंग का घोड़ा।
कुर: (अ़.पु.)-परिधि, घेरा, वर्तुल; गोला, मण्डल; गेंद, कंदुक।
$कुर [र्र] (अ़.पु.)-शीतकाल, जाड़े का मौसम, सर्दऋतु।
$कुरअ़ (अ़.पु.)-जुआ खेलने अथवा रमल आदि में फेंकने का पाँसा; किसी बात का निर्णय करने के लिए उठाई जाने-वाली गोली। दे.-'$कुअऱ्:Ó।
$कुरअ़अंदाज़ (अ़.पु.)-रम्माल, रमल देखनेवाला, पाँसा फेंकनेवाला।
कुरए अज़ऱ् (अ़.पु.)-भू-मण्डल, भूगोल।
कुरए आतश (अ़.$फा.पु.)-अग्निमण्डल, आग का घेरा, अग्नि का गोला।
कुरए आफ़्ताब (अ़.$फा.पु.)-सूर्यमण्डल, रविमण्डल, सूर्य का गोला।
कुरए आब (अ़.$फा.अव्य.)-सारी पृथ्वी पर फैला हुआ जल।
कुरए आस्माँ (अ़.$फा.पु.)-खगोल, आकाशमण्डल।
कुरए ज़मीं (अ़.$फा.पु.)-भू-मण्डल, भूगोल।
कुरए ज़म्हरीर (अ़.$फा.पु.)-वह वायुमण्डल, जो बहुत-ही ठण्डा है।
कुरए नार (अ़.पु.)-अग्निमण्डल, आग का घेरा।
कुरए $फलक (अ़.पु.)-आकाशमण्डल, खगोल।
कुरए बाद (अ़.$फा.पु.)-वायुमण्डल।
कुरए माह (अ़.$फा.पु.)-चन्द्रमण्डल।
कुरए शम्स (अ़.पु.)-दे.-'कुरए आफ़्ताबÓ।
कुरए हवा (अ़.पु.)-दे.-'कुरए बादÓ।
$कुर$क (तु.पु.)-दे.-'$कु$र्कÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
$कुर$की (तु.स्त्री.)-दे.-'$कु$र्कीÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
कुरग: (तु.पु.)-धौंसा, बड़ा नगाड़ा, दुंदुभि।
कुरता (तु.पु.)-दे.-'कुर्ताÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
$कुरबत (अ़.स्त्री.)-दे.-'$कुर्बतÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
$कुरबान (अ़.वि.)-दे.-'$कुर्बानÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
$कुरमसा$क (तु.पु.)-वह निर्लज्ज व्यक्ति, जो अपनी पत्नी की कमाई खाता हो।
$कुरशी (अ़.वि.)-'$कुरैशÓ वंश से सम्बन्ध रखनेवाला। इस अर्थ में '$कुरैशीÓ अशुद्घ है।
कुरसी (अ़.स्त्री.)-दे.-'कुर्सी, वही उच्चारण शुद्घ है।
कुरसीनामा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'कुर्सीनाम:Ó, वही शुद्घ है।
$कुरहा (अ़.पु.)-दे.-'$कुर्ह:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
$कुराÓ (अ़.पु.)-'$कुअऱ्:Ó का बहु., पाँसे।
$कुरा (अ़.पु.)-'$कर्य:Ó का बहु., बहुत-से गाँव, ग्राम-समूह।
कुराअ़ (अ़.पु.)-पशु की पिंडली, गाय-भैंस या बकरी के पाये; घोड़ों का समूह; पर्वत की चोटी, शिखर।
$कुराज़: (अ़.पु.)-वह कण या कतरन, जो कैंची से कटकर गिरे; सोने और चाँदी का कण या कतरन।
$कुराज़ा (अ़.पु.)-दे.-'$कुराज़:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
$कुरात (अ़.पु.)-'$कारीÓ का बहु., $कारी लोग, $कुरान को शुद्घ उच्चारण से पढऩेवाले हा$िफज़।
$कुराद (अ़.स्त्री.)-पशुओं का रक्त पीनेवाला एक कीड़ा, किलनी।
$कुरान (तु.पु.)-दे.-'$कुर्आनÓ, शुद्घ उच्चारण वही है परन्तु $फार्सीवालों ने '$कुरानÓ भी प्रयोग किया है, अत: इसे भी ठीक मान लिया गया। मुसलमानों की धर्म-पुस्तक।
कुरास: (अ़.पु.)-पुस्तक, किताब, ग्रंथ; $कुरान शरी$फ।
कुरीज़ ($फा.स्त्री.)-पक्षियों का पुराने पर (पंख) झाडऩा और नए पर निकालना, (वि.)-मक्कार, बहानेबाज़, कपटी।
$कुरुत (तु.पु.)-जमा हुआ दूध, दही, दधि।
$कुरुती (तु.पु.)-एक प्रकार का दलिया, जिसमें सूखा दही डाला जाता है।
$कुरून (अ़.पु.)-'$कर्नÓ का बहु., बहुत-से युग, बहुत-से ज़माने; बहुत-से सींग।
$कुरूने ऊला (अ़.पु.)-प्रारम्भिक काल, इब्तिदाई ज़माना, इस्लाम का प्रारम्भिक काल।
$कुरूने ख़्ाालिय: (अ़.पु.)-बीते हुए युग, गुजऱे हुए ज़माने, पुराने ज़माने, अतीत, भूतकाल।
$कुरूनेवुस्ता (अ़.पु.)-मध्यवर्ती समय, बीच का युग, दरमियानी ज़माना, इस्लाम का मध्यवर्ती काल।
कुरूब (अ़.पु.)-'कर्बÓ का बहु., कष्ट, पीड़ाएँ, आकुलताएँ व्याकुलताएँ।
$कुरूह (अ़.पु.)-'$कर्ह:Ó का बहु., अनेक घाव, बहुत-सी चोटें।
कुरेदना (हिं.क्रि.सक.)-खुरचना, खरोचना।
$कुरैश (अ़.पु.)-अऱब का एक प्रतिष्ठित वंश, जिसमें हज्ऱत मुहम्मद साहब उत्पन्न हुए थे।
$कुरैशी (अ़.वि.)-दे.-'$कुरशीÓ, वही शुद्घ उच्चारण है मगर उर्दू में '$कुरैशीÓ भी बोलते हैं।
कुरोह ($फा.पु.)-एक कोस या दो मील का अन्तर, कोस, क्रोश।
$कुअऱ्: (अ़.पु.)-पाँसा, पाशक, सारि, शारि।
$कुअऱ्: अंदाज़ (अ़.$फा.पु.)-पाँसा फेंकनेवाला; शुभ-अशुभ का शकुन विचारनेवाला।
$कुअऱ्: अंदाज़ी (अ़.$फा.स्त्री.)-पाँसा फेंकना, किसी विषय में निर्णय के लिए पाँसा फेंकना।
$कुअऱ्ए $फाल (अ़.पु.)-अच्छा-बुरा जानने अथवा शकुन विचारने के लिए पाँसा फेंकना।
$कुर्आन (अ़.पु.)-मुसलमानों का धर्म-ग्रंथ, जो उनके मतानुसार आस्मानी किताब है, जिसमें तीस 'पारेÓ, छोटी-बड़ी एक सौ चौदह 'सूरतेंÓ, छह हज़ार छह सौ चालीस 'आयतेंÓ और पाँच सौ चालीस 'रुकूअ़Ó हैं।
$कु$र्क (तु.पु.)-ज़ब्ती, बंदिश, रोक; रोका हुआ, वर्जित; मना किया हुआ, निषिद्घ; रोकना, अलग रखना; देखभाल, निगरानी।
$कु$र्क अमीन (तु.अ़.वि.)-दीवानी अ़दालत या मालगुज़ारी का वह कर्मचारी जो डिग्री या मुतालबे (बकाया राशि जमा न कर पाने की अवस्था) में $कु$र्की अर्थात् ज़ब्ती करता है।
$कु$र्की (तु.स्त्री.)-किसी डिग्री आदि में सरकारी कर्मचारी द्वारा जायदाद, माल या रुपये की ज़ब्ती।
कुर्की (अ़.पु.)-कुलंग नामक एक पक्षी।
कुर्कुम ($फा.पु.)-केसर, ज़ाÓ$फरान।
कुर्त: (तु.पु.)-पहनने का $कमीज़-जैसा एक वस्त्र।
$कुर्त (तु.पु.)-लटकन, गोशवारा, कान में पहनने का बुन्दा। इसका 'तÓ उर्दू के 'तोयÓ अक्षर से बना है।
$कुर्त (तु.पु.)-जमाया हुआ दूध, दही, दधि। इसका 'तÓ उर्दू के 'तेÓ अक्षर से बना है।
$कुर्त$क (अ़.पु.)-दे.-'कुर्त:Ó।
$कुर्तुम (अ़.पु.)-कुसुम, कड़।
कुर्द (तु.पु.)-तुर्कों की एक संचारजीवी अर्थात् ख़्ाानाबदोश जाति, जो प्राय: जंगलों में रहती और बहुत बहादुर होती है।
कुर्दक ($फा.पु.)-बहुत मोटा-ताज़ा और बलवान् व्यक्ति।
कुर्दिस्तान (तु.$फा.पु.)-कुर्द जाति के तुर्कों के रहने का क्षेत्र अथवा प्रदेश।
$कुर्न$क (तु.पु.)-नौकर, सेवक, दास; दासी, लौंडी; कनीज़।
$कुर्नास (अ़.पु.)-पिशाच, राक्षस; पर्वत की चोटी, शिखर।
कुर्नुश (तु.स्त्री.)-नमन करना, झुककर प्रणाम करना।
$कुर्ब (अ़.पु.)-पास होना, निकटता, समीपता, नज़दीकी; मर्तबा, पद, मर्यादा।
$कुर्बत (अ़.स्त्री.)-निकटता, नज़दीकी, नैकट्य, सामीप्य; मैथुन, संभोग, सहवास।
कुर्बत (अ़.स्त्री.)-क्लेश, कष्ट, दु:ख; शोक, रंज।
$कुर्बां (अ़.पु.)-'$कुर्बानÓ का लघु., दे.-'$कुर्बानÓ।
$कुर्बांगाह (अ़.$फा.स्त्री.)-बलिवेदी, वधस्थल, $कुर्बानी करने का स्थान।
$कुर्बान (अ़.पु.)-बलि, सद$क:; न्योछावर, निसार। मुहा.-'$कुर्बान जानाÓ-निछावर होना, बलि जाना।
$कुर्बान ($फा.पु.)-गले में पहनने की एक पेटी, जिसमें धनुष लटकाया जाता है।
$कुर्बानगाह (अ़.$फा.स्त्री.)-बलिवेदी, वधस्थल, $कुर्बानी करने का स्थान।
$कुर्बानी (अ़.स्त्री.)-किसी पशु की किसी देवता आदि के लिए बलि; किसी बड़े काम के लिए जान की भेंट; त्याग, ईसार।
$कुर्बे रूहानी (अ़.पु.)-दिली नज़दीकी, आत्मिक सामीप्य।
$कुर्बोजुवार (अ़.पु.)-आसपास, चारों ओर, चहुँपास, इर्द-गिर्द।
कुर्म (अ़.पु.)-बहुत ही शोक एवं दु:ख।
$कुर्र: (अ़.पु.)-शीतलता, ठण्डक; रौशनी, ज्योति; सुख, चैन।
$कुर्रत ($फा.स्त्री.)-प्रसन्नता, ख़्ाुशी।
$कुर्रत उल ऐन (अ़.पु.)-दे.-'$कुर्रतुलऐनÓ।
$कुर्रतुलऐन (अ़.पु.)-आँखों की ठण्डक, आँखों की ज्योति। इस शब्द का प्रयोग प्राय: पुत्र के लिए होता है।
$कुर्रम (तु.पु.)-अपनी पत्नी से व्यभिचार करानेवाला; वेश्याओं का दलाल; भड़ुआ; पाज़ी, कमीना।
़क़ुर्रमसा$क (तु.पु.)-दे.-'$कुरमसा$कÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
कुर्रास: (अ़.पु.)-पुस्तक का एक भाग अथवा अध्याय; $कुरान का एक पारा।
कुर्रास (अ़.पु.)-गंदना नामक एक दाना, जो दवा में प्रयोग किया जाता है।
कुर्रासी (अ़.वि.)-गंदने के रंग का, मटमैला।
$कुर्स (अ़.पु.)-सूर्य-बिम्ब; रोटी, चपाती, रोटिका; टिकिया, वाटिका, दवा की चपटी गोली; चाँदी का सिक्का, जो अऱब में चलता है; एक प्रकार की मिठाई।
कुर्सी (अ़.स्त्री.)-वह चबूतरा, जिसके ऊपर इमारत बनाई जाती है, मकान या इमारत की तह की ऊँचाई; पीढ़ी, पुश्त; बैठने का विशेष प्रकार का आसन, आसंदी, चेयर; एक प्रकार की ऊँची चौकी, जिसमें पीछे की ओर सहारे के लिए पटरी आदि की व्यवस्था रहती है। 'गर हि$फाजत मुल्क की होती नहीं, छोडि़ए कुर्सी द$फा हो जाइएÓ-माँझी
कुर्सीनशीं (अ़.$फा.वि.)-पदासीन, ओहदेदार; प्रतिष्ठित, सम्मानित, मुअ़ज़्ज़ज़।
कुर्सीनाम: (अ़.$फा.पु.)-वंशावली, वंश-तालिका, वंशवृक्ष, ख़्ाानदान का शजरा।
कुर्सीनामा (अ़.$फा.पु.)-दे.-'कुर्सीनाम:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
कुर्सीनुमा (अ़.$फा.वि.)-कुर्सी-जैसा, कुर्सी के आकार-प्रकार का।
$कुर्सेरोईं (अ़.$फा.पु.)-बड़ी घड़ी, घण्टा, घडिय़ाल जो समय बताता है।
$कुर्ह: (अ़.पु.)-ज़ख़्म, घाव, वह ज़ख़्म जिसमें मवाद या पीव पड़ गई हो।
कुलंग ($फा.पु.)-एक प्रसिद्घ जलपक्षी, कलिंग, सारस, क्रौंच; लम्बी टाँगोंवाला आदमी।
$कुल: (अ़.पु.)-'गिल्लीÓ जो डण्डे से खेली जाती है, और जिसके खेल को 'गिल्ली-डण्डाÓ कहते हैं।
कुल (अ़.वि.)-सब, सर्व, तमाम; केवल, मात्र, सि$र्फ, $फकत। पद.-'कुल जमाÓ-सब मिलाकर। 'कुल बीस आदमीÓ-केवल बीस व्यक्ति। (सं.पु.)-घराना, ख़्ाानदान, वंश; जाति; समूह, समुदाय; भवन, घर, मकान; वाममार्ग; तंत्र के अनुसार प्रकृति, काल, आकाश, जल, तेज और वायु आदि पदार्थ; संगीत में एक ताल।
$कुल (अ़.पु.)-$कुरान शरी$फ का वह सूरा पढऩा जो '$कुल हो अल्लाहÓ से आरम्भ होता है। यह उर्स के अन्त में पढ़ा जाता है। '$कुल होनाÓ-समाप्त होना। किसी बुज़ुर्ग के उर्स में आख़्िारी $फातह:; अन्त, समाप्ति, ख़्ाातिम:; $कुरान की चार छोटी सूरतें, जो प्राय: किसी के $फातिह: में पढ़ी जाती हैं।
$कुलआऊज़ी (अ़.पु.)-दे.-'$कुलाऊज़ीÓ।
$कुल$कुल ($फा.स्त्री.)-सुराही से शराब के निकलने की आवाज़; व्यर्थ की बातचीत।
कुलच: ($फा.पु.)-एक प्रकार की छोटी ख़्ामीरी रोटी; एक प्रकार की मिठाई: लकड़ी का गोल टुकड़ा, जो ख़्ौमे की चोप में लगा होता है। शुद्घ उच्चारण 'कुलीच:Ó है।
कुलचा ($फा.पु.)-दे.-'कुलच:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
कुलज़ुम (अ़.पु.)-दे.-'कुल्ज़ुमÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
कुल$फत (अ़.स्त्री.)-दे.-'कुल्$फतÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
कुल$फा (अ़.पु.)-दे.-'कुल्$फ:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
$कुलल (अ़.पु.)-'$कुल्ल:Ó का बहु., पर्वत-शिखर, पहाड़ों की चोटियाँ।
कुल$फी (अ़.स्त्री.)-दे.-'कुल्$फीÓ।
कुलमा (उ.पु.)-दे.-'कुल्म:Ó।
कुलमुख़्तार ($फा.पु.)-वह, जिसे सब बातों का अधिकार दिया गया हो।
कुलह ($फा.स्त्री.)-'कुलाहÓ का लघु., सिर पर पहनने की टोपी; ताज, मुकुट; लिंग, शिश्न।
कुलाँच ($हि.स्त्री.)-दोनों हाथों की दूरी; चौकड़ी, छलाँग, उछाल, कूदने की क्रिया, कुदान। 'कितना अद्भुत दृश्य उपस्थित हुआ समन्दर में उस दम, मस्ती में आकर लहरों पर माँझी मार कुलाँच गयाÓ-माँझी
$कुला (अ़.पु.)-घोड़े का एक रोग।
कुलाअ़ (अ़.पु.)-मुँह आने का रोग, मुँहाँ।
$कुलाऊज़ी (अ़.पु.)-कठमुल्ला, रोटियों पर मस्जिद में पड़ा रहनेवाला मुल्ला; बहुत ही तुच्छ, नीच एवं गर्हित व्यक्ति।
$कुला$क (तु.पु.)-कान, कर्ण, गोश।
कुला$ग ($फा.पु.)-जंगली कौआ, डोम काक।
$कुलाब: (अ़.पु.)-दे.-'$कुल्लाब:Ó, वही शुद्घ है मगर उर्दू में '$कुलाब:Ó ही बोलते हैं; मोरी, पानी जाने का रास्ता; किवाड़ों में डालने का लोहे का हल्$क: या छल्ला, किवाड़ या सन्दू$क को जुड़ा रखनेवाला लोहे का टुकड़ा; नोना खरोंचने का यंत्र।
$कुलाबा (अ़.पु.)-दे.-'$कुलाब:Ó।
$कुलार (तु.पु.)-राजा या बादशाह की सवारी के साथ चलनेवाले सिपाही।
कुलाल: ($फा.पु.)-टेढ़े बाल, घुँघराले बाल; अलक, ज़ुल्$फ।
कुलाल ($फा.पु.)-मिट्टी के बर्तन बनानेवाला, कुम्हार, कुम्भकार।
कुलाह ($फा.पु.)-टोपी; ताज, मुकुट; एक विशेष प्रकार की ऊँची टोपी जिसके ऊपर पगड़ी बाँधी जाती है। 'कुलाह उतारनाÓ-अपमानित करना, बेइज़्ज़त करना। (सं.पु.)-काले पैरों वाला भूरे रंग का घोड़ा।
$कुली (तु.पु.)-नौकर, दास, सेवक; बस-स्टॉपों और स्टेशनों पर सामान ढोनेवाला व्यक्ति।
$कुलीगरी, $कुलीगीरी (तु.स्त्री.)-$कुली का काम।
कुलीच: ($फा.पु.)-ख़्ामीरी छोटी रोटी, कुलचा।
कुलीचा ($फा.पु.)-दे.-'कुलीच:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
कुलुंब: ($फा.पु.)-वह कुलीच: जिसमें हलुवा, खोया और मग्ज़़ बादाम आदि भरकर घी में पकाते हैं, पिराक, गुंझिया।
कुलूख़्ा ($फा.पु.)-ढेला, मिट्टी का वह टुकड़ा जो सख़्त हो गया हो, ईंट या पत्थर का टुकड़ा।
कुलूख़्ाअंदाज़ ($फा.वि.)-ढेला मारनेवाला; दुर्ग या $िकले में बनी हुई दराज़ें, जिनमें से बंदू$कें चलाई जाती हैं; गोफन, $फलाख़्ान, गुलेल, जिनमें रखकर पत्थर का ढेला फेंका जाता है।
कुलूख़्ाअंदाज़ी ($फा.स्त्री.)-ढेले मारना; $िकले या दुर्ग के सूराख़्ाों से बन्दू$क चलाना; गोफन से पत्थर फेंकना।
$कुलूब (अ़.पु.)-'$कल्बÓ का बहु., मनुष्यों के दिल, आदमियों के हृदय।
कुलूम (अ़.पु.)-'कल्मÓ का बहु., अनेक घाव, बहुत से ज़ख़्म।
कुलो ($फा.वि.)-महान् व्यक्ति, बड़ा आदमी; रईस, धनवान्; गाँव या मुहल्ले का मुखिया।
$कुल्$कतार ($फा.पु.)-एक दवा, फिटकरी।
$कुल्$कास ($फा.पु.)-घुइयाँ, अरुई, अर्वी।
कुल्च: ($फा.पु.)-दे.-'कुलीच:Ó।
$कुल्चा$क (तु.पु.)-लोहे का दस्ताना।
$कुल्ज़ुम (अ़.पु.)-सरिता, नदी, दरिया; सागर, समुद्र; अऱब और मिस्र के बीच का समुद्र, लाल सागर, अऱब की खाड़ी।
$कुल्त ($फा.स्त्री.)-मोठ नामक एक अन्न।
$कुल्$फ: (अ़.पु.)-लिंगाग्र, ख़तना न किये हुए शिश्न का अग्रभाग; एक प्रकार का साग, बड़ी अमलोनी।
कुल्$फत (अ़.स्त्री.)-संताप, दु:ख, कष्ट, त$कली$फ, विपत्ति; क्षोभ, रंज, $गम; चिन्ता, $िफक्र। पद.-'कुल्$फते $गमÓ-$गम का संताप।
$कुल्$फा (अ़.पु.)-दे.-'$कुल्फ:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
कुल्$फी (अ़.स्त्री.)-'$कुफ़्लीÓ का बिगड़ा हुआ रूप; पेंच; टिन आदि का चोंगा, जिसमें दूध आदि भरकर ब$र्फ जमाते हैं; उपर्युक्त प्रकार से जमा हुआ दूध, मलाई या कोई शरबत।
$कुल्ब: ($फा.पु.)-लांगल, हल, खेत जोतने का यंत्र।
कुल्ब: ($फा.पु.)-छोटा-सा घर, झोंपड़ा; दुकान का कोना।
$कुल्ब:राँ ($फा.वि.)-हल जोतनेवाला, हलवाहा, किसान, कृषक, खेतिहर।
$कुल्ब:रानी ($फा.स्त्री.)-काश्त करना, काश्तकारी, कृषिकर्म, हल जोतना, किसानी।
कुल्बा ($फा.पु.)-इे.-'कुल्ब:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
कुल्बए अह्ज़ाँ (अ़.$फा.पु.)-शोकगृह, $गम या पीड़ा का घर, दु:खियों के रहने का घर; प्रेमी का घर, अ़ाशि$क का निवास।
कुल्म: (उ.पु.)-मसाले और $कीमा के साथ पकाई हुई बकरी की अँतड़ी।
$कुल्माश ($फा.पु.)-व्यर्थ, बेहूदा, अनर्गल।
कुल्य: (अ़.पु.)-शरीर का एक अंग-विशेष, गुर्दा।
कुल्यतैन (अ.पु.)-'कुल्य:Ó का बहुवचन, दोनों गुर्दे।
$कुल्ल: (अ़.पु.)-पर्वत-शिखर, पहाड़ की चोटी; प्रत्येक चीज़ की चोटी; ऐसा बड़ा घड़ा जिसमें छह सौ रतल (साढ़े सात मन) पानी आता है; मौन, डहर; तलवार की मूँठ, $कब्ज़ा।
$कुल्लए कोह (अ़.$फा.पु.)- पर्वत-शिखर, पहाड़ की चोटी।
$कुल्लक़्ची (तु.पु.)-वह व्यक्ति, जो नौकर तो हो मगर राज्य का नौकर न हो; किसी का निजी नौकर।
$कुल्लतैन (अ़.पु.)-दो घड़े पानी अर्थात् पन्द्रह मन पानी।
कुल्लहुम (अ़.पु.)-कुल, बिलकुल।
$कुल्लाज (तु.पु.)-किसी चीज़ को बलपूर्वक खींचना, जैसे-धुष का; दोनों फैले हुए हाथों की लम्बाई।
$कुल्लाब: (अ़.पु.)-दे.-'$कुलाब:Ó, उर्दू में वही प्रचलित है मगर शुद्घ '$कुल्लाब:Ó है।
$कुल्लाब (अ़.पु.)-मछली पकडऩे का काँटा; लोहे का टेढ़ा काँटा, जिसमें कोई वस्तु अटकाई जा सके।
$कुल्लाबा (अ़.पु.)-दे.-'$कुल्लाब:Ó, वही शुद्घ उच्चारण है।
कुल्लिय: (अ़.पु.)-व्यापक नियम, ऐसा नियम जो एक जैसे विषय में सब पर लागू हो सके।
कुल्लियात (अ़.पु.)-'कुल्लिय:Ó का बहु., अनेक व्यापक नियम अथवा $कानून; किसी कवि अथवा शाइर की तमाम रचनाओं का संग्रह, जिसमें $गज़लें, मस्नवियाँ, कत्अ़ात, मुसद्दस, मुख़्ाम्मस, नज़्में आदि सभी रचनाएँ होती हैं, जबकि 'दीवानÓ में केवल $गज़लें ही होती हैं।
कुल्ली (अ़.वि.)-समस्त, कुल या तमाम से सम्बन्ध रखने वाली वस्तु; पूरे तौर पर; सब, समग्र, समस्त; (स्त्री.)-समष्टि।
कुल्लूब (अ़.पु.)-लुहारों की सँड़सी, जिससे वे गरम लोहा पकड़ते हैं।
$कुवा (अ़.पु.)-'$कुव्वतÓ का बहु., ज़ोर, बल, शक्तियाँ; इन्द्रियाँ।
$कुवाए नफ़्सानी (अ़.पु.)-कर्मेंन्द्रियाँ, स्पर्श, स्मरण, स्वाद, दृष्टि, घ्राण, श्रवण और विचार आदि की शक्तियाँ।
$कुवाए शह्वानी (अ़.पु.)-जननेन्द्रियाँ, गुप्तांग।
$कुवाए हैवानी (अ़.पु.)-जीवन-रक्षक शक्तियाँ, जो हृदय की गति को संतुलित अवस्था में रखकर शरीर की धातुओं को दूषित होने से बचाती हैं और शारीरिक शक्ति को बढ़ाती हैं।
$कुवार: (अ़.पु.)-टुकड़ा, कतरन, किसी वस्तु के चारों ओर से कटी हुई चीज़।
$कुव्व: (अ़.पु.)-दे.-'$कुव्वतÓ।
कुव्व: (अ़.पु.)-भीत या दीवार में बना छेद; ता$क, ताखा; दरीचा, झरोखा।
$कुव्वत (अ़.स्त्री.)-बल, शक्ति, ज़ोर; ता$कत, सामथ्र्य, मजाल, मक्दिरत; हिस, इन्द्रिय।
$कुव्वते आज़्मा (अ़.$फा.वि.)-ता$कत दिखानेवाला, किसी कार्य में बल या ता$कत लगानेवाला।
$कुव्वते आज़्माई (अ़.$फा.स्त्री.)-ता$कत दिखाना, बल-प्रदर्शन; किसी कार्य में बल या ता$कत लगाना।
$कुव्वतेबख़्श (अ़.$फा.वि.)-शक्ति देनेवाला; बल, ता$कत या शक्ति बढ़ानेवाला; बलवद्र्घक, बलदायक।
$कुव्वते आख़्िाज़: (अ़.स्त्री.)-ग्रहण-शक्ति, लेने की क्षमता या सामथ्र्य।
$कुव्वते इरादी (अ़.स्त्री.)-इच्छा-शक्ति, संकल्प-शक्ति, निश्चय की शक्ति।
$कुव्वते ईजाद (अ़.स्त्री.)-कल्पना-शक्ति, उद्भावना-शक्ति; आविष्कार-शकित; नयी बात पैदा करने की शक्ति।
$कुव्वते कशिश (अ़.$फा.स्त्री.)-आकर्षण-शक्ति, खींचने की शक्ति।
$कुव्वते गोयाई (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'$कुव्वते नाति$क:Ó।
$कुव्वते ज़ाइ$क: (अ़.स्त्री.)-स्वादेन्द्रिय, चखने की $कुव्वत।
$कुव्वते जाजि़ब: (अ़.स्त्री.)-जज़्ब करने या अपनी ओर आकर्षित करने की शक्ति, आकर्षण-शक्ति।
क़ुव्वते दा$िफअ़: (अ़.स्त्री.)-निवारण-शक्ति, उत्केंद्रक-शक्ति, हटाने की $कुव्वत या सामथ्र्य।
$कुव्वते नाति$क: (अ़.स्त्री.)-वाक्-शक्ति, वाणी, वाचन-शक्ति, वाक्य-शक्ति, बोलने की $कुव्वत या क्षमता।
$कुव्वते नामिय: (अ़.स्त्री.)-विकास-शक्ति, बढ़ानेवाली ता$कत।
$कुव्वते $िफक्र (अ़.स्त्री.)-विचार-शक्ति, सोचने-समझने की ता$कत।
$कुव्वते $फैसल: (अ़.स्त्री.)-निर्णय-शक्ति, विवेचन-शक्ति, दो बातों में अच्छा-बुरा सोचकर अच्छी बात ग्रहण करने की शक्ति, नीर-क्षीर विवेक।
$कुव्वते बरदाश्त (अ़.$फा.स्त्री.)-सहन-शक्ति, कष्ट या कड़वी बात सहन करने की सामथ्र्य, सहनशीलता।
$कुव्वते ब$र्की (अ़.स्त्री.)-विद्युत्-शक्ति, बिजली की शक्ति।
$कुव्वते बाज़ू (अ़.$फा.स्त्री.)-बाहुबल, अपनी निजी मेहनत, निजी परिश्रम।
$कुव्वते बासिर: (अ़.स्त्री.)-दृष्टि-शक्ति, नेत्र-शक्ति, देखने का सामथ्र्य।
$कुव्वते बाह (अ़.स्त्री.)-स्त्री-प्रसंग का सामथ्र्य, काम-शक्ति, रति-शक्ति, संभोग-शक्ति।
$कुव्वते मर्दानगी (अ़.$फा.स्त्री.)-दे.-'$कुव्वते बाहÓ।
$कुव्वते मासिक: (अ़.स्त्री.)-सुरक्षा-सामथ्र्य, सुरक्षा करने- वाली शक्ति।
$कुव्वते मुतख़्ौयिल: (अ़.स्त्री.)-कल्पना-सामथ्र्य, ख़्ायाल करने की $कुव्वत, विचार-शक्ति।
$कुव्वते मुमैयिज़: (अ़.स्त्री.)-विवेचन-शक्ति, दो चीज़ों में अच्छे-बुरे का भेद करने की शक्ति।
$कुव्वते मुतसर्रि$फ: (अ़.स्त्री.)-कि$फायतशारी की ता$कत, मितव्यय की शक्ति; अधिकार करने की शक्ति।
$कुव्वते मुद्रिक: (अ़.स्त्री.)-दे.-'$कुव्वते मु$फक़्ि$कर:Ó।
$कुव्वते मु$फक़्ि$कर: (अ़.स्त्री.)-विचार-शक्ति, सोचने-समझने का सामथ्र्य।
$कुव्वते मुशाहद: (अ़.स्त्री.)-दे.-'$कुव्वते बासिर:Ó।
$कुव्वते रूहानी (अ़.स्त्री.)-आत्म-शक्ति, मनोबल, आत्म- बल, आत्मा की शक्ति।
$कुव्वते लामिस: (अ़.स्त्री.)-स्पर्श-शक्ति, छूने की शक्ति।
$कुव्वते वाहिम: (अ़.स्त्री.)-कल्पना-शक्ति, भ्रम में डालने-वाली शक्ति।
$कुव्वते शाम्म: (अ़.स्त्री.)-घ्राण-शकित, सूँघने की शक्ति।
$कुव्वते सामिअ़: (अ़.स्त्री.)-श्रवणशक्ति, सुनने की शक्ति।
$कुव्वते हाजि़म: (अ़.स्त्री.)-पाचन-शक्ति, हज़म करने की शक्ति।
$कुव्वते हा$िफज़: (अ़.स्त्री.)-स्मरण-शक्ति, याद रखने का सामथ्र्य, याद रखने की शक्ति।
$कुव्वते हास्स: (अ़.स्त्री.)-ज्ञात करने की शक्ति, दरयाफ़्त करने की शक्ति, जैसे-श्रवण-शक्ति, स्पर्श-शक्ति आदि।
कुश ($फा.प्रत्य.)-मार डालनेवाला, जैसे-'जरासीम कुशÓ-कीड़ों को मार डालनेवाला, कीटनाशक, (यौगिक शब्दों के अन्त में प्रयुक्त)। (सं.पु.)-कांस के समान एक घास जिसकी पत्तियाँ नुकीली, तीखी और कड़ी होती हैं; जल, पानी; श्रीरामचन्द्र के एक पुत्र का नाम। (सं.वि.)-कुत्सित; पागल।
$कुश (तु.पु.)-बाज़, श्येन पक्षी।
कुशक ($फा.पु.)-दे.-'कुश्कÓ, वही शुद्घ उच्चारण है।
कुशा ($फा.प्रत्य.)-फैलानेवाला, जैसे-'दिलकुशाÓ-दिल को फैलाने (प्रसन्न करने) वाला; खोलनेवाला, जैसे-'$कब्ज़-कुशाÓ-$कब्ज़ को खोलनेवाला; सुलझाने अथवा समाधान करनेवाला, जैसे-'मुश्किलकुशाÓ-कठिनाई को सुलझाने अथवा दूर करनेवाला, (यौगिक शब्दों के अन्त में प्रयुक्त)। (सं.स्त्री.)-रस्सी, रज्जू; मीठा नीबू।
कुशाइश ($फा.स्त्री.)-बढ़ोतरी, वृद्घि, बढ़ती; विस्तार, फैलाव, 'कुशादगीÓ।
कुशाद: ($फा.वि.)-विस्तृत, वसीअ़, फैला हुआ, चौड़ा, चकला।
कुशाद:अब्रू ($फा.वि.)-जिसकी दोनों भौंहों के बीच का$फी अन्तर हो, जिसकी भौंहों के नीचे की जगह का$फी खुली हो।
कुशाद:क$फ ($फा.वि.)-उदार, मुक्तहस्त, वदान्य, दानशील, जिसके हाथ देने के लिए खुले रहते हों।
कुशाद:जबीं ($फा.वि.)-हँसमुख, प्रसन्नवदन, ख़्ाुशमिज़ाज।
कुशाद:दस्त ($फा.वि.)-दे.-'कुशाद:क$फÓ।
कुशाद:दिल ($फा.वि.)-उदारहृदय, उदारचित्त, मुक्तहृदय, $फराख़्ादिल, दरियादिल।
कुशाद:न$फस (अ़.$फा.वि.)-वाचाल, मुखर, बातूनी, बकवासी।
कुशाद:नाम: ($फा.वि.)-मा$फी का शाही $फर्मान, किसी को मा$फ करने की राजसी आज्ञा।
कुशाद:पेशानी ($फा.वि.)-दे.-'कुशाद:जबींÓ।
कुशाद:रू ($फा.वि.)-प्रफुल्लवदन, जिसका मुँह प्रसन्नता के कारण खिला हुआ हो।
कुशाद ($फा.स्त्री.)-प्रसन्नता, ख़्ाुशी, हर्ष; लाभ, न$फा, प्राप्ति; उद्घाटन, खुलना; विजय, फतह, जीत।
कुशादगी ($फा.स्त्री.)-खुला तथा लम्बा-चौड़ा होने का भाव; फैलाव, विस्तार, बढ़त; उदारता, प्रसन्नता; गुंजाइश, समाई; खुलापन।
कुशादनी ($फा.वि.)-फैलने योग्य, खुलने योग्य।
कुशादा ($फा.वि.)-दे.-'कुशाद:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
कुशादेकार ($फा.स्त्री.)-इच्छापूर्ति, मनोकामना की पूर्ति, मक्सद बरारी; सफलता, कामयाबी।
कुशायश ($फा.स्त्री.)-दे.-'कुशाइशÓ।
$कुशाÓरीर: (अ़.पु.)-शरीर के रोंगटे खड़े हो जाना।
कुशिंद: ($फा.वि.)-हत्या करनेवाला, वध करनेवाला, वधिक, मार डालनेवाला।
कुशिन्दा ($फा.वि.)-दे.-'कुशिंद:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
$कुशुन (तु.पु.)-$फौज का दस्ता, लश्कर, सेना, दे.-'$कुशूनÓ।
कुशूद: ($फा.वि.)-खुला हुआ, खोला हुआ।
कुशूद ($फा.स्त्री.)-खुलापन, खुलाव।
कुशूदेकार ($फा.स्त्री.)-दे.-'कुशादेकारÓ।
$कुशून (तु.पु.)-दे.-'$कुशुनÓ, वही शुद्घ है मगर बोला और लिखा '$कुशूनÓ भी जाता है।
$कुशूर (अ़.पु.)-'$कश्रÓ का बहु., छालें, छिलके।
कुशूस (अ़.पु.)-एक प्रकार के प्रसिद्घ दाने जो दवा में काम आते हैं, तुख़्मे कुशूस।
कुश्क ($फा.पु.)-महल, भवन, प्र्रासाद। दे.-'कोशकÓ।
कुश्त: ($फा.वि.)-हत, वधित, वध किया हुआ, मारा हुआ, जो मार डाला गया हो, (पु.)-भस्म, फूँकी हुई धातु, किसी धातु को फँूककर बनाई हुई भस्म, जो दवा के काम आती है; अ़ाशि$क, प्रेमी। पद.-'सितम कुश्त:Ó-अत्याचार का मारा हुआ, अर्थात् अ़ाशि$क, प्रेमी।
कुश्त ($फा.पु.)-$कत्ल, ख़्ाूँरेज़ी, रक्तपात, मार-धाड़। इस शब्द का प्रयोग 'ख़्ाूनÓ के साथ होता है और 'कुश्तो ख़्ाूनÓ बोलते हैं।
कुश्तए इश्$क (अ़.$फा.वि.)-प्रेमाग्नि में भस्म किया हुआ, इश्$क का मारा हुआ अर्थात् अ़ाशि$क, प्रेमी।
कुश्तए ख़्ाूँ (अ़.$फा.पु.)-रक्तपात, ख़्ाूँरेज़ी।
कुश्तए $गम (अ़.$फा.वि.)-दे.-'कुश्तए इश्$कÓ।
कुश्तए नाज़ ($फा.वि.)-प्रेमिका के हाव-भाव और नाज़-नख़्ारों का मारा हुआ, माÓशू$क की अदाओं का मारा हुआ, अ़ाशि$क, प्रेमी।
कुश्तए हिज्र (अ़.फ़ा.वि.)-पे्रमिका की विरहाग्नि में जला हुआ, विरह-विदग्ध, विरह का मारा हुआ।
कुश्तनी ($फा.वि.)-गर्दन मारने के $काबिल।
कुश्तम-कुश्त: (उ.पु.)-कुश्ती लडऩा; गुत्थम-गुत्था होना; लिपट पडऩा।
कुश्ता ($फा.वि.)-दे.-'कुश्त:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है।
कुश्ती ($फा.स्त्री.)-ज़ोर-आज़्माई, मल्लयुद्घ, दो पहलवानों का परस्पर बाहुयुद्घ, नियुद्घ, व्यायाम-युद्घ। मुहा.-कुश्ती मारनाÓ-कुश्ती में दूसरे को पछाडऩा। 'कुश्ती खानाÓ-कुश्ती में हार जाना।
कुश्तीगीर ($फा.वि.)-कुश्ती लडऩेवाला, पहलवान, मल्ल, नियोद्घा।
कुश्तीबाज़ ($फा.वि.)-दे.-'कुश्तीगीरÓ।
कुश्तोख़्ाून ($फा.पु.)-रक्तपात, मारकाट, कटाघनी, ख़्ाूँरेज़ी।
कुश्तनीज़: ($फा.पु.)-अंगूर के वे फल, जो प्रारम्भ में धनिए के बराबर होते हैं।
कुश्नीज़ ($फा.पु.)-धनिया, धान्यक, मसाले की एक वस्तु।
कुस ($फा.स्त्री.)-भग, योनि, $फुर्ज।
कुसू$फ (अ़.पु.)-सूर्यग्रहण, सूरज-ग्रहण; दुर्दशाग्रस्त होना।
$कुसूर (अ़.पु.)-'$कस्रÓ का बहु., बहुत से भवन, प्रासाद, हवेलियाँ; दोष, अपराध, जुर्म, ख़्ाता; त्रुटि, $गलती, भूल, चूक; न्यूनता, कमी।
कुसूर (अ़.स्त्री.)-'कस्रÓ का बहु., भिन्न संख्याएँ।
$कुसूरमंद (अ़.वि.)-दे.-'$कुसूरवारÓ।
$कुसूरवार (अ़.$फा.वि.)-दोषी, अपराधी, मुल्जिम, ख़्ातावार।
कुसूरे आÓशारिय: (अ़.स्त्री.)-दशमलव भिन्न, कुसूर या कसर=भिन्न, आÓशारिय:=दशमलव।
$कुस्त (अ़.स्त्री.)-एक वनौषधि, कूट।
$कुस्तनतीनिय: (अ़.पु.)-यूरोपीय टर्की की राजधानी, इस्तम्बोल।
$कुस्ता ($फा.पु.)-पार्सियों का एक धार्मिक-ग्रन्थ।
कुस्सो ($फा.स्त्री.)-'कुसÓ से बनी एक प्रकार की गाली, बदकार अ़ौरत।
कुह ($फा.पु.)-'कोहÓ का लघु., पर्वत, पहाड़, (यौगिक शब्दों में प्रयुक्त होता है, जैसे-'कुहसारÓ)। (सं.पु.)-कुबेर।
कुहन ($फा.वि.)-प्राचीन, $कदीम, पुराना, पुरातन। 'दाग़े कुहनÓ-पुराना दा$ग। 'नक़्शे कुहनÓ-पुराने निशान। (सं.वि.)-ईष्र्या करने वाला; मक्कार, धोखेबाज़। (सं.पु.)-चूहा, मूसा; मिट्टी का बरतन; साँप; शीशे का बरतन।
कुहनगी ($फा.वि.)-पुरानापन; बुढ़ापा।
कुहनसाल ($फा.वि.)-बूढ़ा, बुड्ढ़ा, बड़ी उम्र का, वयोवृद्घ।
कुहनसाल:, कुहनसाला ($फा.वि.)-दे.-'कुहनसालÓ।
कुहनसाली ($फा.स्त्री.)-बुढ़ापा, ज़ई$फी।
कुहना ($फा.वि.)-दे.-'कुह्न:Ó, वही उच्चारण शुद्घ है। (हिं.क्रि.वि.)-मार-मारकर कचूमर निकालना। (हिं.पु.)-गाना, अलापना।
कुहनी (हिं.स्त्री.)-हाथ और बाँह के जोड़ की हड्डी; तांबे या पीतल की बनी हुई टेढ़ी नली।
कुहराम (अ़.पु.)-दे.-'कुह्रामÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
कुहल (अ़.पु.)-दे.-'कुह्लÓ, वही उच्चारण शुद्घ है।
कुहसार ($फा.पु.)-दे.-'$कह्सारÓ।
$कुहाब (अ़.पु.)-कास, खाँसी।
कुहाल (अ़.पु.)-आँखों का इलाज करनेवाला, नेत्र-चिकित्सक।
कुहु (सं.स्त्री.)-अमावस्या; कोयल की बोली।
कुहुकना (हिं.क्रि.अक.)-पक्षियों का मधुर स्वर में कूजना या बोलना।
कुहूलत (अ़.स्त्री.)-अधेड़ आयु का होना, खिचड़ी बालोंवाला अर्थात् स$फेद और काले बालोंवाला होना।
कुह्न: ($फा.वि.)-बहुत दिनों का, पुराना, पुरातन; $कदीमी, हमेशा का।
कुह्न:मश्$क (अ़.$फा.वि.)-चिराभ्यस्त, तजुर्बेकार, जिसे किसी कार्य का पुराना अभ्यास हो, चिर अनुभवी।
कुह्न:मश्$की (अ़.$फा.स्त्री.)-चिराभ्यास, किसी कार्य का पुराना अभ्यास।
कुह्न:साल ($फा.वि.)-बुड्ढ़ा, बूढ़ा जरठ, वयोवृद्घ।
कुह्न:साली ($फा.स्त्री.)-वृद्घावस्था, बुढ़ापा, जरा।
कुह्नगी (फ़ा.स्त्री.)-प्राचीनता, पुरानापन; जीर्णता, फटा-पुरानापन; बहुत दिनों का हो जाना।
$कुह्ब: (अ़.स्त्री.)-गाणिका, वारमुखी, वेश्या, रण्डी; पर-पुरुषगामिनी, $फाहिश:, व्यभिचारिणी।
$कुह्ब:ख़्ाान: (अ़.$फा.पु.)-वेश्यालय, चकला, रण्डी का कोठा, रण्डियों का मुहल्ला।
कुह्राम (अ़.पु.)-कई आदमियों का एक ही मुसीबत पर रोना, हाहाकार, वावैला, शोरो$गुल; रोना-पीटना, मातम मनाना।
कुह्ल (अ़.पु.)-रसांजन, आँखों में लगाने का सुरमा; दुर्भिक्ष का साल, अकाल का वर्ष, सूखा।
कुह्ल उल जवाहिर (अ़.पु.)-दे.-'कुह्लुल जवाहिरÓ।
कुह्ल उल बसर (अ़.पु.)-दे.-'कुह्लुलबसरÓ।
कुह्ली (अ़.वि.)-सुरमई, सुरमे के रंग का; एक प्रकार का काला वस्त्र, जो ईरानी स्त्रियाँ पहनती हैं।
कुह्लुल जवाहिर (अ़.पु.)-ऐसा सुरमा, जिसमें मोती आदि बहुमूल्य रत्न पड़े हों।
कुह्लुलबसर (अ़.पु.)-आँखों की रौशनी बढ़ानेवाला सुरमा, नेत्र-ज्योति बढ़ानेवाला रसांजन।
कुह्सार ($फा.पु.)-दे.-'कोहसारÓ, पहाडिय़ों का अंचल, उपत्यका, पर्वत-श्रेणियाँ, पर्वतमाला।
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