Saturday, November 21, 2015

  अ, अ़

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अंकिश्त: (फ़ा.पु.)-

Thursday, October 15, 2015

हौ

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हौंस (हिं.स्त्री.)-

  बुरी नज़र, कुदृष्टि; ईर्ष्या, बर्बादी। 'हौंस खाना'=बुरी नज़र का असर हो जाना। 'हौंसना'=टोकना, नज़र लगाना।

हौका (हिं.पु.)-

  किसी बात की बहुत प्रबल इच्छा; दीर्घ निश्वांस। 

हौज़: (अ़.पु.)-

  छोटा हौज़। इसका 'ज़’ उर्दू के 'ज़्वाद’ अक्षर से बना है।

हौज़: (अ़.पु.)-

  राज का केन्द्र, सत्ता-केन्द्र, राजधानी; छोर, किनारा; भग, योनि।

हौज (अ़.स्त्री.)-

  अज्ञानता, नासमझी; आतुरता, अधीरता, जल्दबाज़ी।

हौज़ (अ़.पु.)-

  पानी जमा रखने का पक्का कुण्ड, जो मस्जिदों या बग़ीचों में होता है।

हौद: (अ़.पु.)-

  ऊँट की पीठ पर रखा जानेवाला कजावा, हाथी की पीठ पर रखी जानेवाली अम्बारी।

हौदज (अ़.पु.)-

  ऊँट या हाथी की पीठ पर रखी जानेवाली अम्बारी, हौदा।

हौन (फ़ा.पु.)-

  खेत की वह ज़मीन जिसमें ढेले बहुत हों।

हौन (अ़.पु.)-

  सुख, शान्ति; प्रतिष्ठा, वक़ार; विनय, नम्रता; हलकापन।

हौब: (अ़.पु.)-

  ननिहाल।

हौब (अ़.पु.)-

  पाप करना, गुनाह करना; इच्छा, ख़्वाहिश; घबराहट, बेचैनी; दु:ख, रंज।

हौबत (अ़.स्त्री.)-

  अपराध-कर्म, पाप-कर्म, गुनाहगारी।

हौबा (अ़.स्त्री.)-

  आराम पाने का मन, सुखेच्छा, आरामतलबी; आलस्य, काहिली।

हौम: (अ़.पु.)-

  महायुद्घ, बहुत बड़ी लड़ाई; प्रत्येक बड़ी वस्तु।

हौरा (अ़.स्त्री.)-

  वह गोरी स्त्री जिसके बाल और आँखें स्याह हों।

हौल (अ़.पु.)-

  आस-पास, चौगिर्द; शक्ति, तुवानाई। इसका 'हौ' उर्दू के 'बड़े हे' से बना है।

हौल (अ़.पु.)-

  भय, त्रास, डर, ख़ौफ़: विकलता, घबराहट। इसका 'हौ' उर्दू के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हौलअंगेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-

  डर या भय उत्पन्न करनेवाला, भयजनक, भयानक।

हौलअफ्ज़़ा (अ़.फ़ा.वि.)-

   भय या डर बढ़ानेवाला, भयवर्द्धक।

हौलज़द: (अ़.फ़ा.वि.)-

  भयभीत, भयाकुल, त्रस्त, डरा हुआ।

हौलज़ा (अ़.फ़ा.वि.)-

  दे.-'हौलअंगेज़'।

हौलदिल (अ़.फ़ा.पु.)-

  कलेजे की धड़कन का रोग।

हौलदिला (अ़.फ़ा.वि.)-

   डरपोक, कायर। 

हौलनाक (अ़.फ़ा.वि.)-

  भयंकर, भयानक, भीषण, डरावना, ख़ौफ़नाक।

हौलिगी (अ़.फ़ा.वि.)-

  त्रस्त, भयभीत; उद्विग्न, व्याकुल।

हौले (हिं.क्रि.वि.)-

  धीरे, आहिस्ते; हलके हाथ से। 'हौले से'=हलके से, आहिस्ता से।
  'हौले-हौले'=धीरे-धीरे, आहिस्ता-आहिस्ता। 

हौवा (अ़.स्त्री.)-

  दे.-'हव्वा', शुद्ध उच्चारण वही है। हज़रत आदम की पत्नी का नाम जो
  मनुष्य-जाति की माता मानी जाती  है। (पु.)-भीषण आकार का एक
  कल्पित राक्षस जिसका नाम बच्चों को डराने के लिए लिया जाता है, हौआ। 

हौश (अ़.पु.)-

  घर, गृह, मकान; स्थान, जगह।

हौस (हिं.स्त्री.)-

  चाह, कामना, लालसा; उत्साह, हौसला; उमंग, हर्षोत्कंठा। 

हौसल: (अ़.पु.)-

  उत्साह, हिम्मत; धृष्टता, ढीठपन; साहस, जुर्अत; उद्दण्डता, गुस्ताख़ी; आवेग, जोश, वलवला।

हौसल:अफ्ज़़ा (अ़.फ़ा.वि.)-

  उत्साहवर्द्धक, उत्साह बढ़ानेवाला, प्रोत्साहन देनेवाला।

हौसल:अफ्ज़़ाई (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  प्रोत्साहन देना, हिम्मत बढ़ाना।

हौसल:मंद (अ़.फ़ा.वि.)-

  साहसी, उत्साही, हिम्मती।

हौसल:मंदी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  उत्साह होना, जोश और वलवला होना।

हौसल:शिकन (अ़.फ़ा.वि.)-

  हिम्मत तोडऩेवाला, उत्साहभेदी, दिल तोड़ देनेवाला।

हौसल:शिकनी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  हिम्मत तोडऩा, प्रोत्साहन न देना, दिल तोडऩा।

हौसला (अ़.पु.)-

  दे.-'हौसल:', वही उच्चारण शुद्ध है।
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हो

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होंठ (हिं.पु.)-

  ओंठ, ओष्ठ, लब।

होज़ (फ़ा.वि.)-

  आश्चर्य-चकित, विस्मित, चकित, हैरान; डरा हुआ, त्रस्त, भयभीत, ख़ौफ़ज़दा।

होज़ाँ (फ़ा.वि.)-

  मुदित, प्रफुल्ल, विकसित, शिगुफ़्ता, (स्त्री.)-नर्गिस का फूल।

होड़ (हिं.स्त्री.)-

  शर्त, बाज़ी; प्रतियोगिता, चढ़ा-ऊपरी; हठ, ज़िद।

होना (हिं.क्रि.अक.)-

  सत्ता, अस्तित्त्व, उपस्थिति आदि सूचित करनेवाली मुख्य तथा सबसे
  अधिक प्रचलित क्रिया; उपस्थित या मौजूद रहना; पहला रूप छोड़कर
   दूसरे या नए रूप में आना; कार्य या घटना का प्रत्यक्ष रूप से सामने
  आना; व्यवहार या परिणाम के रूप में सामने आना; बनना; निर्माण
   किया जाना; कार्य का संपन्न किया जाना; रोग, व्याधि, अस्वस्थता
   या प्रेतबाधा आदि का आना; गुज़ारना, बीतना;परिणाम निकलना,
   फल देखने में आना।

होनी (हिं.स्त्री.)-

  उत्पत्ति, पैदाइश; अवश्य होकर रहनेवाली बात या घटना, भावी भवितव्यता। 

होर (फ़ा.पु.)-

  दिनकर, भास्कर, सूरज, सूर्य, रवि।

होरख़्श (फ़ा.पु.)-

  सूरज, सूर्य, रवि।

होरमुज़्द (फ़ा.पु.)-

  एक प्रसिद्घ ग्रह, बृहस्पति, मुश्तरी।

होली (हिं.स्त्री.)-

  हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध त्यौहार जो फाल्गुन की पूर्णिमा को होता है। 

होशंग (फ़ा.पु.)-

  ईरान का एक प्राचीन नरेश।

होश (फ़ा.पु.)-

  याद, सुधि, स्मरण; संज्ञा, चेतना, ख़बरदारी; विवेक, , तमीज़, अच्छे-बुरे
  में फ़र्क़ करने की बुद्घि; बुद्घि, समझ,  अ़क़्ल; नशे के उतार की अवस्था।
  'होश उड़ा देना'=डरा देना, भयभीत कर देना। 'होश काफ़ूर होना'=होश जाते रहना।

होशगोश (फ़ा.पु.)-

  होशयारी।

होशबाख़्त: (फ़ा.वि.)-

  जिसका दिमाग़ ठिकाने न हो, हतसंज्ञ।

होशमंद (फ़ा.वि.)-

  होशवाला, सावधान, सचेत, होशियार; बुद्घिमान्, अ़क़्लमंद।

होशमंदी (फ़ा.स्त्री.)-

  शऊर, दानाई, चेतना, होशियारी; बुद्घिमत्ता, अ़क़्लमंदी।

होशयार (फ़ा.वि.)-

  चतुर, चालाक; दक्ष, कुशल, माहिर; बुद्घिमान्, अ़क़्लमंद; सचेत, हवास में; छली, ठग।

होशयारी (फ़ा.स्त्री.)-

  चतुराई, चातुर्य, चालाकी; दक्षता, कुशलता; बुद्घिमत्ता, अ़क़्लमंदी; चेतना; छल, धूर्तता।

होशरुबा (फ़ा.वि.)-

  चेतना ले जानेवाला, होश उड़ा देनेवाला, संज्ञाहीन कर देनेवाला।

होशवाला (फ़ा.वि.)-

  सयाना, तज़ुर्बेकार, होशयार। 

होशोख़िरद (फ़ा.पु.)-

  संज्ञा और बुद्घि, अ़क़्ल और तमीज़।

होशोहवास (अ़.फ़ा.पु.)-

  दे.-'होशोखिरद'।
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है

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हैं (हिं.अव्य.)-

  एक अव्यय जो आश्चर्य, असम्मति आदि का सूचक है। (क्रि.अक.)-'होना'
  क्रिया का वर्त्तमान रूप 'है' का बहुवचन।

है (हिं.क्रि.अक.)-

  'होना' का वर्त्तमान-कालिक एकवचन रूप, जो कृषि वस्तु के होने की पुष्टि करता है। 

हैअ़त (अ़.स्त्री.)-

  रूप, आकृति, शक्ल; ज्योतिर्विद्या, नजूम; आकाशीय पदार्थों की विद्या, खगोल-विद्या।

हैअ़तदाँ (अ़.फ़ा.वि.)-

  खगोल-विद्या का जानकार; ज्योतिषी।

हैअ़ते कज़ाई (अ़.स्त्री.)-

  वेषभूसा, शक्ल-सूरत, ऐसी धज जिसमें कोई हँसी का पहलू हो।

हैअ़ते मज्मूई (अ़.स्त्री.)-

  कोई वस्तु अपने सारे अंगों या अव्यवों के साथ।

हैकल (अ़.स्त्री.)-

  वह मूर्ति जो किसी ग्रह के नाम पर बनाई जाए; बुतख़ाना, मन्दिर; महल,
  प्रासाद, भवन, बड़ी इमारत; हार, गले की माला; सूरत-शक्ल, रूप, आकृति,
  डील-डौल, नक़्शा; वेषभूषा, सज-धज; कवच, ता'वीज़, यन्त्र।

हैज़: (अ़.पु.)-

  क़ै-दस्त का घातक रोग, विसूचिका, हैज़ा।

हैज़ (अ़.पु.)-

  आर्तव, पुष्प, रज, ऋतु, कुसुम, स्त्री के मासिक-धर्म का ख़ून; वह कपड़ा
  जिससे औरतें मासिक-धर्म का रक्त साफ़ करके फेंक देती हैं; वह शख़्स
  जो बहुत  ही घृणित और नीच हो तथा कोई उसे अपने पास न बैठाए ।

हैज़ए वबाई (अ़.पु.)-

  वह हैज़ा, जो महामारी के रूप में फैला हो।

हैज़ा (अ़.स्त्री.)-

  रजस्वला, पुष्पवती, जिस अ़ौरत को मासिक-धर्म हो रहा हो।

हैजा (अ़.पु.)-

  युद्घ, समर, जंग, लड़ाई।

हैजान (अ़.पु.)-

  अशान्ति, गड़बड़ी; ज़ोर, जोश, आवेश, उबाल, तेज़ी; कोलाहल, शोर; बेचैनी, घबराहट।

हैजानअंगेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-

  अशान्ति फैलानेवाला, गड़बड़ी मचानेवाला; बेचैनी फैलानेवाला।

हैजानख़ेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-

  दे.-'हैजानअंगेज़'।

हैजानी (अ़.वि.)-

  अशान्ति और बेचैनी से सम्बन्ध रखनेवाली वस्तु।

हैज़ी (अ़.वि.)-

  दोग़ला, हरामी, वर्ण-संकर; पाजी, दुष्ट। 

हैज़ुम (फ़ा.स्त्री.)-

  सूखी लकड़ी, जलाने की लकड़ी, जलावन, ईंधन।

हैज़ुमकश (फ़ा.वि.)-

  लकड़हारा; लगाई-बुझाई करनेवाला।

हैज़ुमकशी (फ़ा.स्त्री.)-

  लकड़हारे का काम; लगाई-बुझाई।

हैज़ुमफ़रोश (अ़.फ़ा.वि.)-

  लकड़ियाँ बेचनेवाला, ईंधन बेचनेवाला, जलावन-विक्रेता, जलाने की लकड़ी का व्यापारी।

हैज़ुमफ़रोशी (फ़ा.स्त्री.)-

  ईंधन बेचने का काम।

हैज़ुर्रिजाल (अ़.पु.)-

  निन्दा, बुराई, ग़ीबत, चुग़ली, पिशुनता।

हैतान (अ़.पु.)-

  अकृत, असत्य, झूठ।

हैदर (अ़.पु.)-

  शेर, सिंह, व्याघ्र; हज़रत अ़ली की एक उपाधि।

हैदरे कर्रार (अ़.पु.)-

  हज़रत अ़ली की एक उपाधि; बारम्बार शत्रु  की सेना पर टूट पडऩेवाला।

हैफ़ (अ़.पु.)-

  खेद या शोकसूचक शब्द; हा, आह, हाय-हाय, अफ़सोस, खेद, दुःख; ज़ुल्म, अत्याचार, दरेग़।

हैफ़ा (अ़.स्त्री.)-

  कृशोदरी, पतली कमर वाली स्त्री।

हैबत (अ़.स्त्री.)-

  आतंक, रो'ब, धाक; भय, त्रास, डर; तेज, जलाल; प्रताप, इक़्बाल।

हैबतअंगेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-

  भयकारक, भय उत्पन्न करनेवाला, त्रासजनक।

हैबतअंगेज़ी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  भय उत्पन्न करना, त्रासजनक होना।

हैबतज़द: (अ़.फ़ा.वि.)-

  भयभीत, त्रस्त, डरा हुआ, सहमा हुआ।

हैबतज़दगी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  त्रास, भयभीत होना, डरना।

हैबतज़ा (अ़.फ़ा.वि.)-

  दे.-'हैबतअंगेज़'।

हैबतनाक (अ़.फ़ा.वि.)-

  डरावना, रौद्र, भयंकर, भयानक, ख़ौफ़नाक।

हैबतनाकी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  भयंकर होना, भयानक होना, डरावना, ख़ौफ़नाकी।

हैमा (अ़.पु.)-

  बिना पानीवाला जंगल, बियाबान।

हैमीय: (फ़ा.स्त्री.)-

  जलाने की सूखी लकड़ी, जलावन।

हैय: (अ़.पु.)-

  सर्प, साँप, अहि।

हैयात (अ़.वि.)-

  'हैय:' का बहु., सर्प-समूह, बहुत-से साँप; वह विद्या जिसमें पृथ्वी आदि
   के चलने और आकर्षण आदि का अनुशीलन होता है, ज्योतिष; सूरत,
   बनावट ;दशा, अवस्था, कैफ़ियत, हालत।

हैयाल (अ़.वि.)-

  महा छली, बहुत बड़ा मक्कार, अत्यधिक धूर्त।

हैयिज़ (अ़.पु.)-

  स्थान, जगह; छोर, किनारा, तट।

हैयिज़े ख़ाकी (अ़.फ़ा.पु.)-

  पृथ्वीलोक, मर्त्यलोक, जगत्, संसार, दुनिया।

हैयुलअ़ालम (अ़.पु.)-

  एक बूटी जो सदा हरी-भरी रहती है।

हैरत (अ़.स्त्री.)-

  विस्मय, अचम्भा, आश्चर्य, तअ़ज्जुब।

हैरतअंगेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-

  आश्चर्यजनक, अजूबा, अजीबोग़रीब।

हैरतअंगेज़ी (अ़.फ़ा.स्त्री)-

  अजूबापन, आश्चर्यजनकता।

हैरतअफ्ज़़ा (अ़.फ़ा.वि.)-

  आश्चर्यवर्द्धक, अचम्भा बढ़ानेवाला।

हैरतकद: (अ़.फ़ा.पु.)-

  जहाँ हर बात आश्चर्यजनक हो, जहाँ हर तरफ़ अचम्भेवाली बात हो।

हैरतख़ान: (अ़.फ़ा..पु.)-

  दे.-'हैरतकद:'।

हैरतख़ेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-

  दे.-'हैरतअफ्ज़़ा'।

हैरतज़द: (अ़.फ़ा.वि.)-

  भौंचक्का, आश्चर्यान्वित, चकित, विस्मित, निस्तब्ध, अचम्भे में पड़ा हुआ।

हैरतज़दगी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  अचम्भे में पड़ा हुआ होना।

हैरतज़ा (अ़.फ़ा.पु.)-

  दे.-'हैरतअफ्ज़़ा'।

हैरतनाक (अ़.फ़ा.वि.)-

  दे.-'हैरतअंगेज़'।

हैरतफ़ज़ा (अ़.फ़ा.वि.)-

  'हैरतअफ्ज़ा' का लघु., दे.-'हैरतअफ्ज़़ा'।

हैरतसरा (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  दे.-'हैरतकद:'।

हैरतसामाँ (अ़.फ़ा.वि.)-

  दे.-'हैरतअंगेज़'।

हैरती (अ़.वि.)-

  आश्चर्य में डूबा हुआ, चकित, निस्तब्ध; तल्लीन, मस्त, सरशार।

हैरते जल्व: (अ़.स्त्री.)-

  प्रेमिका के दर्शन से उत्पन्न निस्तब्धता।

हैरते हुस्न (अ़.स्त्री.)-

  सुन्दरता के अनुभव से होनेवाली हैरत।

हैरान (अ़.वि.)-

  भौंचक्का, चकित, निस्तब्ध, हक्का-बक्का; परेशान भटकनेवाला, व्यग्र।

हैरानी (अ़.स्त्री.)-

  विस्मय, आश्चर्य, ताज्जुब, हैरत।

हैल (अ़.स्त्री.)-

  शक्ति, बल, ज़ोर, ताक़त।

हैलूल: (अ़.पु.)-

  आड़, ओट, आवरण, पर्दा।

हैवान (अ़.पु.)-

  पशु, चौपाया; वन-पशु, जन्तु, जंगली जानवर; प्रत्येक वह चीज़ जो प्राण रखती हो, जीवधारी; नादान, मूर्ख, वहशी।

हैवानात (अ़.पु.)-

  'हैवान' का बहु., पशुगण, चौपाये, मवेशी, जानवर।

हैवानी (अ़.वि.)-

  पाश्विक, पशु-सम्बन्धी; पशुओं का; पशुओं-जैसा।

हैवानीयत (अ़.स्त्री.)-

  जंगलीपन, पशुता, अमानवता, निर्दता, कठोरता; बेशर्मी, मूर्खता।

हैवाने ज़ाहिक (अ़.पु.)-

  हँसनेवाला प्राणी अर्थात् बन्दर।

हैवाने नातिक़ (अ़.पु.)-

  बोलनेवाला प्राणी अर्थात् मनुष्य।

हैवाने मुत्लक़ (अ़.पु.)-

  निरा पशु, बिलकुल जानवर; बेसलीक़ा, मूर्ख।

हैस (अ़.स्त्री.)-

  युद्घ, कलह, लड़ाई; कुमार्ग गति, बेराही।

हैसबैस (अ़.स्त्री.)-

  बहसा-बहसी, वाक्कलह, वाद-विवाद, तू-तू, मैं-मैं।

हैसियत (अ़.स्त्री.)-

  प्रतिष्ठा, इज़्ज़त; आर्थिक स्थिति, माली हालत; शक्ति, सामर्थ्य, ताक़त,
  योग्यता। 'हैसियत से बढ़कर'=बिसात से बाहर।

हैसियतदार (अ़.फ़ा.वि.)-

  प्रतिष्ठित, इज़्ज़तदार; धनवान्, मालदार।

हैसियतमंद (अ़.फ़ा.वि.)-

  दे.-'हैसियतदार'।

हैसियते उर्फ़ी (अ़.स्त्री.)-

  साख, एतिबार, मानी हुई इज़्ज़त, सबमें मानी हुई प्रतिष्ठा।

हैहात (अ़.स्त्री.)-

  हा, हंत, हाय अफ़्सोस, हाय-हाय।
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हे

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हें-हें (हिं.पु.)-

  धीरे-धीरे हँसने का शब्द; गिड़गिड़ाने का शब्द।

हे (सं.अव्य.)-

  सम्बोधन-सूचक अवयव।

हेकड़ी (हिं.स्त्री.)-

  अक्खड़पन, उग्रता; ज़बरदस्ती। 

हेच (फ़ा.वि.)-

  तुच्छ, हीन, पोच; व्यर्थ, बेकार, निरर्थक; कोई, कश्चित्;घृणित।

हेचकस (फ़ा.वि.)-

  तुच्छ, अधम, नीच, कमीना; कोई व्यक्ति।

हेचकार: (फ़ा.वि.)-

  निकम्मा, काहिल, जिसके किये-धरे कुछ न हो।

हिचकारा (फ़ा.वि.)-

  दे.-'हिचकार:', वही शुद्ध उच्चारण है।

हेचगारा (फ़ा.वि.)-

  नालायक़, अयोग्य; बेफ़ायदा, नाकारा। 

हेचगून: (फ़ा.वि.)-

  किसी तरह, कैसे भी।

हेचमदाँ (फ़ा.वि.)-

  नादान, कुछ न जाननेवाला, निपट मूर्ख, बे-इल्म।

हेचमदानी (फ़ा.स्त्री.)-

  नादानी, कुछ न जानना, मूर्खता, अज्ञानता।

हेचमयर्ज़ (फ़ा.वि.)-

  जिसका कोई मूल्य न हो, बेक़द्र, तुच्छ।

हेचमर्द (फ़ा.वि.)-

  दीन और दु:खी व्यक्ति।

हेम (फ़ा.स्त्री.)-

  'हेमिय:' का लघु., ईंधन, जलाने की लकड़ी, जलावन।

हेमा (सं.स्त्री.)-

  माधवी-लता; सुन्दर स्त्री; पृथ्वी; स्वर्ग की एक अप्सरा का नाम। 

हेमिय: (फ़ा.स्त्री.)-

  ईंधन, जलाने की लकड़ी, जलावन।

हेर-फेर (हिं.पु.)-

  घुमाव-फिराव, चक्कर; दाँव-पेंच, चालबाज़ी; अदल-बदल,
  उलट-पलट; कुछ बेचना और कुछ ख़रीदना।

हेराफेरी (हिं.स्त्री.)-

  हेरफेर, अदल-बदल; इधर का उधर होना या करना। 

हेल: (फ़ा.पु.)-

  'हलैल:' का लघु., हड़, हरीतकी।

हेलमेल (हिं.पु.)-

  मेल-जोल।

हेला (सं.स्त्री.)-

  तुच्छ और उपेक्ष्य समझना; खिलवाड़, क्रीड़ा; प्रेम की क्रीड़ा, केलि;
  बहुत आसान काम; साहित्य में नायिका की वह विनोदपूर्ण चेष्टा
  जिसमें वह नायक पर अपने मिलने की इच्छा प्रकट करती
  है। (हिं.पु.)-पुकार, हाँक; धावा, चढ़ाई; धक्का, रेला। 
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हू

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हूँ (फ़ा.अव्य.)-

  सावधानी-सूचक शब्द; स्वीकृति-सूचक शब्द, 'हाँ'; धृणा-सूचक शब्द, 'नहीं'।

हूँकना (हिं.क्रि.अक.)-

  बछड़े की याद में या और कोई दुःख सूचित करने के लिए गाय का
  धीरे-धीरे बोलना; वीरों का ललकारना या डपटना; सिसककर रोना।

हू (फ़ा.उभ.)-

  'अल्लाह्हू' का लघु रूप., ईश्वर का एक नाम जो प्राय: ग्रन्थों या पृष्ठों
  के ऊपर शुभ समझकर लिखा जाता है, ब्रह्म, ईश्वर; शून्य, ख़ला;
  सुनसान, खाली; भय, डर। 'हूँ का मुक़ाम'=ऐसा उजाड़ जहाँ कहीं
   कुछ भी न दिखाई दे, ख़ौफ़नाक जगह, सुनसान स्थल।

हूकना (हिं.क्रि.अक.)-

  सालना, कसकना; पीड़ा से चौंक उठना।

हूत (अ़.स्त्री.)-

  मछली, मत्स्य; मीन राशि, बारहवाँ बुर्ज, बुर्जे हूत।

हूदा (फ़ा.वि.)-

  ठीक, उचित, वाजिब, दुरुस्त। 'बेहूदा'=जो ठीक न हो, अनुचित, वाहियात। 

हून (अ़.पु.)-

  अपमान, तिरस्कार, बेइज़्ज़ती।

हूब: (अ़.पु.)-

  वह व्यक्ति जो न भलाई कर सके न बुराई; दरिद्र बाल-बच्चे।

हूब (अ़.पु.)-

  अपराध, पाप, गुनाह; वध, हत्या, हलाकत।

हूबहू (फ़ा.वि.)-

  बिलकुल वैसा ही, एक-जैसा, सदृश, समान, तुल्य, मिस्ल।

हूर (अ़.स्त्री.)-

  'हौरा' का बहु., परन्तु उर्दू और फ़ार्सी में एकवचन ही बोलते हैं; वह स्त्री
  जिसके बाल और आँखें बहुत स्याह हों और शरीर बहुत गोरा हो; स्वर्ग
  में रहनेवाली सुन्दर स्त्री, स्वर्गांगना, स्वर्गवधू।

हूर (अ़.पु.)-

  हत्या, हलाकत; हानि, नुक़्सान।

हूर-ऐन (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  सफ़ेद रंगवाले यानी चाँदी-जैसे बाल और सुन्दर बड़ी आँखोंवाली स्त्री। 

हूर जमाल (अ़.वि.)-

  जिसका रूप स्वर्गांगना-जैसा हो अर्थात् बहुत-ही सुन्दर स्त्री।

हूर तलअ़त (अ़.वि.)-

  दे.-'हूर जमाल'।

हूर शमाइल (अ़.वि.)-

  स्वर्गांगनाओं-जैसे हाव-भाववाली स्त्री।

हूराने बिहिश्त (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  स्वर्ग में रहनेवाली स्त्रियाँ, परियाँ, स्वर्गांगनाएँ।

हूरुलईन (अ़.स्त्री.)-

  सुन्दर आँखोंवाली हूर।

हूरेईं (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  दे.-'हूरुलईन'।

हूरोक़ुसूर (अ़.पु.)-

  स्वर्ग और स्वर्गांगनाएँ, बिहिश्त और हूर।

हूश (फ़ा.वि.)-

  मनुष्यताहीन, वह आदमी जो आदमीयत से ख़ारिज हो, उजड्ड,
  गँवार; जंगली जानवर।

हूहक़ (अ़.पु.)-

  ईश्वर का भजन या स्मरण, ईश्वर में तल्लीन हो जाना; हा-हा,
  हू-हू, शोरोग़ुल, चहल-पहल, अबादानी। 'हू-हक़ हो जाना'=मिट
   जाना, नेस्तनाबूद हो जाना।
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हु

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हुंकार (हिं.सं.पु.)-

  ललकार; भयभीत करने के लिए ज़ोर से किया
  जानेवाला शब्द, गर्जन; चीत्कार।

हुआ (हिं.क्रिया.अक.)-

  'होना' क्रिया का भूतकालिक रूप; किसी काम
  के सम्पन्न होने की अवस्था।

हुकन: (अ़.पु.)-

  दस्त लाने के लिए गुदा के मार्ग से पिचकारी आदि 
  द्वारा कोई दवा चढ़ाना, वस्ति-कर्म। 

हुकम (अ़.पु.)-

  दे.-'हुक्म', वही उच्चारण शुद्ध है।

हुकमा (अ़.पु.)-

  'हकीम' का बहु., हकीम लोग, वैद्य लोग; वैज्ञानिक लोग, दार्शनिक लोग।

हुकमाए वक़्त (अ़.पु.)-

  किसी समय में उस वक़्त के वैज्ञानिक, दार्शनिक या वैद्य लोग।

हुकुम (अ़.पु.)-

  दे.-'हुक्म', वही उच्चारण शुद्ध है। 

हुक़ूक़ (अ़.पु.)-

  'हक़' का बहु., अधिकार समूह, कर्त्तव्य, फ़रायज़।

हुक़ूक़े इंसानियत (अ़.पु.)-

  मानवाधिकार, वह अधिकार जो मानव-जाति को प्राप्त हैं ; वह
  अधिकार जो दूसरे जीवधारियों के मानव-जाति पर हैं।

हुक़ूक़े ज़ौजियत (अ़.पु.)-

  वह अधिकार जो पत्नी को पति पर प्राप्त हैं।

हुक़ूक़े निस्वानी (अ़.पु.)-

  वह अधिकार जो स्त्रीवर्ग को मनुष्यों पर प्राप्त हैं।

हुक़ूक़े शह्रीयत (अ़.फ़ा.पु.)-

  वह अधिकार जो नगरवासियों को प्राप्त हैं, नागरिकता।

हुक़ूक़े शौहरीयत (अ़.फ़ा.पु.)-

  वह अधिकार जो पति को पत्नी पर प्राप्त हैं।

हुकूमत (अ़.स्त्री.)-

  प्रभुत्व; राजनितिक आधिपत्य, सत्ता, शासन, राज; राज्य, राष्ट्र, सल्तनत; अत्याचार, ज़ुल्म,
  ज़बरदस्ती, सख़्ती; सरकार, राज; अधिकार, वश।

हुकूमते आइनी (अ़.स्त्री.)-

  वह राज जो विधान द्वारा चलाना जाए, नीति-नियमों से काम करनेवाली सरकार।

हुकूमते इलाही (अ़.स्त्री.)-

  ईश-सत्ता, ईश्वरीय सत्ता, मशीयत।

हुकूमते ख़ुदइख़्तियारी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  स्वायत्त-शासन, वह राज जिसमें किसी की पराधीनता न हो।

हुकूमते ग़ैरआइनी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  वह राज जिसमें कोई विधान न हो।

हुकूमते जमहूरी (अ़.स्त्री.)-

  दे.-'हुकूमते जुम्हूरी', वही उच्चारण शुद्ध है। 

हुकूमते जुम्हूरी (अ़.स्त्री.)-

  वह राज्य-व्यवस्था जिसमें सब शक्ति सर्व-साधारण के हाथ में हों;
  जनतंत्र, गणतंत्र, लोकतंत्र, वह राज जो जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चले।

हुकूमते शख़्शी (अ़.स्त्री.)-

  वह राज अथवा व्यवस्था जिसमें कोई एक मनुष्य या राजा अर्थात् सत्ताधारी
  व्यक्ति अपनी राय से शासन करे और सब शक्तियाँ उसके हाथ में हों।

हुकूमते शैतानी (अ़.स्त्री.)-

  अनीति, अत्याचार और अन्याय का शासन।

हुक्क: (फ़ा.स्त्री.)-

  हिचकी, हिक्का।

हुक़्क़: (अ़.पु.)-

  पिटारी, टोकरी; इत्र  या आभूषण रखने का बक्सा, डिबिया; तम्बाक़ू
  का धुआँ या तम्बाकू पीने के लिए विशेष रूप से बना हुआ एक प्रकार
  का नल-यन्त्र, गड़गड़ा, गुडग़ुड़ी, फ़र्शी, चिलम पीने का हुक़्क़ा। 'हुक़्क़ा
  पानी बन्द करना'=जाति से निकाल देना।

हुक्क:बर्दार (अ़.वि.)-

  हुक़्क़ा उठानेवाला; हुक़्क़ा भरने या हुक़्क़ा साथ लेकर चलनेवाला (नौकर, सेवक)।

हुक्क:बर्दारी  (अ़.स्त्री.)-

  हुक़्क़ा-पानी का प्रबन्ध करना, हुक़्क़ा भरना।

हुक़्क़:बाज़ (अ़.फ़ा.वि.)-

  भानमती, मदारी, पिटारी में से जादू या शोबदे दिखानेवाला;
  छली, ठग, मक्कार; बहुत हुक़्क़ा पीनेवाला।

हुक़्क़:बाज़ी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  मदारीपन, खेल-तमाशे दिखाना; मक्कारी, छल करना, ठगई, फ़रेबकारी।

हुक़्क़ा (अ़.पु.)-

  दे.-'हुक़्क़', वही उच्चारण शुद्ध है। 

हुक्काम (अ़.पु.)-

  'हाकिम' का बहु., हाकिम लोग, पदाधिकारी-वर्ग, उच्चाधिकारी-वर्ग।

हुक्कामरस (अ़.फ़ा.वि.)-

  जो हाकिमों अथवा उच्चाधिकारियों से मेल-जोल रखता
  और उन पर अपना प्रभाव डाल सकता हो।

हुक्कामरसी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  हाकिमों अर्थात् प्रशासकों और उच्चाधिकारियों से मेल-जोल।

हुक्कामे बाला (अ़.फ़ा.पु.)-

  किसी पदाधिकारी के ऊपरी अधिकारी।

हुक्कामे वक़्त (अ़.पु.)-

  वर्तमानकाल के पदाधिकारी लोग, तत्कालीन पदाधिकारी लोग।

हुक्च: (फ़ा.स्त्री.)-

  हिचकी, हिक्का।

हुक्ऩ: (अ़.पु.)-

  स्नेह वस्ति, अनीमा, डूश।

हुक्म (अ़.पु.)-

  किसी बड़े आदमी का वचन जिसका पालन करना कर्त्तव्य हो;
  आदेश, फ़र्मान; आज्ञा, इजाज़त, अनुमति; राजादेश,
  हुक्मनामा; अधिकार, शासन, प्रभुत्व; नियम, क़ायदा;
  सख़्ती, ज़बरदस्ती, अत्याचार; न्याय, फैसला; ताश
  के पत्तों के एक चिह्न का नाम। 'हुक्म चलना या जारी
  करना'=आज्ञा देना। 'हुक्म तोडना'=आज्ञा भंग करना।

हुक्मअंदाज़ (अ़.फ़ा.वि.)-

  अचूक निशानेबाज़, लक्ष्य-भेदी, ठीक निशाने पर गोली लगानेवाला।

हुक्मअंदाज़ी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  अचूक निशानेबाज़ी, लक्ष्य-भेदन, ठीक निशाना मारना।

हुक्म अखीर (अ़.पु.)-

  अंतिम आज्ञा।

हुक्म इम्तिनाई (अ़.स्त्री.)-

  किसी काम से रोकने की आज्ञा, निषेधाज्ञा, मुमानियत का हुक्म। 

हुक्मउदूल (अ़.वि.)-

  आज्ञा-पालन न करनेवाला, अवज्ञाकारी, उद्दण्ड, सरकश, अवज्ञ ।

हुक्मउदूली (अ़.स्त्री.)-

  आज्ञा-पालन न करना, उद्दण्डता, सरकशी।

हुक्मन (अ़.वि.)-

  हुक्म से, आदेश द्वारा।

हुक्मनाम: (अ़.फ़ा.पु.)-

  आदेशपत्र, वह काग़ज़़ जिस पर कोई हुक्म लिखा हो।

हुक्मनामा (अ़.फ़ा.पु.)-

  दे.-'हुक्मनाम:', वही उच्चारण शुद्ध है। 

हुक्मबरदार (अ़.फ़ा.वि.)-

  दे.-'हुक्मराँ', नमक-हलाल, आज्ञाकारी, हुक्म माननेवाला।

हुक्मबरदारी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  दे.-'हुक्मरानी', ताबे'दारी, आज्ञा-पालन।

हुक्मराँ (अ़.फ़ा.वि.)-

  हुक्म देनेवाला; शासन चलानेवाला, शासक, सत्ताधीश, हाकिम, बादशाह।

हुक्मरानी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  राज्य, बादशाही, सल्तनत, शासन; शासन चलाना, हुकूमत करना।

हुक्मी (अ़.वि.)-

  निश्चित, यक़ीनी; ठीक निशाने पर लगनेवाला, अचूक,
   बेचूक, अमोघ, ख़ता न करनेवाला (दवा या निशाना);
   आज्ञाकारी, हुक्म माननेवाला, जैसे--'हुक्मी बन्दा'। 'हुक्मी दवा'=शर्तिया
   राम-बाण अर्थात् अचूक दवा।

हुक्मे आखिऱ (अ़.पु.)-

  दे.-'हुक्मे क़त्ई'।

हुक्मे इम्तिनाई (अ़.पु.)-

  वह हुक्म या आदेश जो मुक़दमें के बीच में किसी कार्य-विशेष
  को रोकने के लिए दिया जाए, निषेधादेश।

हुक्मे क़ज़ा (अ़.पु.)-

  ईश्वरीय आदेश, ख़ुदा का हुक्म; होनहार, भविष्य में होनेवाला, भावी।

हुक्मे क़ज़ाओक़दर (अ़.पु.)-

  भावी और होनहार; ईश्वरेच्छा, मशीयत।

हुक्मे क़त्ई (अ़.पु.)-

  आख़िरी और अटल हुक्म, अंतिम निर्णय, अंतिमादेश।

हुक्मे गश्ती (अ़.फ़ा.पु.)-

  विभागों में भेजा जानेवाला हुक्म, परिपत्र, सरकुलर,
  वह हुक्म जो सब जगह फिराया जाए।

हुक्मे ज़ह्री (अ़.पु.)-

  वह आदेश जो प्रार्थनापत्र की पीठ पर अर्थात् पीछे की तरफ़ लिखा जाता है।

हुक्मे नातिक़  (अ़.पु.)-

  दे.-'हुक्मे क़त्ई'।

हुक्महुक्मे मशीयत (अ़.पु.)-

  दे.-'हुक्मे क़ज़ा'।

हुक्मे रब्बी (अ़.पु.)-

  ईश्वरादेश, ख़ुदा का हुक्म, अवश्यंभावी, मशीयत, शुदनी।

हुक्मे हाकिम (अ़.पु.)-

  हाकिम का हुक्म, राज्यादेश।

हुक्हुक (फ़ा.स्त्री.)-

  हिक्का, हिचकी।

हुजज (अ़.स्त्री.)-

  'हुज्जत' का बहु., हुज्जतें।

हुज़न (अ़.पु.)-

  दे.-'हुज़्न', वही उच्चारण शुद्ध है, रंग, दुःख।

हुजरा (अ़.पु.)-

  दे.-'हुज्र:', वही उच्चारण शुद्ध है। 

हुज़ाल (अ़.पु.)-

  शरीर की क्षीणता, दुबलापन, कमज़ोरी; तपेदिक रोग की एक श्रेणी।

हुज़ीं (अ़.वि.)-

  ग़मगीन, दर्दनाक, दुःखपूर्ण। 

हुज़ुज़ (अ़.स्त्री.)-

  एक प्रसिद्घ औषधि, रसौत।

हुजुब (अ़.पु.)-

  'हिजाब' का बहु., पर्दे, आड़ें।

हुजूअ़ (अ़.पु.)-

  नींद, निद्रा; स्वाप, स्वप्न, ख़्वाब; शान्ति, सुकून; सुख, आराम।

हुजूद (अ़.पु.)-

  रात को जागना, रात्रि-जागरण।

हुजूम (अ़.पु.)-

  जन-समूह, जमाव, भीड़, मज्मा; किसी चीज़ की बाहुल्यता या अधिकता।
  'चला जब इश्क़ की पगडंडियों पर, हुजूमे-ख़्वाब ने मुझको दबोचा'-माँझी

हुज़ूर (अ़.पु.)-

  किसी बड़े का सामीप्य, समक्षता; उपस्थिति, हाज़िरी, मौजूदगी;
  विद्यमानता; साक्षात्, आमना-सामना; रूबरू; सम्बोधन के लिए
  एक आदर-सूचक शब्द, जनाब आ़ली, हज़रत, श्रीमान्; बादशाह
  की मजलिस, इजलास, दरबार, कचहरी; ख़िदमत, दरगाह।

हुजूरवाला (अ़.पु.)-

जनाबआली, श्रीमान्।

हुज़ूरी (अ़.स्त्री.)-

  उपस्थिति, हाज़िरी; विद्यमानता, मौजूदगी; सम्मुखता, सामना;
  सामीप्य, निकटता, पास होना; बादशाही, दरबार, इजलास।

हुज़ूरे यार (अ़.फ़ा.पु.)-

  नायिका के सामने, मा'शूक़ के समक्ष।

हुज़ूरेवाला (अ़.फ़ा.पु.)-

  बड़े आदमी के लिए प्रतिष्ठा-सूचक सम्बोधन का शब्द, जनाब आ़ली, श्रीमान्।

हुज़ूरोग़ैब (अ़.पु.)-

  प्रत्यक्ष और परोक्ष, सामना और पीठ पीछा।

हुजैफ़़: (अ़.पु.)-

  पैग़म्बर साहब के एक सिहाबी।

हुज्जत (अ़.स्त्री.)-

  तू-तू, मैं-मैं; वाद-विवाद, बहस; कलह, झगड़ा; तर्क, दलील; प्रमाण, सुबूत।

हुज्जती (अ़.वि.)-

  तक़रारी, झगड़ालू,  हुज्जत करनेवाला; तू-तू, मैं-मैं करनेवाला; वाद-विवाद करनेवाला।

हुज्जततुल्लाह (अ़.स्त्री.)-

  ईश्वर के सत्य होने का प्रमाण।

हुज्जतेक़ाते' (अ़.स्त्री.)-

  युक्ति-युक्त दलील, अकाट्य प्रमाण, अटल प्रमाण।

हुज्जते गोया (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  बोलती हुई दलील, तर्कसंगत प्रमाण।

हुज्जते मुवज्जह (अ़.स्त्री.)-

  दे.-'हुज्जतेक़ाते'।

हुज्जते मोह्कम (अ़.स्त्री.)-

  मज़बूत दलील; मख़मल का बना वह लिंगरूपी यंत्र जिसे एक
  स्त्री अपनी कमर में बाँधकर दूसरी स्त्री से चपटी लड़ाती है।

हुज्जाज (अ़.पु.)-

  'हाज' का बहु., हज करनेवाले, हाजी लोग।

हुज्जाब (अ़.पु.)-

  'हाजिब' का बहु., ड्योढ़ीदार लोग।

हुज़्ज़ार (अ़.पु.)-

  'हाजिऱ' का बहु., उपस्थितजन, हाज़िरीन।

हुज़्न (अ़.पु.)-

  दु:ख, कष्ट, खेद, संताप, शोक, रंज, ग़म।

हुज़्नीय: (अ़.पु.)-

  दु:खान्त, वह खेल अथवा नाटक जिसका अन्त दु:ख पर हो।

हुज़्म: (अ़.पु.)-

  मुट्ठा, पूला।

हुड़कना (हिं.क्रिया.अक.)-

  वियोग के कारण बहुत दुःखी (विशेषत: छोटे बच्चों का); भयभीत और चिन्तित होना। 

हुड़दंगी (हिं.स्त्री.)-

  आवारा, बेहूदा, फूहड़, हुड़दंग करनेवाला। 

हुतम: (अ़.स्त्री.)-

  बहुत ही तेज़ आग, प्रचण्ड अग्नि; नरक का तीसरा तल।

हुज्र: (अ़.पु.)-

  कोठरी, छोटा कमरा; मस्जिद की वह कोठरी जिसमें लोग
  एकान्त में बैठकर ईश्वर की आराधना करते हैं। 

हुताम (अ़.पु.)-

  थोड़ा अंश, जऱा-सा।

हुती (अ़.स्त्री.)-

  उर्दू अब्जद के हिसाब से 'हे', 'तोय' और 'ये' जिनके अंक क्रमश: 8, 9 और 10 हैं।

हुद: (फ़ा.पु.)-

  सत्य, ठीक: (अ़.स्त्री.)-लाभ, फ़ायदा।

हुदा (अ़.पु.)-

  अ़रब के ऊँटवालों का विशेष गाना, जो वे ऊँटों को ले जाते
  समय गाते हैं। इसका 'हु' उर्दू के बड़े 'हे' से बना है।

हुदा (अ़.पु.)-

  सरल मार्ग, सीधा रास्ता; मोक्ष का मार्ग; सत्यता, सच्चाई। इसका 'हु' उर्दू के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हुदात (अ़.पु.)-

  'हादी' का बहु., हिदायत करनेवाले, सन्मार्ग दिखानेवाले।

हुदूद (अ़.उभ.)-

  'हद' का बहु., सीमाएँ, हदें।

हुदूदे अर्बअ़: (अ़.पु.)-

  चौहद्दी, किसी स्थान या मकान से मिले हुए चारों ओर के
  मकान या ज़मीन; चारों तरफ़ की हदें।

हुदूदे शर्ई (अ़.पु.)-

  धर्मशास्त्र की सीमाएँ; धर्मानुसार दिये जानेवाले दण्ड।

हुदूस (अ़.पु.)-

  नयापन, नवीनता; किसी वस्तु की नव उत्पत्ति अथवा नया पैदा होना।

हुदूसो क़िदम (अ़.पु.)-

  नवीनता और पुरातनता, नयापन और पुरानापन; नित्यता और नश्वरता।

हुदैबिय: (अ़.स्त्री.)-

  अ़रब का एक स्थान।

हुद्हुद (अ़.पु.)-

  कठफोड़वा नामक पक्षी, खुट-बढ़ई; मुर्ग़-सुलेमान;
  एक प्रसिद्ध सुन्दर कलग़ीदार पक्षी।

हुनर (फ़ा.पु.)-

  गुण, ख़ूबी, विशेषता; शिल्प, दस्तकारी; कारीगरी, कला,
  फ़न; हाथ की सफ़ाई, चालाकी; विद्या, इल्म।

हुनरआश्ना (फ़ा.वि.)-

  हुनर जाननेवाला, गुणी।

हुनरनाआश्ना (फ़ा.वि.)-

  जो कोई हुनर न जानता हो, गुणहीन, कलाहीन।

हुनर नाशनास (फ़ा.वि.)-

  जो हुनर न जानता हो; जो हुनर की क़द्र न पहचानता हो।

हुनरमंद (फ़ा.वि.)-

  हुनर जाननेवाला, गुणवान्, कलाकार, शिल्पकार, दस्तकार, कारीगर, गुणी।

हुनरमंदी (फ़ा.स्त्री.)-

  हुनर जानना, गुणी होना।

हुनरवर (फ़ा.वि.)-

  दे.-'हुनरमंद'।

हुनरशनास (फ़ा.वि.)-

  हुनर जाननेवाला; हुनर की क़द्र पहचाननेवाला।

हुनरशनासी (फ़ा.स्त्री.)-

  हुनर जानना; हुनर की क़द्र पहचानना।

हुनूद (अ़.पु.)-

  'हिन्दू' का बहु., हिन्दू लोग; हिन्दुस्तान का वे व्यक्ति
  जो मूर्तिपूजक और वैदिक धर्मावलम्बी हों।

हुप्पो (हिं.वि.)-

  पोपली औ़रत, हड़प कर जानेवाली औ़रत।

हुफ्ऩ: (अ़.पु.)-

  अंजलि, करपुट, लप।

हुफ़्फ़ाज़ (अ़.पु.)-

  'हाफ़िज़' का बहु., वह लोग जिन्हें क़ुरान कंठस्थ अर्थात् ज़बानी याद हो।

हुफ़्र: (अ़.पु.)-

  गड्ढ़ा, गर्त; छिद्र, सूराख़, विवर।

हुब [ब्ब] (अ़.स्त्री.)-

  प्रेम, प्रीति, स्नेह, प्यार, मुहब्बत; दोस्ती, मित्रता; इच्छा, चाह।
  'हुब का अमल'=वशीकरण; वह क्रिया या मन्त्रजिसकी सहायता
   से किसी के मन में अपने प्रति प्रेम पैदा किया जाए।

हुबल (अ़.पु.)-

  अ़रब की एक प्राचीन मूर्ति जो इस्लाम-धर्म से पूर्व
  का'बे में थी और उसकी पूजा होती थी।

हुबाब (अ़.पु.)-

  मित्रता, दोस्ती; अहि, सर्प, साँप; पिशाच, राक्षस; पानी का
  बुलबुला, बुदबुद; हाथ में पहनने का एक प्रकार का गहना;
  शीशे का गोला जो सजावट के लिए लटकाया जाता है।

हुबाला (अ़.स्त्री.)-

  'हुब्ला' का बहु., गर्भवती स्त्रियाँ।

हुबाहिब (अ़.पु.)-

  जुगनू, खद्योत।

हुबूत (अ़.पु.)-

  नीचे उतरना; मूल्य गिरना; निचली भूमि; दुबलापन।
  इसका 'हु' उर्दू के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हुबूत (अ़.पु.)-

  पुण्यों और सत्कर्मों का विनाश।
  इसका 'हु' उर्दू के 'बड़े हे' से बना है।

हुबूब (अ़.स्त्री.)-

  'हब' का बहु., गोलियाँ। इसका 'हु' उर्दू के 'बड़े हे' से बना है।

हुबूब (अ़.पु.)-

  वायु का बहना, हवा का चलना। इसका 'हु' उर्दू के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हुबूर (अ़.पु.)-

  'हिब्र' का बहु., बुद्घिमान् लोग; हर्ष, प्रसन्नता, ख़ुशी।

हुब्ब (अ़.स्त्री.)-

  प्रेम, मुहब्बत, उल्फ़त; दोस्ती, मित्रता; शौक़, चाह; आकांक्षा। 

हुब्बुलवतन (अ़.पु.)-

  स्वदेशप्रेम, देशभक्ति, इश्क़े वतन।

हुब्ला (अ़.स्त्री.)-

  गर्भवती, अंतर्वती, हामिला।

हुमक़ (अ़.पु.)-

   नादानी, मूर्खता। दे.-'हुमुक़', वही उच्चारण शुद्ध है। 

हुमक़ा (अ़.पु.)-

  'अह्मक़' का बहु., मूर्ख लोग।

हुमरत (अ़.स्त्री.)-

  दे.-'हुम्रत', वही उच्चारण शुद्ध है, रक्तता, लाली, सुर्ख़ी। 

हुमा (फ़ा.पु.)-

  उर्दू और फ़ार्सी साहित्य का एक ऐसा कल्पित पक्षी, जिसकी छाया पड़
  जाने से मनुष्य राजा बन जाता है, यह पक्षी केवल हड्डियाँ खाता है।

हुमायूँ (फ़ा.वि.)-

  शुभ, मंगलमय, मुबारक, बा-बरकत; (पु.)-एक मुग़ल
  बादशाह जो 'अकबर' का पिता था।

हुमायूँबख़्त (फ़ा.वि.)-

  सौभाग्यशाली, उच्च प्रतापी, बुलन्द इक़बाल।

हुमुक़ (अ़.पु.)-

  मूर्खता, अज्ञानता, नादानी, जहालत।

हुमुर (अ़.पु.)-

  'हिमार' का बहु., गधे, गर्दभ-समूह।

हुमूज़त (अ़.स्त्री.)-

  अम्लता, खटास, खट्टापन; खटाई, तुर्शी।

हुमूल (अ़.पु.)-

  योनि के भीतर रखने की औषधि।

हुमैक़ा (अ़.स्त्री.)-

  मूर्ख स्त्री, बेवकूफ़ अ़ौरत।

हुमैरा (अ़.स्त्री.)-

  लाल रंग की स्त्री, गोरी-चिट्टी स्त्री।

हुम्क़ (अ़.पु.)-

  मूर्खता, नादानी, अज्ञान, हुमुक़, जहालत।

हुम्मस (अ़.पु.)-

  एक प्रसिद्घ अन्न, चना, चणक।

हुम्मा (अ़.पु.)-

  ज्वार, ताप, बुखार।

हुम्माए दमवी (अ़.पु.)-

  वह ज्वर जो रक्त के कोप से आये।

हुम्माए नाइब: (अ़.पु.)-

  वह ज्वर जो बारी-आरी से आये।

हुम्माए बल्ग़मी (अ़.पु.)-

  कफ़ के प्रकोप से आनेवाला ज्वर, कफ़-ज्वर।

हुम्माए मुजि़्मन: (अ़.पु.)-

  बसा हुआ बुखार, सतत ज्वर।

हुम्माए मोह्रिक़: (अ़.पु.)-

  टाइफ़ाइड बुखार।

हुम्माए राबिअ़: (अ़.पु.)-

  चौथिया बुखार, चतुर्थक।

हुम्माए सफ़्रावी (अ़.पु.)-

  पित्त के कोप से आनेवाला ज्वर, पित्त-ज्वर।

हुम्माए सौदावी (अ़.पु.)-

  वात के दोष से आनेवाला ज्वर, वात-ज्वर।

हुम्माज़ (अ़.पु.)-

  एक खट्टी घास, चूका साग।

हुम्र: (अ़.पु.)-

  शरीर में लाल रंग के दाने निकलने का रोग, सुर्ख़ बादा।

हुम्रत (अ़.स्त्री.)-

  रक्तता, लालिमा, सुर्ख़ी।

हुम्री (अ़.वि.)-

  सुर्ख़ रंग का, रक्ताभ।

हुर [र्र] (अ़.वि.)-

  जो किसी का ग़ुलाम न हो, स्वतंत्र, आज़ाद; प्रतिष्ठित,
  मुअ़ज़्जज़़; वह दास जो सेवामुक्त हो गया हो।

हुरक़त (अ़.स्त्री.)-

  दे.-'हुर्क़त', वही उच्चारण शुद्ध है।

हुरमत (अ़.स्त्री.)-

  दे.-'हुर्मत', वही उच्चारण शुद्ध है।

हुरमुज़ (फ़ा.पु.)-

  दे.-'हुर्मुज़', वही उच्चारण शुद्ध है।

हुरसा (अ़.पु.)-

  'हरीस' का बहु., लालची लोग।

हुरूम (अ़.पु.)-

  एहराम (हाजियों के कपड़े, जिनमें दो चादरें होती हैं) बाँधे हुए लोग।

हुरूफ़ (अ़.पु.)-

  'हर्फ़' का बहु., अक्षर-माला।

हुरूफ़ शनास (अ़.फ़ा.वि.)-

  केवल अक्षर-ज्ञान रखनेवाला, कम पढ़ा-लिखा।

हुरूब (अ़.पु.)-

  'हर्ब' का बहु., लड़ाइयाँ, जंगें।

हुरूबे सलीबी (अ़.पु.)-

  वे प्राचीन लड़ाइयाँ जो तुर्कों और यहूदियों के बीच हुईं।

हुरूर (अ़.पु.)-

  गर्मी, उष्णता।

हुरैर: (अ़.स्त्री.)-

  छोटी और ख़ूबसूरत बिल्ली।

हुर्क़त (अ़.स्त्री.)- 

  सोज़िश, जलन (विशेषत: पेशाब की)।

हुर्क़ते बौल (अ़.स्त्री.)-

  पेशाब की जलन।

हुर्फ़ (अ़.स्त्री.)-

  एक प्रकार के दाने जो दवा में काम आते हैं, चंसुर, हालीन।

हुर्मत (अ़.स्त्री.)-

  बड़ाई, मान-सम्मान, प्रतिष्ठा, इज़्ज़त-आबरू ; सतीत्व,
  इस्मत; मर्यादा, नामूस; किसी खान-पान का धर्म में
  वर्जित होना, निषेध, मनाही।

हुर्मत बहा (अ़.फ़ा.पु.)-

  वह धन जो किसी की मानहानि के बदले में दिलाया जाए।

हुर्मान (अ़.पु.)-

  अ़क़्ल, समझ, बुद्घि, मेधा।

हुर्मास (फ़ा.पु.)-

  पार्सियों का बुराई का ख़ुदा, अह्रमन, शैतान।

हुर्मुज़ (फ़ा.पु.)-

  'हुर्मुज़्द' का लघु., दे.-'हुर्मुज़्द'; एक द्वीप; ख़लीज
   फ़ारिस; सौर मास का प्रथम दिन। इस दिन यात्रा
   करना और नए वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है

हुर्मुज़्द (फ़ा.पु.)-

  बृहस्पति, मुशतरी, दे.-'होरमुज़्द', दोनों शुद्घ हैं।

हुर्र: (अ़.स्त्री.)-

  स्वतंत्र स्त्री; वह दासी जो सेवामुक्त कर दी गई हो।

हुर्रा (फ़ा.पु.)-

  शोर, कोलाहल, नाद; भयानक शब्द, डरावनी आवाज़।

हुर्रास (अ़.पु.)-

  'हारिस' का बहु., किसान लोग, कृषकवर्ग।

हुर्रीयत (अ़.स्त्री.)-

  स्वतंत्रता, स्वाधीनता, आज़ादी।

हुर्रीयतपरस्त (अ़.फ़ा.वि.)-

  जो पराधीनता के बंधनों से मुक्ति चाहता हो और
   इसके लिए हर क़ुर्बानी को तैयार हो।

हुलकारना (हिं.क्रि.)-

  कुत्ते को शिकार पर दौड़ाना, लहकाना; किसी को
  दंगा-फ़साद पर आमादा करना। 

हुलफ़ा (अ़.पु.)-

  'हलीफ़' का बहु., वह लोग या राष्ट्र जिन्होंने परस्पर
   मित्र रहने की संधि की हो।

हुलल (अ़.पु.)-

  'हुल्ल:' का बहु., स्वर्ग के वस्त्राभूषण।

हुलसना (हिं.क्रिया.अक.)-

  बहुत प्रसन्न होना। 

हुलाकू (तु.पु.)-

  एक बहुत-ही अत्याचारी तुर्की नरेश जो 'चिंगेज़ खाँ
  का पोता है। हिन्दी में 'हलाकू' प्रचलित।

हुलाल (हिं.स्त्री.)-

  तरंग, लहर।

हुलास (हिं.पु.)-

  विशेष आनन्द, उल्लास, आह्लाद; (स्त्री.)-एक प्रकार की सुंघनी, नस्य। 

हुलिया (अ़.पु.)-

  दे.-'हुल्य:', वही उच्चारण शुद्ध है।

हुलुम (अ़.पु.)-

  स्वप्न, ख़्वाब, दे.-'हुल्म', दोनों शुद्घ हैं।

हुलूक (अ़.पु.)-

  विनाश, बरबादी; हनन, वध, क़त्ल।

हुलूल (अ़.पु.)-

  एक चीज़ का दूसरी चीज़ में इस तरह घुसना कि अलग
   पहचान न हो सके; भीतर समाना, प्रवेश, पैठ; एक
   आत्मा का दूसरे शरीर में प्रवेश।

हुल्क़ (अ़.पु.)-

  विनाश, बरबादी; वध, क़त्ल, हत्या।

हुल्ब: (अ़.पु.)-

  मेथी, एक प्रसिद्घ शाक।

हुल्म (अ़.पु.)-

  स्वप्न, ख़्वाब, दे.-'हुलुम', दोनों शुद्घ हैं।

हुल्य: (अ़.पु.)-

  चेहरे की बनावट, शरीर का गठन; किसी आदमी या
  पशु की तलाश के लिए दिये जानेवाले शरीर के चिह्न;
  गहना, आभूषण, ज़ेवर।'हुल्य: लिखाना'=भागे या खोए
  हुए आदमी अथवा जानवर की पहचान लिखवाना।

हुल्ल: (अ़.पु.)-

  जामा, चादर, बहिश्ती लिबास।

हुल्लड़ (हिं.पु.)-

  कोलाहल, हो-हल्ला; उपद्रव, उत्पात। 

हुल्लान (अ़.पु.)-

  भेड़ या बकरी का छोटा बच्चा, हुलवान, मेमना।

हुल्लाम (अ़.पु.)-

  मेमना, भेड़ या बकरी का बच्चा।

हुल्व (अ़.वि.)-

  मधुर, मीठा।

हुव:हुव: (अ़.अव्य.)-

  अक्षरश:, हर्फ़ ब हर्फ़, ज्यूँ का त्यूँ, जैसा था वैसा ही।

हुवल्लाह (अ़.वा.)-

  वही ईश्वर है।

हुवैदा (फ़ा.वि.)-

  साफ़-साफ़, स्पष्ट; प्रकट, व्यक्त, ज़ाहिर।

हुशयार (फ़ा.वि.)-

  'होशयार' का लघु., दे.-'होशयार'।

हुशयारी (फ़ा.स्त्री.)-

  'होशयारी' का लघु., दे.-'होशयारी', चालाकी, सावधानी, चतुरता।

हुशवार (फ़ा.वि.)-

  दे.-'हुशयार'।

हुशाश: (अ़.पु.)-

  बचे हुए जऱा-से प्राण।

हुशियार (फ़ा.वि.)-

  दे.-'होशयार', वही उच्चारण शुद्ध है; चतुर, चालक,
   चौकस, सावधान; बुद्धिमान्।

हुसान (अ़.वि.)-

  रूपवान्, सुन्दर, हसीन व्यक्ति।

हुसाम (अ़.पु.)-

  खड्ग, कृपाण, तलवार।

हुसूद (अ़.पु.)-

  'हासिद' का बहु. द्वेषी, बुरा चाहनेवाले; ईर्ष्या करनेवाले, डाही लोग।

हुसून (अ़.पु.)-

  'हिस्न' का बहु., क़िले, दुर्ग; रक्षा का स्थान।

हुसूल (अ़.पु.)-

  हासिल, प्राप्ति, लब्धि, मिलना; लाभ, नफ़ा, फ़ायदा; आय,
  आमदनी; परिणाम, फल; निष्कर्ष, नतीजा।

हुसूले इक्तिदार (अ़.पु.)-

  सत्ता की प्राप्ति।

हुसूले इल्म (अ़.पु.)-

  इल्म या ज्ञान की प्राप्ति, विद्या की प्राप्ति।

हुसूले कामयाबी (अ़.फ़ा.पु.)-

  सफलता प्राप्ति, किसी काम में सफल होना।

हुसूले ता'लीम (अ़.पु.)-

  विद्योपार्जन, शिक्षा-लाभ, पढ़ाई हासिल करना।

हुसूले नबात (अ़.पु.)-

  मुक्ति-लाभ, बख़्शिश हासिल करना।

हुसूले नियाज़ (अ़.फ़ा.पु.)-

  मुलाक़ात होना, भेंट होना।

हुसूले फ़ैज़ (अ़.पु.)-

  कीर्ति-लाभ, यश-लाभ; अर्थ-लाभ, धन-लाभ।

हुसूले बरकत (अ़.पु.)-

  प्रसादलाभ।

हुसूले बिहिश्त (अ़.फ़ा.पु.)-

  स्वर्गलाभ, स्वर्ग मिलना, बिहिश्त मिलना।

हुसूले मक़्सद (अ़.पु.)-

  उद्देश्य की प्राप्ति, मनोकामना की पूर्ति, आशा की प्राप्ति।

हुसूले मत्लब (अ़.पु.)-

  अर्थसिद्घि, मतलब निकलना या पूरा होना, ग़रज़ पूरी होना।

हुसूले मुद्दअ़ा (अ़.पु.)-

  दे.-'हुसूले मत्लब'।

हुसूले मुराद (अ़.पु.)-

  मक़्सद और मनोकामना की सिद्घि, मनोवांछित वस्तु की प्राप्ति।

हुसूले मे'राज (अ़.पु.)-

  उन्नति की चरमसीमा को छूना, तरक़्क़ी के शिखर पर पहुँचना।

हुसूले शिफ़ा (अ़.पु.)-

  रोगमुक्ति, स्वास्थ्य-प्राप्ति।

हुसूले शुह्रत (अ़.पु.)-

  शोहरत और ख्याति का प्राप्त होना, किसी कार्य या कला-विशेष में प्रसिद्घि।

हुसूले सअ़ादत (अ़.पु.)-

  किसी पूज्य व्यक्ति की सेवा का सौभाग्य प्राप्त होना, किसी उपकार का यश मिलना।

हुसूले सेहत (अ़.पु.)-

  स्वास्थ्य की प्राप्ति, रोग-मुक्ति, मरज़ से शिफ़ा।

हुसैन (अ़.पु.)-

  हज़रत अ़ली के छोटे पुत्र का नाम, जिन्होंने यज़ीद का
  शासन स्वीकार नहीं किया था, इसी कारण से उनको
   'कर्बला' के मैदान में शहीद किया गया था। मुसलमान
   इन्हें तीसरा इमाम मानते हैं तथा मुहर्रम
   में इन्हीं का मातम होता है।

हुसैनबंद (अ़.पु.)-

  चाँदी के दो छल्ले जिनके बीच में चाँदी की ज़ंजीर होती है।
   इसे मुहर्रम में बच्चों के हाथों में पहनाते हैं।

हुस्न (अ़.पु.)-

  उम्दगी, श्रेष्ठता, उत्तमता, ख़ूबी; सौन्दर्य, सुन्दरता, ख़ूबसूरती;
  शौभा, छटा, रौनक़; लुत्फ़, रंग। इसका 'स्' उर्दू के 'सीन' अक्षर
   से बना है।'कि जिसके हुस्न का चर्चा हर इक ज़बान पे है,
   ज़मीं पे है कि वो शख़्स आस्मान पे है'-माँझी

हुस्न (अ़.स्त्री.)-

  सतीत्व, इफ्फ़़त। 'इसका 'स्' उर्दू के 'सुअ़ाद' अक्षर से बना है।

हुस्नअफ्ज़़ा (अ़.फ़ा.वि.)-

  सौन्दर्य को बढ़ानेवाला, रूपवर्द्धक, सुन्दरता बढ़ानेवाला।

हुस्नआरा (अ़.फ़ा.वि.)-

  सुन्दर, रूपवान्, अच्छी शक्लवाला (वाली), सुन्दरता को श्रृंगारित करनेवाला।

हुस्नआराई (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  सुन्दरता को आभूषित और श्रृंगारित करना अर्थात् बहुत सुन्दर होना।

 हुस्नख़ेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-

  वह स्थान जहाँ के लोग सुन्दर होते हों, सुन्दरता की उत्पत्ति करनेवाला।

हुस्नख़ेज़ी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  सुन्दरता की उत्पत्ति, सौन्दर्य की बहुतात।

हुस्नतलब (अ़.पु.)-

  उत्तम या अच्छे संकेत से कोई सुन्दर वस्तु को पाने की इच्छा 
  प्रकट करना, जैसे किसी की कोई सुन्दर वस्तु देखकर यह
   कहना--'वाह, यह कितनी बढ़िया है' ।
   दे.-'हुस्ने तलब', शुद्ध उच्चारण वही है।

हुस्नदान (अ़.फ़ा.पु.)-

एक प्रकार का छोटा पानदान।

हुस्नपरस्त (अ़.फ़ा.वि.)-

  सौन्दर्योपासक, सौन्दर्य की पूजा करनेवाला; सुन्दर स्त्रियों
  को चाहनेवाला; सुन्दर वस्तुओं पर लट्टू रहनेवाला।

हुस्नपरस्ती (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  सौन्दर्य की उपासना; सुन्दरता की क़द्रदानी; सुन्दर स्त्रियों
   की चाहत; सुन्दर वस्तुओं पर मुग्धता।

हुस्नपसंद (अ़.फ़ा.वि.)-

  सुन्दर चीज़ों को पसन्द करनेवाला; सुन्दर स्त्रियों से
  मेल-जोल रखने और उन्हें चाहनेवाला।

हुस्नपसंदी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  सुन्दर वस्तुओं को पसन्द करना; ख़ूबसूरती को
  चाहना; सुन्दर स्त्रियों पर लट्टू होना।

हुस्नफ़रोश (अ़.फ़ा.वि.)-

  रूप बेचनेवाली, गणिका, वेश्या, तवाइफ़।

हुस्नफ़रोशी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  रूप बेचना, वेश्याकर्म।

हुस्नबख़्श (अ़.फ़ा.वि.)-

  सुन्दरता प्रदान रनेवाला अर्थात् रूप देनेवाला,
  सुन्दर बनानेवाला।

हुस्ना (अ़.स्त्री.)-

  अति सुन्दर स्त्री, बहुत ही हसीन अ़ौरत, रूपवती, लावण्यप्रभा।

हुस्नियात (अ़.स्त्री.)-

  'हुस्ना' का बहु., सुन्दर और रूपवती स्त्रियाँ।

हुस्ने अंजाम (अ़.फ़ा.पु.)-

  किसी कार्य का फल और परिणाम अच्छा होना।

हुस्ने अ़क़ीदत (अ़.पु.)-

  किसी की ओर अत्यधिक श्रद्घा।

हुस्ने अख़्लाक़ (अ़.पु.)-

  सुशीलता, आचार-व्यवहार में सद्-वृत्ति ।

हुस्ने अदा (अ़.फ़ा.पु.)-

  बात कहने का अच्छा ढंग, लिखने की अच्छी शैली।

हुस्ने आग़ाज़ (अ़.फ़ा.पु.)-

  कार्यारम्भ में अच्छे शगुन और सुविधाओं की प्राप्ति।

हुस्ने इंतिज़ाम (अ़.पु.)-

  प्रबन्ध की ख़ूबी या उत्तमता, सुप्रबन्ध, कार्य-विशेष
  के प्रबन्ध की सुन्दरता।

हुस्ने इंसिराम (अ़.पु.)-

  दे.-'हुस्ने इंतिज़ाम'।

हुस्ने इत्तिफ़ाक़ (अ़.पु.)-

  दैवयोग, किसी बात का अचानक तौर पर अच्छा हो
  जाना; बेहतर मौक़ा, अच्छा अवसर ।

हुस्ने एतिक़ाद (अ़.पु.)-

  दे.-'हुस्ने अ़क़ीदत'।

हुस्ने एतिमाद (अ़.पु.)-

  किसी पर अत्यधिक विश्वास।

हुस्ने क़बूल (अ़.पु.)-

  किसी मिली हुई वस्तु को अच्छी तरह से क़बूल या
   स्वीकार करना; किसी को दी जानेवाली वस्तु का
   भली-भाँति स्वीकार किया जाना।

हुस्ने ख़िताब (अ़.पु.)-

  अच्छी तरह से सम्बोधित करना, सम्बोधन की ख़ूबसूरती।

हुस्ने ख़ुदादाद (अ़.फ़ा.पु.)-

  क़ुदरती शोभा, वास्तविक ख़ूबसूरती; ईश्वर का दिया हुआ
   सौन्दर्य अर्थात् प्राकृतिक सुन्दरता, ईश्वरदत्त सौन्दर्य।

हुस्ने ख़ुल्क़ (अ़.पु.)-

  दे.-'हुस्ने अख़्लाक़'।

हुस्ने गंदुमगूँ (अ़.फ़ा.पु.)-

  गेहुएँ रंग का सौन्दर्य।

हुस्ने गंदुमी (अ़.फ़ा.पु.)-

  दे.-'हुस्ने गंदुमगूँ'।

हुस्ने गुफ़्तार (अ़.फ़ा.पु.)-

  बातचीत का माधुर्य, बोलचाल की सुन्दरता और शिष्टता।

हुस्ने गुलूसोज़ (अ़.फ़ा.पु.)-

  साँवलापन, मलाहत।

हुस्ने जऩ (अ़.पु.)-

  किसी की ओर से अच्छा विचार, सु-धारणा,
   अच्छी राय, अच्छा गुमान, नेक ख़याल।

हुस्ने तक्ऱीर (अ़.पु.)-

  भाषण या बातचीत की सुन्दरता और मधुरता।

हुस्ने तद्बीर (हुस्ने तदबीर) (अ़.पु.)-

  अच्छी युक्ति, युक्ति-चातुर्य, प्रयत्न की पटुता;
  प्रबन्ध की कुशलता; कूटनीति, पॉलिसी।

हुस्ने तलब (अ़.पु.)-

  किसी चीज़ को इशारे से माँगना; माँगने का अच्छा ढंग, ऐसे ढंग
   से चीज़ माँगना कि देनेवाला देते हुए आनन्द का अनुभव करे।

हुस्ने ता'लील (अ़.पु.)-

  एक अर्थालंकार; कारण बताने अथवा प्रमाण देने की निपुणता।

हुस्ने नजऱ (अ़.पु.)-

  दृष्टि की अच्छे-बुरे की परख, दृष्टि का केवल अच्छी
  चीज़ों को छाँटना और उन्हीं की ओर जाना।

हुस्ने नमकीं (अ़.फ़ा.पु.)-

  साँवला सौन्दर्य, नमकीनी, मलाहत।

हुस्ने फ़िरंग (अ़.फ़ा.पु.)-

  इंगलिस्तान का सौन्दर्य, जिसमें दिखाऊपन अधिक होता है।

हुस्ने बिरिश्त: (अ़.फ़ा.पु.)-

  साँवला सौन्दर्य, मलाहत।

हुस्ने मत्ला' (अ़.पु.)-

  ग़ज़ल में पहले शे'र के बाद वाला शे'र (अगर उसकी भी दोनों पंक्तियों में तुक हो)।

हुस्ने मलीह (अ़.पु.)-

  साँवला सौन्दर्य, साँवलापन, नमकीनी, मलाहत।

हुस्ने मह्फ़िल (अ़.पु.)-

  वह व्यक्ति जिससे सभा की रौनक़ हो; एक प्रकार का हुक़्क़ा।

हुस्ने मुक़ैयद (अ़.वि.)-

  सांसारिक सौन्दर्य, परिमित सुन्दरता।

हुस्ने मुजस्सम (अ़.पु.)-

  जो सिर से पाँव तक हुस्न ही हुस्न हो, बहुत अधिक सुन्दर।

हुस्ने मुत्लक़ (अ़.पु.)-

  ईश्वरीय सौन्दर्य, जमाले ख़ुदावंदी।

हुस्ने यूसुफ़ (अ़.पु.)-

  हज़रत यूसुफ़ का सौन्दर्य, जो सांसारिक
  रूपों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

हुस्ने लाज़वाल (अ़.पु.)-

  दे.-'हुस्ने मुत्लक़', ऐसा सौन्दर्य जिसका पतन या क्षरण न हो।

हुस्ने सबीह (अ़.पु.)-

  गोरापन, शुभ्रता।

हुस्ने सब्ज़ (अ़.फ़ा.पु.)-

  दे.-'हुस्ने मलीह'।

हुस्ने समाअ़त (अ़.पु.)-

  श्रवण-सौन्दर्य, किसी बात को ध्यानपूर्वक सुनना,
  अच्छी आवाज़ और अच्छी बातें सुनना।

हुस्ने साख़्त: (अ़.फ़ा.पु.)-

  बनावटी सौन्दर्य, अप्राकृतिक रूप; अलंकार और
  आभूषण द्वारा सजाया हुआ हुस्न।

हुस्ने साद: (अ़.फ़ा.पु.)-

  बिलकुल साधारण और सरल रूप जिसमें
  तनिक भी बनावट का पुट न हो।

हुस्ने सादगी (अ़.फ़ा.पु.)-

  स्वभाव की सरलता और भोलापन।

हुस्ने सिमाअ़ (अ़.पु.)-

  श्रवण-रस, गाने का सौन्दर्य या माधुर्य।

हुस्ने सुलूक (अ़.पु.)-

  व्यवहार की शिष्टता; दीन-दु:खियों की आर्थिक सहायता।

हुस्नोइश्क़ (अ़.पु.)-

  सुन्दरता और प्रेम; नायक और नायिका।

हुस्नोजमाल (अ़.पु.)-

  रूप और सौन्दर्य।

हुस्ब: (अ़.पु.)-

  छोटी माता, हल्की चेचक, ख़सरा (ख़स्र:), दे.-'हसब:', दोनों शुद्घ हैं।

हुस्बान (अ़.पु.)-

  गणना, शुमार; अनुमान, अंदाज़ा; गिनती, गिनना।

हुस्साद (अ़.पु.)-

  'हासिद' का बहु., ईर्ष्या करनेवाले लोग, डाह करनेवाले व्यक्ति।
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ही

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हींग (हिं.स्त्री.)-

  एक प्रकार के छोटे पौधे का जमाया हुआ गोंद या
  दूध जो मसालों में प्रयोग किया जाता है।

हींचना (हिं.क्रि.सक.)-

  खींचना।

हीक (हिं.स्त्री.)-

  हलकी अरुचिकर गन्ध। 'हीक मारना'=रह-रहकर दुर्गन्ध करना। 

हीज़ (फ़ा.वि.)-

  हिजड़ा, क्लीब, नपुंसक, नामर्द।

हीज (देशज.वि.)-

  आलसी, काहिल।

हीठना (हिं.क्रि.अक.)-

  पास जाना, फटकना; जाना, पहुँचना। 

हीत: (अ़.पु.)-

  परिधि, घेरा, अहाता; सीमा, हद।

हीतए इक़्तिदार (अ़.पु.)-

  सत्ता और प्रभुत्व की सीमा।

हीतए इख़्तियार (अ़.पु.)-

  अधिकार की सीमा।

हीतए क़ुद्रत (अ़.पु.)-

  सामर्थ्य और शक्ति की सीमा।

हीतान (अ़.पु.)-

  'हाइत' का बहु., दीवारें, इसका 'ता' उर्दू के 'तोय' अक्षर से बना है।

हीतान (अ़.स्त्री.)-

  'हूत' का बहु., मछलियाँ। इसका 'ता' उर्दू के 'ते' अक्षर से बना है।

हीन (अ़.अव्य.)-

  समय, काल, वक़्त।

हीन (सं.वि.)-

  परित्यक्त, छोड़ा हुआ; रहित, ख़ाली, बग़ैर, शून्य; ओछा, नीच; तुच्छ, नाचीज़:
   सुख-समृद्धि-रहित, दीन; पथभ्रष्ट, भटका हुआ; अल्प, कम। 

हीनहयात (अ़.वि.)-

  आजीवन, यावज्जीवन, आजन्म, ज़िन्दगी-भर, जीते-जी।

हीमिया (अ़.स्त्री.)-

  जादू, तिलिस्म, इन्द्रजाल, मायाकर्म।

हीमियागर (अ़.फ़ा.वि.)-

  दे.-'हीमियादाँ'।

हीमियादाँ (अ़.फ़ा.वि.)-

  जादू-टोटके जाननेवाला, इल्मे-तिलिस्म जाननेवाला,
  जादूगर, ऐन्द्रजालिक, मायावी।

हीय (हिं.पु.)-

  हीयरा, हीया, हिय, हृदय।

हीर (हिं.पु.)-

  किसी वस्तु के अन्दर का मूलतत्त्व या सारभाग; इमारती
  लकड़ी के अन्दर का भाग; धातु या वीर्य, जो शरीर का
  सारभाग है; शक्ति, बल, ताक़त। (स्त्री.)-राँझा की प्रेमिका।
  (सं.पु.)-'हीरा' नामक रत्न; वज्र; बिजली; शिव; छप्पय-छंद
  का एक भेद; एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में क्रमश:
  भगण, सगण, नगण, जगण, नगण और रगण होते हैं।
  एक मात्रिक छंद जिसमें 6, 6 और 11 के
  विराम से 23 मात्राएँ होती हैं।

हीरा (हिं.पु.)-

  एक प्रसिद्ध बहुमूल्य रत्न जो अपनी चमक तथा बहुत
  अधिक कठोरता के लिए प्रसिद्ध है।  

हीरिय: (अ़.स्त्री.)-

  सिर में पड़ जानेवाली भूसी, फ्यास, बफ़ा।

हील: (अ़.पु.)-

  छल, कपट, मक्कारी, फ़रेब; मिष, बहाना; मिथ्या, अनर्थ,
  झूठ; टरकाना, आजकल करना, टालमटोल करना।
  'हील: हवाला'=बहाना, टालमटोल।

हील:कार (अ़.फ़ा.वि.)-

  दे.-'हील:गर'।

हील:कारी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  दे.-'हील:गरी'।

हील:गर (अ़.फ़ा.वि.)-

  मक्कारी करनेवाला, मक्कार, बहाने बनानेवाला, बहानेबाज़,
  फ़रेबी, धूर्त, दग़ाबाज़, चालबाज़; धोखेबाज़, छलिया।

हील:गरी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  मक्कारी, चालबाज़ी, बहाने बनाना; धोखेबाज़ी, छल।

हीलतन (अ़.क्रि.वि.)-

  हीले से, मक्कारी से, बहाने से, छल से, धोखे से। 

हील:तराश (अ़.फ़ा.वि.)-

  नये-नये बहाने गढऩेवाला।

हील:तराशी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  नये-नये बहाने गढऩा।

हील:पर्वर (अ़.फ़ा.वि.)-

  दे.-'हील:गर'।

हील:पर्वरी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  दे.-'हील:गरी'।

हील:पसंद (अ़.फ़ा.वि.)-

  जिसे बहानेबाज़ी अच्छी लगती हो।

हील:पसंदी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  बहानेबाज़ी अच्छी लगना।

हील:बाज़ (अ़.फ़ा.वि.)-

  दे.-'हील:गर'।

हील:बाज़ी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  दे.-'हील:गरी'।

हील:शिअ़ार (अ़.वि.)-

  जिसका काम ही बहाने बनाना हो, बहाने बनानेवाला, दमबाज़।

हील:शिअ़ारी (अ़.स्त्री.)-

  बहाने बनाने की प्रकृति, मक्कारी का स्वभाव, दमबाज़ी।

हील:साज़ (अ़.फ़ा.वि.)-

  दे.-'हील:गर'।

हील:साज़ी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  दे.-'हील:गरी'। 

हील:सामाँ (अ़.फ़ा.वि.)-

  दे.-'हील:गर'।

हील:सामानी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  दे.-'हील:गरी'।

हील (फ़ा.स्त्री.)-

  इलायची।

हीला (अ़.पु.)-

  दे.-'हील:', वही उच्चारण शुद्ध है।

हीलागर (अ़.वि.)-

  दे.-'हील:गर'। 

हीलाबाज़ (अ़.वि.)-

  दे.-'हील:बाज़'। 

हीलाज (अ़.पु.)-

  जन्मपत्री, जन्मकुण्डली।

हीले कलाँ (फ़ा.स्त्री.)-

  बड़ी इलायची।

हीले ख़ुर्द (फ़ा.स्त्री.)-

  छोटी इलायची।

हीले सफ़ेद (फ़ा.स्त्री.)-

  छोटी इलायची।

हीस (हिं.स्त्री.)-

  होड़ करना, प्रतियोगिता; ईर्ष्या, डाह; हीसका;
  हीसा। (देशज.पु.)-एक प्रकार की कँटीली लता।

ही-ही (हिं.स्त्री.)-

  हँसने का शब्द। 
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हि

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हिंगुल (सं.पु.)-

  ईंगुर, सिंगरफ़।

हिंडोल (हिं.पु.)-

  हिंडोला, पालना, झूला; संगीत में एक राग। 

हिंत: (अ़.पु.)-

  गेहूँ, गंदुम।

हिंद (फ़ा.पु.)-

  भारत, हिन्दुस्तान, इण्डिया।

हिंदबा (फ़ा.स्त्री.)-

  कासनी, एक वनौषधि जो दवा में काम आती है।

हिंदवी (फ़ा.वि.)-

  हिन्दी भाषा का; हिन्दुस्तान का। 

हिंदस: (अ़.पु.)-

  संख्या, अ़दद; गणित; रेखा-गणित।

हिंदस:दाँ (अ़.फ़ा.वि.)-

  गणितज्ञ, गणित जाननेवाले, गणित-विद्या का विद्वान्।

हिंदस:दानी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  गणितज्ञता।

हिंदसा (अ़.पु.)-

  दे.-'हिंदस:', वही उच्चारण शुद्ध है।

हिंदी (फ़ा.स्त्री.)-

  भारत में सर्वाधिक बोली और समझी जानेवाली एक भाषा, देवनागरी
  भाषा, नागरी, (पु.)-भारत का निवासी, हिंदुस्तानी। 'हिंदी की चिंदी
  करना'=ख़ूब समझाना; ख़ूब छान-बीन करना, खोद-खोदकर पूछना।
  'हिंदी की चिंदी निकलना'=बाल की खाल निकलना।
हिंदीज़बाँ (फ़ा.वि.)-हिंदीभाषा-भाषी, जिसकी मातृभाषा हिंदी हो।
हिंदीदाँ (फ़ा.वि.)-हिंदी भाषा जाननेवाला, जो हिंदी पढऩा-लिखना जानता हो।
हिंदीदानी (फ़ा.स्त्री.)-हिंदी लिखना-पढऩा जानना।
हिंदी नज़ाद (फ़ा.वि.)-जो व्यक्ति हिंदुस्तान में पैदा हुआ हो, हिंदी, भारतीय मूल का, भारतीय।
हिंदुआन: (फ़ा.पु.)-तरबूज़, कलींदा, मांसफल, चित्रफल, फलराज।
हिंदुस्ताँ (फ़ा.पु.)-'हिंदुस्तान' का लघु., दे.-'हिंदुस्तान'।
हिंदुस्तान (फ़ा.पु.)-भारत, भारतवर्ष, इण्डिया, हिंद।
हिंदुस्तानी (फ़ा.पु.)-भारत का निवासी, भारतीय, (स्त्री.)-हिंदुस्तान की भाषा, एक भाषा जो हिंदी और उर्दू के मिश्रण से बनी है।
हिंदू (फ़ा.पु.)-हिंदुस्तान का वह व्यक्ति जो मूर्ति-पूजक अथवा वैदिक धर्मावलंबी है।
हिंदूए चर्ख़  (फ़ा.पु.)-शनि-ग्रह, ज़ुहल।
हिंदूए चश्म (फ़ा.पु.)-आँख की पुतली, कनीनी।
हिंदूए फ़लक (अ़.फ़ा.पु.)-दे.-'हिंदूए चर्ख़'।
हिंदू कश (फ़ा.पु.)-हिमालय का एक पहाड़, हिंदूकुश।
हिंदू कोह (फ़ा.पु.)-दे.-'हिंदू कुश'।
हिंदूजऩ (फ़ा.स्त्री.)-हिंदू स्त्री, जो पतिव्रता और साध्वी होती हुई अपने धर्म-कर्त्तव्य  का पालन करने की चेष्टा करती है।
हिंदूज़ाद: (फ़ा.पु.)-हिंदू का लड़का।
हिंदूमज़्हब (अ़.फ़ा.वि.)-हिंदूधर्म रखनेवाला।
हिंदोस्ताँ (फ़ा.पु.)-'हिंदोस्तान' का लघु., दे.-'हिंदोस्तान'।
हिंदोस्ताँज़ाद (फ़ा.पु.)-हिंदुस्तान में पैदा होनेवाला, हिंदुस्तानी, भारतीय।
हिंदोस्तान (फ़ा.पु.)-भारत, हिंदुस्तान, इण्डिया।
हिंदोस्तानी (फ़ा.पु.)-भारतीय, हिंदुस्तानी, (स्त्री.)-एक भाषा हिंदुस्तानी।
हिंसक (सं.पु.)-हिंसा करने या मार डालनेवाला; वह पशु जो अन्य जीवों को मारकर खाता है।
हिअ, हिआ (हिं.पु.)-मन, हृदय; छाती। 
हिकम (अ़.स्त्री.)-'हिक्मत' का बहु., हिक्मतें, ज्ञान की बातें।
हिकमत (अ़.स्त्री.)-दे.-'हिक्मत', वही उच्चारण शुद्ध है। 
हिकायत (अ़.स्त्री.)-क़िस्सा, कथा, कहानी, दास्तान; वार्ता, बातचीत; वृत्तांत, हाल। 'हिकायतें करना'=मुफ़्त की हुज्जतें करना, दलीलें छाँटना। 'हिकायत करना'=मुफ़्त की हुज्जत करना, दलीलें छाँटना।
हिकायतगर (अ़.फ़ा.वि.)-कहानी कहनेवाला, क़िस्सा सुनानेवाला; वृत्तांत बतानेवाला, हाल सुनानेवाला।
हिकायतन (अ़.वि.)-कहानी के तौर पर, सुनी-सुनाई बात के रूप में।
हिकायती (अ़.वि.)-हुज्जती, बात- पर बहस करनेवाला।
हिक़ारत (अ़.स्त्री.)-घृणा; ज़िल्लत, अप्रतिष्ठा, बेइज़्ज़ती। 
हिक्क: (अ़.स्त्री.)-खुजली, खर्जू, कंडू।
हिक़्द (अ़.पु.)-द्वेष, कीना, गुबार, ईर्ष्या; शत्रुता, वैर, दुश्मनी।
हिक्मत (अ़.स्त्री.)-विज्ञान, साइंस; आयुर्वेद, वैद्यक, तिब; तत्त्व-ज्ञान; बुद्घिमत्ता, दानाई, समझ; चाल, युक्ति, तर्कीब, उपाय; चिकित्सा। 'हिक्मत चलना'=चालाकी  सफ़ल होना।
हिक्मत अ़मली (अ़.स्त्री.)-तदबीर, चालाकी; पॉलीसी, मसलहत, कूट-नीति; दूर-अंदेशी, जोड़-तोड़। 
हिक्मतआईन (अ़.फ़ा.वि.)-हिक्मत और युक्ति से पूर्ण, बुद्घि और विवेक से परिपूर्ण।
हिक्मतआगीं (अ़.फ़ा.वि.)-दे.-'हिक्मतआईन'।
हिक्मतआमेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-युक्तिपूर्ण, बुद्घिपूर्ण, दानाई और तदब्बुर से भरा हुआ, दूरदर्शिता और समझदारी से भरा हुआ।
हिक्मत आमोज़ (अ़.फ़ा.वि.)-बुद्घि और मनीषा सिखानेवाला, समझदारी सिखानेवाला।
हिक्मतआरा (अ़.फ़ा.वि.)-बुद्घिमान्, विवेकी, मनीषी, दाना, समझदार।
हिक्मते अ़मली (अ़.स्त्री.)-कूटनीति, व्यावहारिक युक्ति, पॉलिसी।
हिक्मते इलाही (अ़.स्त्री.)-ईश्वरेच्छा, भगवान् की मर्ज़ी।
हिक्मते बालिग़: (अ़.स्त्री.)-बहुत बड़ी समझ, बहुत बड़ी हिक्मत, पूरी चतुराई और बुद्घिमत्ता।
हिक्मते मुदनी (अ़.स्त्री.)-नगर का प्रबन्ध, परस्पर रहन-सहन के उसूल; सामाजिकता के सिद्धान्त।
हिचक (हिं.स्त्री.)-कोई काम करने से पहले मन में होनेवाली हलकी रुकावट, आगापीछा।
हिचकना (हिं.क्रि.अक.)-कोई काम करने से आशंका, अनौचित्य या असमर्थता आदि ध्यान करके कुछ रुकना।
हिचकी (हिं.स्त्री.)-एक प्रसिद्ध शारीरिक हरकत जिसमें पेट या कलेजे की वायु कुछ रूककर गले के रास्ते निकलने का प्रयत्न करती है; इसी प्रकार की वह शारीरिक हरकत जो बहुत अधिक रोने पर होती है; कहावत यह भी प्रचलित है कि जब कोई प्रियजन याद करता है तब यह हिचकी आती है। 
हिजरत (अ़.स्त्री.)-अपने देश को सदा के लिए छोड़कर दूसरे देश में जा बसना। दे.-'हिज्रत', वही उच्चारण शुद्ध है। 
हिज़ब्र (अ़.स्त्री.)-व्याघ्र, सिंह, शेर।
हिजरां (अ़.पु.)-दे.-' हिज्राँ', वही उच्चारण शुद्ध है।
हिजरां नसीब (अ़.वि.)-दे.-'हिज्राँ नसीब', वही उच्चारण शुद्ध है।
हिजरी (अ़.स्त्री.)--दे.-'हिज्री', वही उच्चारण शुद्ध है। 
हिजा (अ़.स्त्री.)-अपकीर्ति, बुराई, निन्दा, अपवाद; अक्षरों का मात्राओं के साथ उच्चारण।
हिज़ाअ़ (अ़.पु.)-दुर्बल और अशक्त व्यक्ति, असहाय और कमज़ोर आदमी; उदासीन, खिन्न, बददिल।
हिजाज़ (अ़.पु.)-अ़रब का वह प्रदेश, जिसमें मक्का और मदीना हैं।
हिजाब (अ़.पु.)-आड़, पर्दा, ओट; लज्जा, लाज, शर्म; संकोच, लिहाज़, झिझक, हिचकिचाहट।
हिजाबत (अ़.स्त्री.)-द्वारपाल का काम, ड्योढ़ीदारी।
हिजामत (अ़.स्त्री.)-पछने या सिंघी लगवाना; पछने या सिंघी लगाना।
हिजार: (अ़.पु.)-पत्थर, प्रस्तर, पाषाण।
हिज़ार (अ़.पु.)-भय, डर, त्रास।
हिजाल (अ़.पु.)-'हजल:' का बहु., दुल्हनों के कमरे, दुल्हनों की सेजें।
हिज्ज: (अ़.पु.)-वर्ष, साल; एक बार हज करना।
हिज्जीर (अ़.स्त्री.)-स्वभाव, प्रकृति, अ़ादत।
हिज़्बुल अह्रार (अ़.पु.)-आज़ाद मेम्बरों की पार्टी, लेबर पार्टी, स्वतंत्र पार्टी।
हिज़्बुल इक़्तिदार (अ़.पु.)-सत्तापक्ष, शासन-पक्ष, हुकूमत की पार्टी।
हिज़्बुल इख़्तियार (अ़.पु.)-दे.-'हिज़्बुल इक़्तिदार'।
हिज़्बुल इख़्तिलाफ़ (अ़.पु.)-विपक्ष, विरोधी दल, मुख़ालिफ़ मेम्बरों की पार्टी।
हिज़्बुल उम्माल (अ़.पु.)-लेबरपार्टी, श्रमिकदल, मज़दूरों की पार्टी।
हिज़्बुल मुस्तबिद्दीन (अ़.पु.)-कंजरवेटिव पार्टी, अनुदार दल।
हिज़्बुल्लाह (अ़.पु.)-महात्माओं की जमाअ़त, सन्तों-साधुओं की टोली।
हिज़्बे इक़्तिदार (अ़.पु.)-दे.-'हिज़्बुल इक़्तिदार'।
हिज़्बे इख़्तिलाफ़ (अ़.पु.)-विपक्ष, विरोधी पार्टी, ख़िलाफ़ पार्टी।
हिज़्बे मुआफ़िक़ (अ़.पु.)-सहपक्ष, एकपक्षीय।
हिज़्बे मुख़ालिफ़ (अ़.पु.)-विपक्ष, विरोधी पक्ष, मुख़ालिफ़ पार्टी।
हिज्र  (अ़.पु.)-विरह, वियोग, जुदाई, फ़िराक़, अलहदगी।
हिज्रत (अ़.स्त्री.)-अपना देश छोड़कर दूसरे देश में  बसना, प्रवास, देश से जुदाई या विदाई, वतन छोडऩा, परदेस में बसना।
हिज्रत नसीब (अ़.वि.)-जिसके भाग्य में वियोग ही वियोग हो; वह शख़्स जिसकी क़िस्मत में दोस्त से जुदा रहना लिखा लिखा हो।
हिज्राँ (अ़.फ़ा.पु.)-हिज्र, वियोग, विरह, जुदाई।
हिज्राँ ज़द: (अ़.फ़ा.वि.)-विरह का मारा हुआ, वियोग का सताया हुआ, जुदाई से पीडि़त।
हिज्राँदीद: (अ़.फ़ा.वि.)-जिसने विरह-पीड़ा को देखा और झेला हो, जिसने जुदाई का दु:ख सहा हो।
हिज्राँ नसीब (अ़.फ़ा.वि.)-जिसकी क़िस्मत में अपने प्रिय  अलग रहना लिखा हो; जिसके भाग्य में सदा ही विरहग्रस्त होना लिखा हो।
हिज्री (अ़.फ़ा.वि.)-परदेस जानेवाला; वियोग सहनेवाला; हिज्रतवाला; इस्लामी संवत्सर जो हज़रत मुहम्मद साहब की हिज्रत अर्थात् जुदाई से प्रारम्भ होता है, इस दिन मुहम्मद साहब मक्का छोड़कर मदीना चले गए थे।
हिज़्लाज (अ़.पु.)-वृक, भेडिय़ा, (वि.)-चुस्त, फुर्तीला।
हिदायत (अ़.स्त्री.)-मार्ग-प्रदर्शन, राह बतलाना; शिक्षा, सीख; आदेश, आज्ञा,  हुक्म; यह सूझ-निर्देश कि अमुक काम में ऐसा-ऐसा करना है, अनुदेश; सन्मार्ग दिखाना, रहनुमाई करना, नेतृत्व करना; गुरुदीक्षा, पीर की तल्क़ीन (पीर का अपने मुरीद या अनुयायी को अ़मल आदि पढ़ाना)। 'हिदायत करना'=समझाना। 'हिदायत पाना'=सीधे रास्ते पर आना।
हिदायत आमेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-निर्देषपूर्ण, हिदायतों से भरा हुआ, शिक्षापूर्ण।
हिदायत आमोज़ (अ़.फ़ा.वि.)-हिदायतें सिखानेवाला, सीख देनेवाला, शिक्षा देनेवाला।
हिदायतकार (अ़.फ़ा.वि.)-निर्देश देनेवाला, हिदायत देनेवाला, निर्देशक, अनुदेशक, निर्देष्टा।
हिदायतनाम: (अ़.फ़ा.पु.)-आदेश-पत्र, वह पत्र जिसमें किसी काम  करने  तरीक़े लिखे हों; वह पत्र जिसमें हिदायतों या निर्देशों का विवरण हो, अनुदेशपत्र।
हिदायतनामा (अ़.फ़ा.पु.)-दे.-'हिदायतनाम:', वही उच्चारण शुद्ध है। 
हिद्दत (अ़.फ़ा.स्त्री.)-तेज़ी, तुन्दी, तीव्रता, उग्रता; उष्णता, गर्मी, हरारत; क्रोध, ग़ुस्सा; प्रकोप, शरीर की धातुओं में तीव्रता।
हिद्दते मिज़ाज (अ़.फ़ा.स्त्री.)-स्वभाव में क्रोध होना, मिज़ाज में ग़ुस्सा होना।
हिद्दते सफ़्रा (अ़.फ़ा.स्त्री.)-पित्त का प्रकोप, सफ़े की तेज़ी।
हिना (फ़ा.स्त्री.)-एक पत्ती, जो हाथ-पैर रचाने के काम में लाई जाती है, मेंहदी, रक्तगर्भा।
हिनाई (फ़ा.वि.)-मेंहदी लगा हुआ, मेंहदी लगाकर लाल किया हुआ, मेंहदी रचा हुआ; मेंहदी का-सा रंग, गेरुआ, पीलापन लिये हुए लाल रंग।
हिनाबंद (फ़ा.वि.)-मेंहदी लगानेवाला, मेंहदी रचानेवाला; वह काग़ज़ जिसमें मेंहदी की पुड़िया बाँधते हैं ।
हिनाबंदी (फ़ा.स्त्री.)-मेंहदी लगाना।
हिनाबस्त: (फ़ा.वि.)-मेंहदी लगा हुआ, वह हाथ या पाँव जिसमें मेंहदी लगी हो।
हिफ़ाज़त (अ़.स्त्री.)-सलामती, रक्षा, बचाव; देख-रेख, निगरानी,  निरीक्षण, निगहबानी, संरक्षण, पासबानी; सतर्कता, होशियारी, सावधानी।
हिफ़ाज़ती (अ़.वि.)-जो रक्षा या सुरक्षा के लिए हो, जैसे-'हिफ़ाज़ती दस्त:'।
हिफ़ाज़ते ख़ुदइख़्तियारी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-वह हिफ़ाज़त जो किसी नुक़सान से बचने के लिए स्वयं की जाए; आत्मरक्षा; स्वाभिमान-रक्षा, आत्माभिमान-रक्षा।
हिफ़ाज़ते जानोमाल (अ़.फ़ा.स्त्री.)-प्राण और धन की रक्षा, पूरी रक्षा।
हिफ़ादत (अ़.स्त्री.)-कृपा, अनुकम्पा, दया, मेहरबानी; हर्ष, प्रसन्नता, ख़ुशी, दे.-'हफ़ादत', दोनों शुद्घ हैं।
हिफ़्ज़ (अ़.पु.)-रक्षा, हिफ़ाज़त, देख-रेख; कण्ठस्थ, मुखाग्र, बरज़बाँ, ज़बानी याद।
हिफ़्ज़ान (अ़.पु.)-रक्षा, सुरक्षा, हिफ़ाज़त, संरक्षण।
हिफ़्ज़ाने सेहत (अ़.पु.)-स्वास्थ्य-रक्षा, तन्दुरुस्ती की हिफ़ाज़त; स्वास्थ्य-विभाग, सेहत का महक़मा।
हिफ़्ज़े अमन (अ़.पु.)-दे.-'हिफ़्ज़े अम्न', वही उच्चारण शुद्ध है। 
हिफ़्ज़े अम्न (अ़.पु.)-शान्ति-रक्षा, अम्न की हिफ़ाज़त, अम्न या शान्ति क़ायम रखना।
हिफ़्ज़े मरातिब (अ़.पु.)-अदब क पास, पद और प्रतिष्ठा का आदर, हैसियत और दर्जा का लिहाज, मर्यादा का ध्यान।
हिफ़्ज़े मातक़द्दम (अ़.पु.)-पेश-बंदी; पहले से किसी बात की पेश-बंदी करना; वह बचाव जो पहले से किया जाए, किसी अनिष्ट की आशंका से बचने के लिए पहले से किया जानेवाला उपाय।
हिफ़्ज़े शबाब (अ़.पु.)-यौवन-रक्षा, जवानी की हिफ़ाज़त।
 हिफ़्ज़े सेहत (अ़.पु.)-स्वास्थ्य-रक्षा।
हिब: (अ़.पु.)-दान, अनुदान, बख़्शिश, उपहार, भेंट; पुरस्कार, पारितोषिक, इन्अ़ाम।
हिब:कुनिंद: (अ़.फ़ा.वि.)-दान करनेवाला, अनुदाता; पुरस्कारदाता, इन्अ़ाम में कोई चीज़ लिख देनेवाला।
हिब:नाम: (अ़.फ़ा.पु.)-दानपत्र, बख़्शिशनामा, पुरस्कार-पत्र; वह काग़ज़ जिसमें किसी चीज़ के बख़्शिश देने का इक़रार लिखा जाए।
हिबा (अ़.पु.)-दे.-'हिब:', वही उच्चारण शुद्ध है। 
हिब्रून (अ़.स्त्री.)-स्याही, एक प्रकार की लिखने की वस्तु।
हिमयानी (अ़.स्त्री.)-रुपया भरकर रखने की पतली थैली, जिसे कमर में बाँध लेते हैं।
हिमाक़त (अ़.स्त्री.)-नादानी, बेअ़क़्ली, बेवक़ूफ़ी, मूर्खता। 
हिमायत (अ़.स्त्री.)-पक्षपात, तरफ़दारी; सहायता, मदद; पृष्ठ-पोषण, थपकी, पीठ ठोंककर हिम्मत बढ़ाना; मैत्री, दोस्ती; निगहबानी, रक्षा, शरण।
हिमायतगर (अ़.फ़ा.वि.)-पक्षपाती, तरफ़दार; सहायक, मददगार; पृष्ठपोषक, थपकी देनेवाला।
हिमायती (अ़.वि.)-तरफ़दार, पक्ष लेनेवाला, पक्षपाती; सहायक, मददगार; पृष्ठपोषक; मित्र, दोस्त। कहा.-'हिमायती की घोड़ी ऐराक़ी को लात मारे'=हिमायत से हौसला बढ़ता है।
हिमार: (अ़.स्त्री.)-गर्दभी, रासभी, गधी, मादा खर, गधा की स्त्रीलिंग।
हिमार (अ़.पु.)-गर्दभ, रासभ, वासत, गधा, खर।
हिम्मत (अ़.स्त्री.)-साहस, जुर्अत; उत्साह, हौसला; धृष्टता, ढीठपन; दिलेरी, बहादुरी, ताक़त, पराक्रम। 'हिम्मत हारना'=साहस खो देना।
हिम्मतअफ़्ज़ा (अ़.फ़ा.वि.)-उत्साह या हौसला बढ़ानेवाला, प्रोत्साहन देनेवाला।
हिम्मतअफ़्ज़ाई (अ़.फ़ा.स्त्री.)-उत्साह या हौसला बढ़ाना, प्रोत्साहन देना।
हिम्मतवर (अ़.फ़ा.वि.)-हिम्मतवाला, साहसी, उत्साही।
हिम्मतवरी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-साहसी होना, उत्साही होना, हिम्मती होना।
हिम्मतशिकन (अ़.फ़ा.वि.)-हौसला तोडऩेवाला, उत्साह भंग करनेवाला।
हिम्मतशिकनी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-उत्साहभेदन, हिम्मत तोड़ना, हौसला पस्त करना, उत्साह-भंजन।
हिम्मिस (अ़.पु.)-एक प्रसिद्घ अन्न, चना, चणक।
हियल (अ़.पु.)-'हील:' का बहु., हीले, बहाने, छल, मिष।
हिया (हिं.पु.)-मन, हृदय; छाती, वक्ष-स्थल। 'हिया जलना'=बहुत क्रोध या ईर्ष्या होना। 
हियातत (अ़.स्त्री.)-देख-रेख, संरक्षण, निगहबानी, चौकसी; सावधानी, सतर्कता, एहतियात।
हिरकना (हिं.क्रि.अक.)-पास आना; सटना।
हिरकाना (हिं.क्रि.सक.)-पास करना; नजदीक लाना; सटाना, भिड़ाना। 
हिरक़्ल (अ़.पु.)-प्राचीन रोम के शासकों की उपाधि।
हिरन (हिं.पु.)-मृग, हरिन, हिरण। 'हिरन हो जाना'=भाग जाना; उतर जाना, जैसे--'नशा हिरन हो गया।'
हिरा (अ़.पु.)-अ़रब में मक्का के पास एक पहाड़, जहाँ हज़रत मुहम्मद साहब ईश्वर का ध्यान किया करते थे।
हिरा (सं.स्त्री.)-शिरा, रक्तवाहिनी नाड़ी। 
हिरात (फ़ा.पु.)-अफ़ग़ानिस्तान का एक नगर।
हिराती (फ़ा.वि.)-हिरात का रहनेवाला; हिरात से सम्बन्धित; हिरात का घोड़ा। 
हिरावूल (तु.पु.)-सेना का वह भाग जो आगे चलता है, सेनाग्र।
हिरास: (फ़ा.पु.)-बिजूका, वह कृत्रिम मानव-आकृति जो खेत आदि में जंगली जानवरों को डराने के लिए बना देते हैं।
हिरास (फ़ा.पु.)-शंका, आशंका, ख़तरा; भय, त्रास, डर; निराशा, हताशा, नाउम्मीदी, मायूसी।
हिरास आमेज़ (फ़ा.वि.)-हताश, निराशापूर्ण, नाउम्मीदाना; भयपूर्ण, ख़ौफ़ से भरा हुआ।
हिरासत (अ़.स्त्री.)-निरीक्षण, निगरानी; ऐसी निगरानी जिसमें आदमी कहीं आ-जा न सके, न किसी से बात कर सके, न खुला रह सके; हवालात। इसका 'स' उर्दू के 'सीन' अक्षर से बना है।
हिरासत (अ़.स्त्री.)-कृषिकर्म, खेती-बाड़ी, काश्तकारी। इसका 'स' उर्दू के 'से' अक्षर से बना है।
हिरासती (अ़.वि.)-हिरासत में लिया हुआ।
हिरासाँ (फ़ा.वि.)-डरा हुआ, भयभीत; निराश, हताश, नाउम्मीद, मायूस।
हिरासिंद: (फ़ा.वि.)-डरानेवाला, ख़ौफ़ दिलानेवाला।
हिरासीद: (फ़ा.वि.)-डराया हुआ, भयभीत किया हुआ।
हिरक़िल (अ़.पु.)-दे.-'हिरक़्ल', दोनों शुद्घ हैं।
हिरफ़त  (अ़.स्त्री.)-दे.-'हिर्फ़त', वही उच्चारण शुद्ध है।
हिरफ़ा (अ़.पु.)-दे.-'हिर्फ़:', वही उच्चारण शुद्ध है।
हिर-फिर के (हिं.क्रि.वि.)-फिर-फिराकर, मजबूर होकर, बार-बार, अन्त में। 
हिर्ज़ (अ़.पु.)-जंतर, ता'वीज़, रक्षा-कवच;  पनाह की जगह, शरण पाने का स्थान; दृढ़ स्थान, मज़बूत जगह।
हिर्ज़ून (अ़.स्त्री.)-छिपकली, गोधिका, गृहगोधा, अजरा।
हिर्जे़ जाँ (अ़.फ़ा.पु.)-प्राणों की रक्षा का कवच; बहुत ही प्रिय वस्तु।
हिर्दी (फ़ा.स्त्री.)-हल्दी, हरिद्रा, ज़र्दचोब:।
हिर्फ़: (अ़.पु.)-व्यवसाय, पेशा, उद्यम, रोजग़ार; हुनर, कारीगरी, शिल्प।
हिर्फ़त (अ़.स्त्री.)-हुनर, कारीगरी; व्यवसाय, पेशा, उद्यम, रोजग़ार; शिल्प, दस्तकारी; अय्यारी, मक्कारी, धूर्तता, चालाकी; छल, फ़रेब।
हिर्फ़तबाज़ (अ़.वि.)-चालाक, मक्कार, धूर्त। 
हिर्फ़ती (उ.वि.)-उद्यम-सम्बन्धी; धूर्त, वंचक, ठग।
हिर्बा (फ़ा.पु.)-गिरगिट, कृकलास, सरट, कुलाहक।
हिर्म (अ़.वि.)-वह पदार्थ जिसका खान-पान धर्म में वर्जित हो।
हिर्मां (अ़.पु.)-निराशा, नैराश्य, नाउम्मीदी; दुर्भाग्य, बदनसीबी, बदक़िस्मती।
हिर्मांज़द: (अ़.फ़ा.वि.)-निराशाग्रस्त, नाउम्मीद; अभागा, बदक़िस्मत, बदनसीब।
हिर्मांनसीब (अ़.वि.)-जिसके भाग्य में निराशा ही निराशा हो।
हिर्मांपसन्द (अ़.फ़ा.वि.)-निराशावादी।
हिर्मास (अ़.पु.)-सिंह, शेर, व्याघ्र, केसरी।
हिर्र: (अ़.स्त्री.)-बिल्ली, मार्जारी।
हिर्रीफ़ (अ़.वि.)-जिसका स्वाद चरपरा हो, तीखा, चटपटा।
हिर्स (अ़.स्त्री.)-लोभ, लालच, लिप्सा, हवस। 'हिर्सा-हिर्सी'=देखा-देखी। 'हिर्स करना'=देखा-देखी लालच करना।
हिर्सी (अ़.वि.)-लालची। 
हिर्सोआज़ (अ़.फ़ा.स्त्री.)-लोभ और लालच, हवस, लालच की प्यास, लालसा, लिप्सा।
हिर्सोहवस (अ़.फ़ा.स्त्री.)-दे.-'हिर्सोआज़'।
हिर्सोहवा (अ़.फ़ा.स्त्री.)-लोभ और लालच, बढ़ी हुई लिप्सा।
हिलकना (हिं.क्रि.अक.)-हिचकियाँ लेना; हिचकना; सिसकना।
हिलना (हिं.क्रि.अक.)-अपने स्थान से कुछ इधर-उधर होना, हरकत करना; सरकना, चलना; काँपना, थरथराना; ढीला होना; झूमना, लहराना; घुसना, पैठना; मन का चंचल होना, डिगना; हेलमेल में आना, परचना। 'हिलमिल कर'=घनिष्ठता और मैत्री के साथ; सम्मिलित या एकत्र होकर।
हिलाना (हिं.क्रि.सक.)-चलायमान करना, हरकत में लाना; किसी स्थान से उठाना, हटाना; कंपाना। 
हिलाल (अ़.पु.)-नया चन्द्रमा, नया चाँद, नवचन्द्र, बालेंदु, बालचंद्र।
हिलालनुमा (अ़.फ़ा.वि.)-नये चाँद के आकार का।
हिलाली (अ़.वि.)-नये चाँद-जैसा, नव चन्द्राकार; टेढ़ा, वक्र, ख़मीद:; एक प्रकार का तीर।
हिलाले ईद (अ़.पु.)-ईद का चाँद।
हिलाले नौ (अ़.फ़ा.पु.)-नया चाँद, नवचन्द्र, बालेन्दु।
हिलोर (हिं.स्त्री.)-पानी की लहर, तरंग। 'हिलोरें लेना'=लहरना, तरंगित होना; नशे में झूमना।
हिलोरना (हिं.क्रि.सक.)-जल को तरंगित करना; लहराना। 
हिल्तीत (अ़.स्त्री.)-हींग, एक प्रसिद्घ गोंद, हिंगु।
हिल्म (अ़.पु.)-धीरता, गम्भीरता, शान्ति, मतानत; सहिष्णुता, सहनशीलता; स्वभाव की कोमलता, नम्रता।
हिल्मशिअ़ार (अ़.वि.)-धीर, गम्भीर, शान्त, मतीन; सहिष्णु, सहनशील।
हिल्य: (अ़.पु.)-मुखाकृति, चेहरा; नखशिख, सरापा; गहना, आभूषण, ज़ेवर।
हिल्यून (अ़.पु.)-एक प्रकार के दाने, जो दवा में काम आते हैं।
हिल्ल: (अ़.पु.)-स्थान, जगह; गंतव्य स्थल, मंज़िल; सभा, गोष्ठि, मज्लिस, जमावड़ा।
हिल्लत (अ़.स्त्री.)-खान-पान का धर्म के अनुसार ठीक होना, विहित होना, जायज़ होना, हलाल होना।
हिल्लतो हुर्मत (अ़.स्त्री.)-धर्म के अनुकूल या धर्म के प्रतिकूल होना, विहित या वर्जित होना, हरामो हलाल।
हिल्स (अ़.पु.)-मोटी कमली, मोटा धुस्सा।
हिश्त: (फ़ा.वि.)-छोड़ा हुआ।
हिश्तनी (फ़ा.वि.)-छोडऩे योग्य।
हिश्फ़ (अ़.स्त्री.)-आहट।
हिश्मत (अ़.स्त्री.)-आतंक, रोब; तेज़, प्रताप, इक़्बाल; लज्जा, शर्म; श्रेष्ठता, बुज़ुर्गी; क्रोध, कोप, ग़ुस्सा।
हिस [स्स] (अ़.स्त्री.)-संवेदन, अनुभव, एहसास; संवेदन-शक्ति, क़ुव्वते हिस।
हिसस (अ़.पु.)-'हिस्स:' का बहु., हिस्से, टुकड़े, खण्ड, अंश, अनेक खंड, बहुलांश।
हिसान (अ़.पु.)-अश्व, घोड़ा; साँड़ घोड़ा।
हिसानत (अ़.स्त्री.)-दृढ़ता, पुष्टि, मज़बूती, पाएदारी।
हिसाब (अ़.पु.)-गिनती, गणना, मीज़ान, शुमार, जोड़; गणित, रियाज़ी; लेन-देन, व्यवहार; दर, भाव, शर्ह, निर्ख; दी जाने या ली जानेवाली रक़म; महाप्रलय के दिन नेकी-बदी का हिसाब। कहा.-'हिसाब जौ-जौ, बख़्शिश सौ-सौ'=हिसाब में तनिक भी फ़र्क़ न होना चाहिए।
हिसाबदाँ (अ़.फ़ा.वि.)-गणितज्ञ, रियाज़ीदाँ, हिसाब जाननेवाला।
हिसाबदानी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-गणितज्ञता, रियाज़ी जानना।
हिसाबफ़ह्मी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-लेन-देन का परस्पर हिसाब समझना।
हिसाबी (अ़.वि.)-हिसाब-सम्बन्धी; हिसाब का अच्छा जानकार।
हिसाबे दोस्ताँ (अ़.फ़ा.पु.)-मित्रों का हिसाब, जिसमें कमी-बढ़ी का सवाल नहीं होता।
हिसाबोकिताब (अ़.पु.)-लेन-देन का हिसाब, बहीखाते का हिसाब।
हिसार (अ़.पु.)-परिधि, घेरा, इहाता; दुर्ग, गढ़, कोट, क़िला; मंत्र द्वारा बनाया गया वह घेरा जिसमें कोई 'मुसीबत' प्रवेश नहीं कर सकती, कुण्डली, चक्र, लक्ष्मणरेखा। 'हिसार बाँधना'=घेरा करना, चारदीवारी खड़ी करना।
हिसारबंद (अ़.फ़ा.वि.)-जो क़िले में बन्द होकर बैठ जाए; वह व्यक्ति जो मंत्र द्वारा बनाये हुए चक्र में मुसीबतों और आफ़तों से सुरक्षित बैठा हो।
हिसारबन्दी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-क़िले में बन्द होकर बैठ जाना; कुण्डली या चक्र में बैठना।
हिसारे अ़ाफ़ियत (अ़.पु.)-रक्षा का स्थान, जहाँ कोई जान जोखिम न हो।
हिसेब (फ़ा.पु.)-'हिसाब' का इमाल: (फ़ार्सी तथा अ़रबी भाषा में किसी शब्द के 'आ' को 'ए' बना देने को 'इमाल:' कहते हैं, जैसे-'किताब' को 'कितेब' बनाना), दे.-'हिसाब'।
हिस्न (अ़.पु.)-रक्षास्थान, बचाव की जगह; दुर्ग, गढ़, कोट, क़िला।
हिस्ने मुअ़ल्लक़ (अ़.पु.)-नभ, आकाश, गगन, अम्बर, आस्मान।
हिस्ने हसीन (अ़.पु.)-ऐसा दुर्ग जो न तो जीता जा सके, न टूट सके, न उसमें शत्रु प्रवेश कर सके; बहुत ही दृढ़ और मज़बूत क़िला या रक्षास्थान, अभेद्य दुर्ग ।
हिस्रिम (अ़.पु.)-कच्चे अंगूरों का गुच्छा।
हिस्स: (अ़.पु.)-खण्ड, भाग, टुकड़ा; व्यापार में साझे का अंश, भाग; बाँट में आनेवाला भाग; कथा, मीलाद या ब्याह-शादी के अवसर पर मिलनेवाली मिठाई आदि।
हिस्स:कशी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-हिस्से लगाना, भाग करना; हिस्सों के हिसाब से बाँटना।
हिस्स:ख़्वाह (अ़.फ़ा.वि.)-अपना भाग चाहनेवाला।
हिस्स:दार (अ़.फ़ा.वि.)-जो हिस्सा पाने का अधिकारी हो; जो हिस्से का मालिक हो, अंशी, साझी।
हिस्स:दारी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-साझा, भागीदारी।
हिस्स:बख्र: (अ़.पु.)-टुकड़बाँट, टुकड़े-टुकड़े करके बाँटना।
हिस्सा (अ़.पु.)-दे.-'हिस्स:', वही उच्चारण शुद्ध है। 
हिस्सए मुसावी (अ़.पु.)-बराबर का भाग, समानांश, समांश।
हिस्सए रसदी (अ़.पु.)-जिसको जितना चाहिए उसके हिसाब से हिस्सा, यथांश।
हिस्सी (अ़.वि.)-इन्द्रिय-सम्बन्धी।
हिस्सीयात (अ़.स्त्री.)-इन्द्रिय से सम्बन्ध रखनेवाली वस्तुएँ।
हिस्से ज़ाहिरी (अ़.स्त्री.)-बाह्येन्द्रिय।
हिस्सेदार (अ़.फ़ा.वि.)-दे.-'हिस्स:दार', वही उच्चारण शुद्ध है। 
हिस्से बातिनी (अ़.स्त्री.)-अंतरिंद्रिय, आंतरिक इन्द्रिय।
हिस्से मुश्तरक (अ़.स्त्री.)-वह शक्ति जिसके द्वारा सारी इन्द्रियाँ (बाहरी इन्द्रियाँ) अपना-अपना काम करतीं और उससे शक्ति प्राप्त करती हैं।
हिस्सोहरकत (अ़.स्त्री.)-गति और संवेदन, एहसास और हरकत, चलना-फिरना, हिलना-डुलना।
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हा

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हाँ (फ़ा.अव्य.)-

  सावधान! ख़बरदार! देखो! होशियार! सचेत रहो।

हाँ (हिं.अव्य.)-

  स्वीकृति, समर्थन आदि का सूचक-शब्द; 'हाँ करना'=मानना
  या राजी होना। 'हाँ-हाँ करना'=बात न काटना, ख़ुशामद करना।

हाँकना (हिं.क्रि.सक.)-

  ज़ोर-से पुकारना, चिल्लाकर बुलाना; ललकारना, हुंकार भरना;
  बढ़-चढ़कर बोलना; जानवरों को चलाने या हटाने के लिए आगे
  बढ़ाना या इधर-उधर करना; रथ या बैलगाड़ी आदि चलाना; पंखे से हवा करना। 

हा (फ़ा.प्रत्य.)-

  शब्द के अन्त में लगकर एकवचन से बहुवचन बनाता है,
  जैसे-'बारहा'-बार-बार, या 'दरख़्तहा'-वृक्ष-समूह, अनेक वृक्ष।
  (इस शब्द का प्रयोग प्राय: निर्जीव वस्तुओं के लिए होता है)।
  उर्दू का एक अक्षर 'हे', हिन्दी 'ह'।

हा (सं.अव्य.)-

  दुःख, शोक, भय आदि का सूचक-शब्द; आश्चर्य या प्रसन्नता का
  सूचक-शब्द। (प्रत्य.)-हनन करनेवाला, मारनेवाला।

हाइक (अ़.पु.)-

  कपड़ा बुननेवाला, जुलाहा, वायक, कुविंद।

हाइज़: (अ़.स्त्री.)-

  वह स्त्री, जो महीने-से हो, रजस्वला, पुष्पिणी, ऋतुमति, उदक्या,
  मलिष्ठा, आत्रेयी, रजवती, स्त्रीधर्मिणा।

हाइज़ (अ़.स्त्री.)-

  वह स्त्री, जो वयस्क हो गई हो और ऋतुमति होने के योग्य
   हो अथवा जिसे मासिक-धर्म आता हो।

हाइत (अ़.स्त्री.)-

  भीत, भित्ति, दीवार।

हाइब (अ़.वि.)-

  डरनेवाला, भयग्रस्त।

हाइम (अ़.वि.)-

  आसक्त, प्रेम-मग्न, बहुत प्यासा।

हाइर (अ़.वि.)-

  स्तब्ध, चकित, उद्विग्न, हैरान; दुर्बल, क्षीण, दुबला-पतला; भँवर, वर्त,
  जलावर्त, गिर्दाब; वह स्थान, जहाँ हज़रत इमाम हुसैन शहीद हुए थे।

हाइल: (अ़.वि.)-

  दे.-'हाइल'।

हाइल (अ़.वि.)-

  बीच में आनेवाला, आड़ बननेवाला, रोक करनेवाला; बाधा डालनेवाला,
  बाधक। 'जब क़दम मेरे बढ़े उनकी तरफ़, राह में हाइल हुआ साया
  मिरा'-माँझी; इसका 'हा' उर्दू के 'बड़े हे' शब्द से बना है।

हाइल (अ़.वि.)-

  भीषण, भयंकर, भयानक, विकराल, ख़ौफ़नाक। इसका 'हा'
  उर्दू के 'हम्ज़ा' अक्षर से बना है।

हाए (फ़ा.स्त्री.)-

  कराह की आवाज़, आह, हा।

हाए मख़्लूत (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  उर्दू भाषा की वह 'हे' जो दूसरे शब्द में मिलाकर पढ़ी
  जाए, जैसे-'कुम्हार' की 'हे' अर्थात् 'ह'।

हाए मुख़्तफ़ी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  वह 'हे', जो लिखी तो जाए मगर पढ़ी न जाए अर्थात् शब्द में होते हुए
  भी अपनी ध्वनि न दे, मौन ही रहे, और केवल यह प्रकट करने के
  लिए आये कि अंतिम अक्षर 'हल्' नहीं है, जैसे-हस्रतज़द:'।

हाए मुज़ह्हर (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  वह 'हे' अक्षर जो अपनी ध्वनि दे, जैसे-'जगह' शब्द में 'हे' अर्थात् 'ह' की ध्वनि।

हाए मुशक़्क़क़ (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  दो चश्मी 'हे' (هه)।

हाए हव्वज़ (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  छोटी 'हे' (ه)।

हाए हुत्ती (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  बड़ी 'हे' (ح)।

हाक़ (अ़.वि.)-

  बीच, बीचोंबीच, मध्य, दरमियान।

हाकिम (अ़.वि.)-

  पदाधिकारी, अफ़सर; स्वामी, मालिक; शासक; राजा,
  नरेश, बादशाह; अध्यक्ष, सरदार।

हाकिमान: (अ़.फ़ा.वि.)-

  अफ़सरों-जैसा। 'हाकिम के कुत्ते'=वे नौकर जो बिना रिश्वत लिये
  मालिक से नहीं मिलाते। 'हाकिम चून का भी बुरा'=छोटे-से-छोटे
  हाकिम से भी डरना चाहिए। 'हाकिम के तीन और शाहना के
  नौ'=हाकिम से अधिक कर्मचारीगण लूटते हैं।

हाकिमान: (अ़.वि.)-

  हाकिम के अनुरूप।

हाकिमी (अ़.वि.)-

  पदाधिकार, अफ़सरी; स्वामित्व, मालिकी; शासन, हुकूमत, राज,
  हाकिम का काम; राजशाही; अध्यक्षता, सरदारी।

हाकिमे आ'ला (अ़.फ़ा.पु.)-

  उच्चाधिकारी, बड़ा अफ़सर।

हाकिमे बाला (अ़.फ़ा.पु.)-

  दे.-'हाकिमे आ'ला'; किसी अधिकारी से ऊपर का अधिकारी।

हाकिमे वक़्त (अ़.पु.)-

  वर्तमान समय का शासक, इस समय का शासक।

हाकिमे हक़ीक़ी (अ़.पु.)-

  ईश्वर, परमात्मा।

हाकी (अ़.वि.)-

  वार्तालाप करनेवाला, बातचीत करनेवाला; कहानी सुनानेवाला।

हाक़्क़: (अ़.स्त्री.)-

  महाप्रलय, क़ियामत (क़यामत)।

हाज [ज्ज] (अ़.वि.)-

  हज करनेवाला, हाजी।

हाज (अ़.स्त्री.)-

  'हाजत' का बहु., हाजतें, इच्छाएँ, अभिलाषाएँ।

हाजत (अ़.स्त्री.)-

  मुराद, इच्छा, अभिलाषा, आरज़ू, उम्मीद, आशा, ख़्वाहिश;
  मनोकामना, मनोवांछा, दिली मक़्सद; आवश्यकता, ज़रुरत।
  'हाजत बर आना'=मुराद पूरी होना, कामना पूर्ण होना। 'हाजत
  रफ़ा कारण'=किसी का कोई काम निकलना; पाख़ाने जाना, शौच जाना।

हाजतख़्वा (अ़.फ़ा.वि.)-

  मोहताज, निर्धन, ग़रीब, माँगनेवाला, प्रार्थी, ज़रूरतमन्द;
  कामना या अभिलाषा की पूर्ति चाहनेवाला।

हाजतगाह (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  वह स्थान, जहाँ से कामनापूर्ति की इच्छा हो।

हाजतबरारी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  कामना पूरी करना, इच्छा या अभिलाषा पूरी करना।

हाजतमंद (अ़.फ़ा.वि.)-

  इच्छुक, अभिलाषी, ख़्वाहिशमंद; निर्धन, मोहताज।

हाजतमंदी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  चाह, इच्छा, ख़्वाहिश, तलब; निर्धनता, मोहताजी।

हाजतरवा (अ़.फ़ा.वि.)-

  इच्छा और कामना पूरी करनेवाला; ज़रुरत पूरी करनेवाला।

हाजतरवाई (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  किसी का काम निकलना; इच्छा और कामना पूरी करना।

हाजती (अ़.वि.)-

  ज़रूरतमन्द, निर्धन, ग़रीब, मोहताज; इच्छुक, अभिलाषी,
  (स्त्री.)-वह चौकी, जो रोगी के पलंग के पास लगा दी जाती है
   ताकि पेशाब-पाख़ाने में उसे कष्ट न हो।

हाज़मा (अ़.पु.)-

  दे.-'हाज़िम:', वही उच्चारण शुद्ध है। 

हाजर: (अ़.स्त्री.)-

  हज़रत इस्माईल की माता का नाम।

हाज़रात (अ़.स्त्री.)-

  दे.-'हाज़िरात', वही उच्चारण शुद्ध है।

हाज़राती (अ़.पु.)-

  दे.-'हाज़िराती', वही उच्चारण शुद्ध है।

हाज़िक़ (अ़.वि.)-

  कुशल, प्रवीण, दक्ष, उस्ताद, माहिर, कामिल; वह चिकित्सक,
  जो अपने काम में बहुत ही निपुण हो।

हाजिज़ (अ़.वि.)-

  बीच में पर्दे की तरह आ जानेवाला; वक्ष:स्थल और
  उदर के बीच की एक झिल्ली।

हाजिब (अ़.वि.)-

  द्वारपाल, प्रहरी, दरबान; चोबदार, दंडधारी; भ्रू, भौंह; पर्दा।

हाजिन (अ़.स्त्री.)-

  वह अवयस्क स्त्री, जिसकी शादी हो गई हो; प्रत्येक
  जानवर का मादा बच्चा।

हाज़िम: (अ़.पु.)-

  पाचन-शक्ति, क़ुव्वते हज़्म, पचाने की ताक़त।

हाज़िम (अ़.वि.)-

  दूरदर्शी, अग्रशोची, दूरंदेश; बुद्घिमान्, मेधावी, अ़क़्लमंद।
  इसके 'हा' उर्दू के 'बड़े हे' से तथा 'जि़' 'ज़े' अक्षर से बने हैं।

हाज़िम (अ़.वि.)-

  पाचक, खाना हज़्म करनेवाला, भोजन पचनेवाला। इसके
  'हा' उर्द के 'दोचश्मी हे' से तथा 'जि़' 'ज़ुआद' अक्षर से बने हैं।

हाजि़मे तअ़ाम (अ़.पु.)-

  अन्नपाचक, खाना हज़्म करनेवाली दवा।

हाजिर: (अ़.स्त्री.)-

  हिज्रत करनेवाली स्त्री, घरबार छोड़कर परदेश में आनेवाली स्त्री,
  शरणार्थिनी; टीक दोपहरी, बहुत गर्म और तपनेवाली दोपहर।

हाजिर (अ़.वि.)-

  हिजरत करनेवाला; घर-बार छोडऩेवाला, मुहाजिर, अपना देश
  छोड़कर जानेवाला; परदेशी, शरणार्थी।
  इसका 'हा' उर्दू के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हाजिर (अ़.वि.)-

  रोकनेवाला, मना करनेवाला, निषेधक; ऊँची भूमि; नदी का
   कगार। इसका 'हा' उर्दू की 'बड़ी हे' से बना है।

हाज़िर (अ़.वि.)-

  सामने, तैयार, सम्मुख, उपस्थित, मौजूद; विद्यमान; किसी
  न्यायालय में वारंट या सम्मन द्वारा लाया गया या मुक़दमे
  की तारीख़ में आया हुआ; स्कूल या कारख़ाने के रजिस्टर में
  हाजिऱी की प्रविष्टि के समय उपस्थित।

हाज़िरजवाब (अ़.वि.)-

  फ़ौरन जवाब डनेवाला, जो तुरन्त ही किसी बात का उचित
  और चमत्कारपूर्ण उत्तर दे, प्रगल्भ, प्रत्युत्पन्नमति।

हाज़िरजवाबी (अ़.स्त्री.)-

  फ़ौरन जवाब देने की योग्यता; किसी बात का तुरन्त ही उचित और मौज़ूँ जवाब देना, प्रगल्भता।

हाज़िरज़ामिन (अ़.वि.)-

  किसी अभियुक्त की न्यायालय में उपस्थित करने की ज़िम्मेदारी लेनेवाला।

हाज़िरज़ामिनी (अ़.स्त्री.)-

  किसी अभियुक्त की न्यायालय में उपस्थिति की ज़मानत।

हाज़िरदिमाग़ (अ़.वि.)-

  जो किसी बात को तुरन्त ही ठीक समझ ले और ठीक ही राय दे सके।

हाज़िरदिमाग़ी (अ़.स्त्री.)-

  तुरन्त ही बात की तह तक पहुँचकर ठीक राय देना।

हाज़िरबाश (अ़.फ़ा.वि.)-

  मौजूद रहनेवाला; किसी बड़े आदमी के पास हर वक़्त
  का उठने-बैठनेवाला।

हाज़िरबाशी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  मौजूद रहना, उपस्थित रहना; किसी बड़े आदमी के
  पास हर वक़्त का उठना-बैठना।

हाज़िरात (अ़.स्त्री.)-

  'हाज़िर' का बहु., उपस्थितजन; जिन, भूत-प्रेत और दुष्ट
  आत्माओं को जमा करना; जिनों अथवा भूतों को बुलाने
  का वह अ़मल या कर्म, जिससे द्वारा वे किसी पर बुलाये
  जाते हैं और उनसे सवालों के जवाब पूछे जाते हैं।

हाज़िराती (अ़.पु.)-

  जिनों-भूतों को किसी पुरुष या स्त्री पर बुलानेवाला, अ़ामिले जिन, ओझा।

हाज़िरी (अ़.स्त्री.)-

  उपस्थिति, मौजूदगी; मज़दूरों या विद्यार्थियों की गिनती; विद्यमानता;
  वुजूद होना; न्यायालय में वारंट या सम्मन द्वारा प्रतिवादी तथा
  गवाहों आदि की उपस्थिति; वह खाना जो दिन में पहली बार खाते
  हैं; वह खाना जो मुर्दे के वारिसों को मैयत को दफ़न करने के बाद
  भेजते हैं; वह धनराशि जो मैयतवाले को दी जाती है।

हाज़िरीन (अ़.पु.)-

  'हाज़िर' का बहु., हाज़िर लोग, उपस्थितजन।

हाज़िरीने जल्स: (अ़.पु.)-

  किसी सभा में उपस्थित लोग।

हाज़िरीने मज्लिस (अ़.पु.)-

  किसी गोष्ठी में सम्मिलित लोग।

हाज़िरोनाज़िर (अ़.पु.)-

  जो किसी स्थान पर उपस्थित भी हो और सारी घटनाओं
  को देखता भी हो; ईश्वर, परमात्मा।

हाज़िल (अ़.वि.)-

  फक्कड़ बकनेवाला, अश्लील बोलनेवाला; हज़्ल की कविता
  अर्थात् अश्लील कविता करनेवाला।

हाजी (उ.पु.)-

  हज करनेवाला, (अ़रबी भाषा में यह शब्द 'हाज' है)।
  इसका 'हा' उर्दू के 'बड़े हे' से बना है।

हाजी (अ़.वि.)-

  हिजो करनेवाला, निन्दा करनेवाला, निन्दक; नक़्क़ाल, भाँड,
  दूसरों की नक़ल बनाकर हँसानेवाला; हिज्जे करनेवाला।

हाज़ूम (अ़.वि.)-

  अन्नपाचक औषधि, खाना हज़्म करनेवाली दवा।

हाज्ज: (अ़.स्त्री.)-

  हज करनेवाली स्त्री, हज्जन।

हातम (अ़.पु.)-

  यमन देश का एक प्रसिद्ध दानी और परोपकारी मुखिया, जो
  'बनीतय' गोत्र में होने के कारण 'ताई' कहलाता
  है, दे.-'हातिमताई'। 'हातिम की क़ब्र पर लात मारना'=हातिम
  से बढ़कर दान करना (किसी कंजूस व्यक्ति से संयोगवश
  उदारता हो जाने पर ऐसा बोलते हैं।

हातिन (अ़.पु.)-

  बरसनेवाला बादल।

हातिफ़ (अ़.वि.)-

  पुकारनेवाला, बुलानेवाला; ऊपर से पुकारनेवाला, आकाशवाणी।

हातिफ़े ग़ैब (अ़.पु.)-

  वह देवता, जो दिल में बात डालता या आकाशवाणी बोलता है।

हातिब (अ़.वि.)-

  लकड़ी बेचनेवाला, लकडिय़ाँ लानेवाला, लकड़हारा।

हातिम (अ़.पु.)-

  न्यायाधीश, जज, क़ाज़ी; एक बड़ा कव्वा, दे.-'हातम', दोनों शुद्घ हैं।

हातिमताई (अ़.पु.)-

  दे.-'हातम'।

हातिमे वक़्त (अ़.पु.)-

  अपने समय का बहुत ही दानशील और अतिथि-पूजक व्यक्ति।

हातिल (अ़.वि.)-

  वह घटा जो बहुत ज़ोर से बरसे, घनघोर घटा।

हाथ (हिं.पु.)-

  कंधे से पंजे तक का वह अंग जिससे चीज़ें पकड़ते हैं और काम करते हैं।

हाथापाई (हिं.स्त्री.)-

  हाथ-पैर से परस्पर खींचने और धकेलने की लड़ाई। 

हाद [द्द] (अ़.पु.)-

  वह ज़ोरदार आवाज़, जो नदी या समुद्र से उठती है और तट या
  किनारे पर सुनाई देती है। इसका 'हा' उर्दू के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हाद [द्द] (अ़.वि.)-

  तीव्र, प्रचण्ड, तेज़, सख़्त। इसका 'हा' उर्दू के 'बड़े हे' से बना है।

हादसा (अ़.पु.)-

  दे.-'हासिस:', वही उच्चारण शुद्ध है। 

हादिए मुत्लक़ (अ़.वि.)-

  सच्चा सन्मार्ग दर्शक अर्थात् ईश्वर।

हादिम (अ़.वि.)-

  नष्ट करनेवाला, ध्वंसकारी; इमारत ढहानेवाला।

हादिमुल्लज़ात (अ़.पु.)-

  यमराज, यमदूत, मौत का फ़रिश्ता, धर्मराज।

हादिर (अ़.पु.)-

  वह दूध, जो ऊपर से जमकर दही बन गया
  हो और नीचे पानी हो।

हादिस: (अ़.पु.)-

  बुरी घटना, दुर्घटना, सानिहा; नया वाक़िअ़ा,
  नई घटना; विपत्ति, मुसीबत।

हादिस (अ़.वि.)-

  नश्वर; नया; नई पैदा होनेवाली वस्तु; जो सदा
  से न हो, जो क़दीम न हो।

हादिसए फ़ाजिअ़: (अ़.पु.)-

  बहुत ही भयानक दुर्घटना, मृत्यु आदि की घटना।

हादी (अ़.पु.)-

  सारबान, ऊँटवाला, उष्ट्रपाल। इसका 'हा' उर्दू
  के 'बड़े हे' से बना है।

हादी (अ़.वि.)-

  हिदायत करनेवाला, आदेश करनेवाला; पथ-प्रदर्शक,
  रास्ता दिखलानेवाला; नेता, लीडर। इसका 'हा' उर्दू
  के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हादी अ़शर (अ़.वि.)-

  ग्यारहवाँ।

हाद्द: (अ़.वि.)-

  सुकड़ा हुआ; छोटा कोण; तीव्र, तेज़,
   प्रचण्ड (स्त्रीलिंग शब्दों के साथ प्रयुक्त)।

हानम (तु.स्त्री.)-

  ख़ानम, ख़ातून, महोदया, श्रीमती।

हानिस (अ़.वि.)-

  शपथ-भंजक, क़सम तोड़नेवाला, प्रतिज्ञा भंग करनेवाला।

हानूत (अ़.स्त्री.)-

  दुकान, पण्यशाला; शराब की दुकान।

हाफ़िज़: (अ़.पु.)-

  स्मरण-शक्ति, याददाश्त की क़ुव्वत, याद
  रखने की ताक़त।

हाफ़िज़ (अ़.पु.)-

  जिसकी याददाश्त अच्छी हो; जिसे क़ुरान कंठस्थ हो; निगहबान,
  हिफ़ाज़त करनेवाला, संरक्षक, रक्षक, बचानेवाला।

हाफ़िज़े क़ुर्आन (अ़.पु.)-

  जिसे पूरा क़ुरान ज़बानी याद हो।

हाफ़िज़े हक़ीक़ी (अ़.पु.)-

  सच्ची रक्षा करनेवाला अर्थात् ईश्वर।

हाफ़िद: (अ़.स्त्री.)-

  पोती, लड़के की लड़की; नवासी, लड़की की लड़की।

हाफ़िद (अ़.स्त्री.)-

  मित्र, दोस्त; सेवक , ख़िदमत करनेवाला; पोता, लड़के
  का लड़का; नवासा, लड़की का लड़का।

हाफ़िर (अ़.वि.)-

  गड्ढ़ा खोदनेवाला; कुआँ खोदनेवाला; घोड़े की टाप।

हाफ़ी (अ़.वि.)-

  नंगे पाँव फिरनेवाला; न्यायकर्ता, क़ाज़ी।

हाबित (अ़.वि.)-

  नीचे उतरनेवाला, ऊपर से नीचे आनेवाला।

हाबिस: (अ़.स्त्री.)-

  रोकनेवाली, रोधिका; शरीर से निकलनेवाली
  धातु को रोकनेवाली दवा।

हाबिस (अ़.वि.)-

  रोकनेवाला, रोधक; शरीर से रक्त आदि को
  निकलने से रोकनेवाली दवा।

हाबिसात (अ़.स्त्री.)-

  'हाबिस:' का बहु., वह औषधियाँ जो शरीर से
  निकलनेवाली धातुओं को रोकें।

हाबिसे इस्हाल (अ़.वि.)-

  दस्तों को रोकनेवाली औषधि।

हाबिसे ख़ून (अ़.फ़ा.वि.)-

  रक्त-प्रवाह को रोकनेवाली दवा, रक्तावरोधक।

हाबिसे तम्स (अ़.वि.)-

  रज:स्राव को रोकनेवाली दवा।

हाबिसे दम (अ़.वि.)-

  रक्तावरोधक, ख़ून को निकलने से रोकनेवाली दवा।

हाबी (अ़.स्त्री.)-

  क़ब्र या समाधि की मिट्टी।

हाबील (अ़.पु.)-

  आदम का बेटा, जिसे क़ाबील ने मार डाला था।

हाम: (अ़.स्त्री.)-

  कपाल, खोपड़ी; ललाट, माथा; अपने गोत्र या
  जाति का नायक।

हाम (अ़.पु.)-

  हज़रत नूह का एक लड़का।

हामान (अ़.पु.)-

  फ़िरऔन का वज़ीर, जो बड़ा अत्याचारी था।

हामिज़ (अ़.वि.)-

  खट्टा, अम्ल, तुरुश। इसका 'हा' उर्दू के 'बड़े हे' से बना है।

हामिज़ (अ़.वि.)-

  निन्दा करनेवाला; आँख से संकेत करनेवाला।
  इसका 'हा' उर्दू के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हामिद (अ़.पु.)-

  सूखी घास; पुराना वस्त्र। इसका 'हा' उर्दू
  के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हामिद (अ़.वि.)-

  प्रशंसक, तारीफ़ करनेवाला। इसका 'हा' उर्दू के
  'बड़े हे' से बना है।

हामिल: (अ़.स्त्री.)-

  वह स्त्री जिसके पेट में बच्चा हो, गर्भिणी, गुर्विणी,
  सगर्भा, अंतर्वती, गर्भवती।

हामिल (अ़.पु.)-

  वह ऊँट, जिसे बिना रखवाली के चारागाह में छोड़ दिया गया
  हो। इसका 'हा' उर्दू के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हामिल (अ़.वि.)-

  बोझ उठानेवाला, भार ढोनेवाला, कुली; धारण करनेवाला;
  रखनेवाला। इसका 'हा' उर्दू के 'बड़े हे' से बना है।

हामिला (अ़.स्त्री.)-

  दे.-'हामिल:', वही उच्चारण शुद्ध है। 

हामिले अ़रीज़: (अ़.पु.)-

  चिट्ठी अपने पास रखनेवाला, जो किसी के पास अपने काम
  के लिए या किसी अन्य के लिए चिट्ठी ले जाए।

हामिले मत्न (अ़.वि.)-

  वह पुस्तक, जिसमें टीका के साथ उसका मूल भी हो।

हामिले वही (अ़.पु.)-

  ईश्वरादेश ग्रहण करनेवाला, ईशदूत, पैग़म्बर, अवतार।

हामिश (अ़.पु.)-

  हाशिया, किनारा, तट।

हामी (अ़.वि.)-

  चकित, निस्तब्ध, हैरान; आतुर, व्याकुल, बेचैन,
  परेशान। इसका 'हा' उर्दू के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हामी (अ़.वि.)-

  हिमायती, मददगार, मित्र, दोस्त; पक्षपाती, सहायक; पृष्ठ-पोषक,
  हिम्मत बढ़ानेवाला। इसका 'हा' उर्दू के 'बड़े हे' से बना है।

हामी (सं.स्त्री.)-

  स्वीकारोक्ति, 'हाँ' करना। 'हामी भरना'=मंज़ूर करना, राज़ी होना। 

हामुन (अ़.फ़ा.पु.)-

  'हामून' का लघु., दे.-'हामून'।

हामूँ (फ़ा.पु.)-

  'हामून' का लघु., दे.-'हामून'।

हामूँगर्द (फ़ा..वि.)-

  जंगलों में भटकनेवाला, मरुस्थल में मारा-मारा
  फिरनेवाला, वनभ्रमी।

हामूँनवर्द (फ़ा.वि.)-

  दे.-'हामूँगर्द'।

हामून (फ़ा.पु.)-

  बड़ा मैदान; वन, जंगल, बयाबान; मरुभूमि, रेगिस्तान।

हामूम (अ़.पु.)-

  पिघली हुई चर्बी; ऊँट का कोहान।

हाय (हिं.अव्य.)-

  शोक, दुःख, पीड़ा आदि का सूचक-शब्द। 

हायल (अ़.वि.)-

  दे.-'हाइल', वही उच्चारण शुद्ध है। 

हार: (फ़ा.पु.)-

  किसी नगर या क़स्बे का मुहल्ला, टोला।

हार [र्र] (अ़.वि.)-

  उष्ण, तप्त, गर्म; गर्म ख़ासियत रखनेवाला (स्वभाव या
  औषधि); उष्णवीर्य; गरमी करनेवाला। इसका
  'हा' उर्दू के 'बड़े हे' से बना है।

हार (फ़ा.पु.)-

  माला, फूलों या मोतियों आदि की माला। इसका 'हा'
  उर्दू के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हार (अ़.वि.)-

  गिरा हुआ, नष्ट, ध्वस्त, पस्त। इसका 'हा' उर्दू के
  'दोचश्मी हे' से बना है।

हार (हिं.स्त्री.)-

  युद्ध, प्रतियोगिता अथवा खेल आदि में प्रतिद्वन्द्वी से न जीत
  सकने की दशा या भाव, पराजय; शिथिलता, थकावट; हानि।
  (सं.पु.)-राज्य द्वारा हरण; विरह, वियोग; गले में पहनने की
  चाँदी-सोने, मोतिओं या फूलों की माला; अंकगणित में
  भाजक। (वि.)-वहन करने या ले जानेवाला; हरण करनेवाला;
   नाशक। (देश.पु.)-वन, जंगल, कानन; नाव के बाहरी
   तख़्ते; चारागाह, गोचर-भूमि।

हारना (हिं.क्रि.अक.)-

  युद्ध, प्रतियोगिता अथवा खेल आदि में प्रतिद्वन्द्वी से
  पराजित होना; थक जाना; प्रयत्न में निष्फल होना।
   'हारकर'=असमर्थ या विवश होकर। 

हारिज (अ़.वि.)-

  उपद्रवकारी, गड़बड़ी फैलानेवाला। इसका 'हा' उर्दू के
   'दोचश्मी हे' से बना है।

हारिज (अ़.वि.)-

  हानिकर, नुक़सान करनेवाला। इसका 'हा' उर्दू
  के 'बड़े हे' से बना है।

हारिब (अ़.वि.)-

  भागनेवाला, पलायन करनेवाला,
  पलायक, भगोड़ा।

हारिश (फ़ा.स्त्री.)-

  अपने को बना-ठना दिखाने का शौक़।

हारिस (अ़.पु.)-

  व्याघ्र, शेर; कृषक, किसान। इसका 'स' उर्दू
  के 'से' अक्षर से बना है।

हारिस (अ़.वि.)-

  संरक्षक, देख-रेख करनेवाला, निगहबान।
  इसका 'स' उर्दू के 'सीन' अक्षर से बना है।

हारिस (अ़.वि.)-

  लोलुप, लोभी, लालची। इसका 'स' उर्दू के
   'सुअ़ाद' अक्षर से बना है।

हारूँ (अ़.पु.)-

  'हारून' का लघु., दे.-'हारून'।

हारूत (अ़.पु.)-

  ज़ोहरा के प्रेमी दो फ़रिश्तों में-से एक, जो ईश्वरीय कोप के
  कारण कुएँ में उलटे और अभी तक उसी दशा में हैं। कहा
  जाता है कि वह 'मारूत' के साथ बाबिल के कुएँ में बन्द
  है और लोगों को जादू सिखाता है।

हारूतफ़न (अ़.फ़ा.वि.)-

  जादूगर, इन्द्रजाली, मायावी, इन्द्रजालिक।

हारूती (अ़.वि.)-

  जादू का काम, मायाकर्म, इन्द्रजाल।

हारून (अ़.पु.)-

  बग़दाद के प्रसिद्ध ख़लीफ़ा जिनका 'हारूँ रशीद' नाम था; तक
  पैग़म्बर जो हज़रत मूसा के बड़े भाई थे; दूत, क़ासिद; राजदूत,
  सफ़ीर; देख-भाल करनेवाला, संरक्षक, पासबान।

हारूनी (अ़.वि.)-

  दूतकर्म, क़ासिदी; राजदूत का काम या पद; संरक्षण, निगहबानी,
  पासबानी, रक्षा, हिफ़ाज़त;शरीर. सरकश औ़रत।

हार्र: (अ़.वि.)-

  गर्म, तप्त (स्त्रीलिंग); कृषि-भूमि, खेती की
   ज़मीन; बोये हुए खेत।

हाल: (फ़ा.पु.)-

  चाँद या सूरज के चारों ओर पड़नेवाला घेरा,
  मण्डल, परिवेष।

हाल (अ़.पु.)-

  दशा, अवस्था, हालत, स्थिति; रंग-ढंग, हैसियत; वृत्तांत, कैफ़ियत,
  बयान; वर्तमान काल या समय, ज़मानए हाल; समाचार, ख़बर,
  वृतान्त;। इसका 'हा' उर्दू के 'बड़े हे' से बना है। 'काल का न क़ाल का,
  रोटी, चमचा, दाल का'=निकम्मा आदमी। 'हाल में क़ाल, दही में
  मूसल'=मौक़े-बेमौक़े दख़ल देनेवाली औ़रत।

हाल (फ़ा.पु.)-

  सफ़ेद इलायची; सुख, चैन; नृत्य, नाच; वज्द, झूमना; चौगान
   की गेंद। इसका 'हा' उर्दू के 'दोचश्मी हे' से बना है।

हालाँकि (अ़.क्रिा.वि.)-

  यद्यपि, अगरचे।

हाला (फ़ा.पु.)-

  दे.-'हाल:', वही उच्चारण शुद्ध है।

हाला (सं.स्त्री.)-

  मद्य, शराब। 

हालए माह (फ़ा.पु.)-

  चन्द्रमण्डल, चन्द्रबिम्ब, शशिमण्डल।

हालए मेह्र (अ़.पु.)-

  सूर्यमण्डल, रविमण्डल, रविबिम्ब।

हालए शम्स (अ़.फ़ा.पु.)-

  दे.-'हालए मेह्र'।

हाल-क़ाल (फ़ा.पु.)-

  हालत और बयान।

हालगाह (फ़ा.स्त्री.)-

  चौगान खेलने का मैदान।

हालत (अ़.स्त्री.)-

  दशा, अवस्था, कैफ़ियत, दर्जा; दम, शक्ति, जान,
  ताक़त; आर्थिक दशा; वृत्तांत, हाल, घटना, वाक़िअ़:;
  समाचार, ख़बर; परिस्थिति, संयोग।

हालते इन्तिज़ार (अ़.स्त्री.)-

  प्रतीक्षा की अवस्था, किसी के राह देखने की बेचैनी।

हालते नज़अ़ (अ़.स्त्री.)-

  जान निकलने का समय, मरणासन्न अवस्था,
  मरते समय की स्थिति, जांकनी, चंद्रा।

हालते मौजूद: (अ़.पु.)-

   आजकल के समाचार, ताज़ा ख़बरें; वर्तमान की राजनीतिक
   हलचलें; उपस्थित समय की उथल-पुथल।

हालात (अ़.पु.)-

  'हाल' का बहु., स्थिति, समाचार। 

हालिक (अ़.वि.)-

  बहुत अधिक काला।

हालिक (सं.वि.)-

  हल-सम्बन्धी। (पु.)-कृषक, किसान; एक
  छंद-विशेष; कसाई। 

हालिब (अ़.वि.)-

  दूध दूहनेवाला, दोहक; रान की एक रग।

हालिय: (अ़.वि.)-

  आधुनिक, उपस्थित समय का, वर्तमान का; ताज़ा, नया।

हाली (अ़.वि.)-

  मौजूदा, हाल का, आधुनिक; आभूषित, श्रृंगारित,
  आभूषण या ज़ेवर पहनकर बना-सँवरा; (पु.)-उर्दू
  का एक सुप्रसिद्ध शाइर 'अल्ताफ़ हुसैन हाली'।
  'हाली-मवाली'=संगी-साथी।

हाव (सं.पु.)-

  संयोग के समय में नायिका की स्वाभाविक चेष्टाएँ जो पुरुष को
  आकर्षित करती हैं; प्रेमी या नायक को रिझाने और पास बुलाने
  की क्रिया या भाव, पुकार, बुलाहट; साहित्य में ग्यारह प्रकार के
  भाव बताए गए हैं--लीला, विलास, विच्छिति, विभ्रम, किलकिंचित्,
  मोट्टायित, विव्वोक, विहृत, कुट्टमित, ललित और हेला।

हावन (फ़ा.पु.)-

  लकड़ी की ओखली, उलूखल; दवा आदि कूटने के लिए
  लोहे का बना ओखली-जैसा पात्र, इमामदस्ता, हमामदस्ता।

हावनदस्त: (फ़ा.पु.)-

  लोहे की ओखली और कूटने का मूसल।

हाव-भाव (सं.पु.)-

  पुरुषों को मोहित करने के लिए स्त्रिओं की मनोहर
  चेष्टाएँ; नाज़-नख़रे।

हाविय: (अ़.पु.)-

  नरक का सातवाँ तल; दोज़ख़ का सबसे नीचे का स्तर।

हावी (अ़.वि.)-

  छाया हुआ, आच्छादित, जिसने किसी चीज़ को ढाँप लिया हो;
  जो अपनी चतुराई, शक्ति या छल से किसी पर क़ाबू रखता हो,
  क़ाबू पानेवाला, वश में रखनेवाला।

हावून (अ़.पु.)-

  दे.-'हावन'।

हाश:लिल्लाह (अ़.वा.)-

  ख़ुदा करे न करे, ऐसा कभी न हो (इस शब्द को 'हाशाल्लिाह'
  पढऩा ग़लत है, जैसा अक्सर कमइल्म लोग बोलते और लिखते हैं)।

हाशा (अ़.वा.)-

  कदापि नहीं, हरगिज़ नहीं; त्राहि, पनाह; पवित्रता,
  पाकी (इस शब्द का प्रयोग ऐसे समय में किया जाता
  है जब किसी बात से अपनी बिलकुल ही अज्ञानता
  या निष्पक्षता प्रकट करनी होती है)।

हाशा व कल्ला (अ़.वा.)-

  कदापि नहीं, जऱा भी नहीं, जब किसी (विशेषत: बुरी) बात से अपनी
  निष्पक्षता और असम्बद्घता प्रकट करनी होती है, तब कहते हैं।

हाशा सुम्म: हाशा (अ़.वा.)-

  दे.-'हाशा व कल्ला'।

हाशिम (अ़.वि.)-

  हज़रत मुहम्मद साहब के वंश-प्रवर्तक, पैग़म्बर
  साहब के दादा; प्याले में रोटी मलनेवाला।

हाशिमी (अ़.वि.)-

  'हाशिम' के वंशज।

हाशिय: (अ़.पु.)-

  चादर या साड़ी आदि के किनारे की गोट या बेलबूटे;
   किनारा, कोर; किसी पुस्तक के नीचे दी हुई टीका-
  टिप्पणी। 'हाशिया चढ़ाना'=गोत लगाना; किसी
  पुस्तक पर टीका-टिप्पणी करना। 'हाशिए का
  गवाह'=वह गवाह जिसने असली दस्तावेज़ पर साक्षी की हो।

हाशिय:नशीं (अ़.फ़ा.वि.)-

  दे.-'हाशिय:नशीन'।

हाशिय:नशीन (अ़.फ़ा.वि.)-

  दरबार आदि में मण्डलाकार बैठनेवाले सभासद; किसी बड़े
  आदमी के पास उठने-बैठनेवाले पार्षद, मुसाहिब।

हाशिय:नशीनी (अ़.फ़ा.स्त्री.)-

  दरबारदारी, किसी बड़े आदमी की सेवा में प्राय: उपस्थिति।

हाशिया (अ़.पु.)-

  दे.-'हाशिय:', वही उच्चारण शुद्ध है। 

हाशिर (अ़.पु.)-

  हज़रत मुहम्मद साहब का एक नाम।

हासिद (अ़.वि.)-

  हसद या ईर्ष्या करनेवाला, किसी की उन्नति को
  देखकर जलनेवाला, डाही, ईर्ष्यालु, मत्सरी।

हासिदीन (अ़.पु.)-

  'हासिद' का बहु., डाह करनेवाले लोग, जलने और
  हसद करनेवाले लोग, ईर्ष्या करनेवाले लोग।

हासिब (अ़.पु.)-

  वह आँधी जिसमें कंकर-पत्थर हों; वह बादल
  जो ओले बरसाये।

हासिर (अ़.वि.)-

  गिनती करनेवाला, गिननेवाला, शुमार करनेवाला;
  निर्भर रहनेवाला। इसकी 'सि' उर्दू के 'सुअ़ाद' अक्षर से बनी है।

हासिर (अ़.वि.)-

  पश्चात्ताप करनेवाला, हस्रत करनेवाला, अफ़सोस करनेवाला,
  खेद करनेवाला। इसकी 'सि' उर्दू के 'सीन' अक्षर से बनी है।

हासिल (अ़.वि.)-

  किसी चीज़ का शेष; प्राप्त, वुसूल; उपलब्ध, दस्तयाब; आय,
  आमदनी; राजस्व, ज़मीन की आमदनी, उपज, पैदावार,
  मुनाफ़ा; निष्कर्ष, परिणाम, नतीजा।

हासिलख़ेज़ (अ़.फ़ा.वि.)-

   उर्वरा, उपजाऊ, ज़रख़ेज़।

हासिलवुसूल (अ़.पु.)-

  लाभ, नफ़ा; परिणाम, नतीजा।

हासिलात (अ़.स्त्री.)-

  'हासिल' का बहु., गाँव की आमदनी, ज़मीनों
  और खेतों का लगान।

हासिले कलाम (अ़.पु.)-

  बात का निचोड़, गुफ़्तगू का सार या निष्कर्ष,
  बात का नतीजा, खुलासा।

हासिले क़िस्मत (अ़.पु.)-

  भाग्य से प्राप्त; जो वस्तु बिना किसी मेहनत और
  प्रयास के स्वयं उपलब्ध हो गई हो।

हासिले जम्अ़ (अ़.पु.)-

  जोड़, योगफल, मीज़ान।

हासिले ज़र्ब (अ़.पु.)-

  दो संख्याओं को परस्पर गुणा करने से
  प्राप्त संख्या, घात, गुननफल।

हासिले तक़्सीम (अ़.पु.)-

  किसी बड़ी संख्या को छोटी संख्या से भाग देने पर
  प्राप्त संख्या, लब्धांक, भजनफल, भागफल, लब्धि।

हासिले तफ़रीक़ (अ़.पु.)-

  किसी बड़ी संख्या में से छोटी संख्या
  घटाने से प्राप्त संख्या, शेष।

हासिले बाज़ार (अ़.फ़ा.पु.)-

  बाज़ार की आमदनी।

हासिले मत्लब (अ़.पु.)-

  सारांश, ख़ुलासा; निष्कर्ष, नतीजा।

हाहा (सं.पु.)- 

  हँसने का शब्द; गिड़गिड़ाने का शब्द। 'हाहा-हीही
   करना'=हँसना; हँसी-ठट्टा करना।

हाहाकार (सं.पु.)-

  घबराहट के समय अनेक आदमिओं के मुँह से निकलनेवाली
   'हाय-हाय' की पुकार या चिल्लाहट; कोहराम।
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